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पूनिया के एज फार्मूले से अनुभवी नेता नहीं रखते इत्तेफाक, बोले- यह उनके व्यक्तिगत रुचि का बयान

प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के रिटायरमेंट एज फॉर्मूले को लेकर पार्टी के अंदरखेमे में उथलपुथल मची हुई है. कुछ युवा नेता भले ही इसका समर्थन करें लेकिन अनुभवी नेता पूनिया के इस एज फॉर्मूले (bjp senior leaders reaction on retirement age formula) से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. वे यह तक कह रहे हैं कि पूनिया का एज फार्मूला उनके व्यक्तिगत रुचि का बयान है.

bjp senior leaders reaction on retirement age formula
bjp senior leaders reaction on retirement age formula

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Published : Aug 4, 2022, 6:09 PM IST

जयपुर.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के 70 की उम्र के बाद राजनीति से रिटायरमेंट के 'एज फार्मूले' (poonia retirement age formula) से पार्टी के भीतर एक नया सियासी संग्राम खड़ा हो गया है. पूनिया भले ही अपने बयान से युवा नेता और कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल करने में जुटे हों लेकिन अनुभवी और खाटी नेताओं में पूनिया के बयान से नाराजगी है. ये नाराजगी पार्टी नेताओं के बीच खाई बनाने का काम कर रही है.

ईटीवी भारत ने 70 की उम्र पार कर चुके अनुभवी और सक्रिय भाजपा नेताओं से बात की तो उन्होंने पूनिया के बयान को व्यक्तिगत रुचि का बयान बताया. कुछ नेताओं ने यह तक कह डाला कि भारतीय जनता पार्टी के स्तर पर इस बारे में फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है. उन्होंने एक स्वर में प्रदेश अध्यक्ष (bjp senior leaders reaction on retirement age formula) के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया. वहीं, 70 साल से कुछ कम उम्र के वरिष्ठ नेताओं ने भी पूनिया के बयान का समर्थन नहीं किया है.

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व्यक्तिगत रुचि के बयानों पर बहस नहीं होनी चाहिए:कालीचरण सराफ
भाजपा के मौजूदा वरिष्ठ विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ से जब सतीश पूनिया के 'एज फार्मूले' से जुड़े बयान के बारे में प्रतिक्रिया ली गई तो 70 साल की उम्र पार कर चुके विधायक सराफ ने कहा कि यह समय कांग्रेस की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जनता के बीच जाने का है. ऐसे में व्यक्तिगत रुचि के बयानों पर बहस नहीं होना चाहिए. कालीचरण ने यह भी कहा कि जहां तक पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट की उम्र का सवाल है तो यह निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही कर सकता है और कोई नहीं.

पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट एज का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का, प्रदेश अध्यक्ष कैसे तय करेंगे: देवनानी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के रिटायरमेंट एज फार्मूले पर ईटीवी भारत ने 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा के मौजूदा वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी से भी बात की. देवनानी ने कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है, न कि प्रदेश स्तर का और जहां तक सतीश पूनिया के बयान की बात है तो उन्होंने स्वयं के बारे में ही यह बयान दिया होगा क्योंकि नीतिगत निर्णय केंद्र और पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड लेता है और संसदीय बोर्ड जो भी निर्णय लेगा हम सब लोग उसके अनुरूप काम करेंगे.

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अनुभवी नेता को उसकी तपस्या का और पार्टी को उसके अनुभव का लाभ मिलना चाहिए - नरपत राजवी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के इस फार्मूले पर पार्टी के मौजूदा वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे नरपत सिंह राजवी ने कहा कि यह पूनिया का व्यक्तिगत बयान है. भाजपा ने इस बारे में कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया है. राजवी के अनुसार राजनीति में अनुभव का बड़ा योगदान होता है और अनुभवी नेता को पार्टी में की गई उसकी तपस्या का लाभ मिलना चाहिए और पार्टी को भी उस नेता के अनुभव का लाभ मिलते रहना चाहिए. राजवी कहते हैं जो नेता लगातार चुनाव जीत रहा हो और 70 साल की उम्र के बाद भी लगातार सक्रियता से काम कर रहा हो उसपर उम्र की बाध्यता लागू हो ही नहीं सकती.

दंगल उम्र का नहीं सीएम की कुर्सी का है!
इससे पहले प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ भी पूनिया के 'एज फॉर्मूले' पर अपनी असहमति जता चुके हैं और कह चुके हैं कि राजनीति सेवा का माध्यम है और सेवा में उम्र कभी बाधक नहीं बनती. राठौड़ ने भी अनुभव पर जोर देते हुए यह तक कह डाला था कि अब तक प्रदेश में जो मुख्यमंत्री बने वह सब अनुभवी बने जिन्होंने अच्छे से राजस्थान की बागडोर संभाली. राजेंद्र राठौड़ का यह बयान भी अपने आप में काफी सियासी मैसेज देने वाला है. क्योंकि राठौड़ ने अपने इस बयान के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से यह जता डाला कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अब तक पुराने और अनुभवी नेता और विधायक ही पहुंचे हैं युवा नहीं.

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उम्र तो बहाना है युवाओं का समर्थन जो जुटाना है
दरअसल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र का जो शगूफा छोड़ा है वह ऐसे ही नहीं है, इसके पीछे कोई बड़ा सियासी कारण होगा. सियासत के जानकार कहते हैं कि पूनिया को जब राजस्थान भाजपा की कमान सौंपी गई तब भी पार्टी से जुड़े कई वरिष्ठ और खाटी नेता इससे नाराज थे. अधिकतर खाटी नेताओं ने आज तक पूनिया को दिल से स्वीकार नहीं किया. यह बात अलग है कि पूनिया के पास जब से भाजपा की कमान गई उसके बाद संगठन मजबूत हुआ लेकिन एकजुटता का अभाव इस दौरान नए और पुराने नेताओं के बीच देखा गया.

माना जा रहा है कि पूनिया ने इस बयान के जरिए पार्टी के उन सभी युवा नेता और कार्यकर्ताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश की है जिन्हें वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं के कारण आगे बढ़ने का मौका या फिर कहीं चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल पाया है. पूनिया अगले विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे तमाम युवा नेता, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का समर्थन जुटाना चाहते हैं.

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