जयपुर.पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट की ओर से एमबीसी आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे गए पत्र के बाद प्रदेश की राजनीति में भी उबाल है. भाजपा के गुर्जर नेताओं ने पायलट की ओर से लिखे गए पत्र का समर्थन किया है और साथ ही प्रदेश सरकार पर गुर्जरों के साथ वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है. इस मामले में भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष और वरिष्ठ गुर्जर नेता अलका सिंह गुर्जर ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
पायलट के पत्र का भाजपा ने किया समर्थन अलका सिंह गुर्जर का कहना है कि सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री को जो पत्र लिखा है समाज की दृष्टि से वे मांग बिल्कुल जायज है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जो वादे घोषणापत्र में गुर्जर समाज के साथ किए थे, वह अब तक अधूरे हैं और सरकार की वादाखिलाफी को इस पत्र के जरिए खुद सचिन पायलट ने भी उजागर किया है. अलका सिंह ने कहा कि आज भी प्रदेश में ऐसी कई नौकरियां हैं, जिसमें गुर्जर समाज को मोस्ट बैकवर्ड क्लास यानी एमबीसी के 5 फीसदी आरक्षण का समुचित लाभ नहीं मिल रहा है.
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'भाजपा जनप्रतिनिधियों ने भी पहले पत्र लिखे थे'
अलका सिंह गुर्जर का कहना है कि सचिन पायलट ने भले ही अब अपने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समाज की इस समस्या के प्रति आगाह किया हो, लेकिन बीजेपी के गुर्जर समाज से आने वाले जनप्रतिनिधियों ने समय-समय पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस बारे में अवगत कराया है. इसके बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब तक गुर्जर समाज की इस ज्वलंत समस्या का समाधान नहीं किया. इसके कारण हजारों बेरोजगार गुर्जर समाज के युवाओं को नौकरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया.
'संविधान की नौवीं अनुसूची में संशोधन का मामला केंद्र में अटका'
गुर्जर समाज सहित 5 जातियों को एमबीसी में 5 फीसदी आरक्षण के स्थाई समाधान के लिए पूर्व में राज्य सरकार ने एक पत्र केंद्र सरकार को भेजा था. जिसमें इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए संविधान की नौवीं अनुसूची में संशोधन का आग्रह किया गया था, लेकिन उस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ.
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हालांकि, इस बारे में जब भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष अल्का गुर्जर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये एक संवैधानिक मामला है और उसके लिए बहुत सारी जानकारियां प्रदेश सरकार को भी वहां देनी होती है. लेकिन यहां पर प्रदेश सरकार सोई हुई है और जब तक यहां से मुद्दा प्रमुखता से वहां नहीं पहुंचेगा, तब तक उस बारे में पार्लियामेंट या संविधानिक रूप से क्या स्थिति होगी, उस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल होगा.