जयपुर.राजस्थान में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव में प्रचार के लिए भाजपा की स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्यसभा सांसद ओम माथुर का नाम शामिल है, लेकिन चुनाव प्रचार से इन नेताओं ने दूरी बनाकर रखी. वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव से इन नेताओं ने दूरी क्यों बनाई, इसे लेकर राजनितिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं.
वसुंधरा राजे की दूरी का कारण
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पहली दफा चुनाव से दूर नहीं हैं. इससे पहले 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव से भी वसुंधरा राजे ने दूरी बनाए रखी थी. पंचायत राज चुनाव और निकाय चुनावों में भी वे नजर नहीं आईं. हालांकि हाल ही जोधपुर प्रवास के दौरान उनके समर्थक नेता एकत्रित हुए थे, लेकिन मौजूदा उपचुनाव के प्रचार में उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई. इसका बड़ा कारण उनकी पुत्र वधू निहारिका का बीमार होना भी है.
राजनीतिक दृष्टिकोण से वसुंधरा की दूरी का एक बड़ा कारण सतीश पूनिया का नेतृत्व भी माना जाता है. राजस्थान भाजपा में कई शक्ति केंद्र बन चुके हैं. इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया भी शामिल हैं. पूनिया खेमे से राजे खेमे की दूरियां किसी से छुपी नहीं हैं. ऐसे भी उपचुनाव का परिणाम कुछ भी हो, जीत या हार की जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष पूनिया पर ही आनी है. ये भी एक कारण हो सकता है जिसके चलते राजे ने उपचुनाव के प्रचार से दूरी बनाई हो.
भूपेंद्र यादव की दूरी का कारण
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद जरूर हैं लेकिन पिछले दिनों उनकी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उनकी गिनती राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री की चेहरे के रूप में होने लगी. यही वजह है कि उपचुनाव से उन्होंने दूरी बना ली. हालांकि यादव ने साफ कर दिया था कि वे सीएम के चेहरे में शामिल नहीं हैं और न उनकी कोई ऐसी मंशा है. केंद्र में जिम्मेदारी बढ़ना और दूसरे प्रदेशों में विधानसभा चुनाव से जुड़ी जिम्मेदारी मिलने के कारण भी उन्होंने इस चुनाव में बड़ी भूमिका नहीं निभाई.
ओम प्रकाश माथुर की दूरी की वजह
पार्टी के राज्यसभा सांसद, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर के एक बयान से ये संकेत मिले थे कि माथुर की प्रदेश नेतृत्व से पहले जितनी नजदीकियां नहीं हैं. संभवत यही कारण है कि माथुर ने उपचुनाव के प्रचार में खुद को शामिल नहीं किया. उनसे समय जरूर मांगा गया था लेकिन उनकी ओर से समय नहीं मिल पाया.