जयपुर.राजस्थान में जिलों से लौटे पदाधिकारियों से भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने जमीनी हकीकत जानी. कहने को बूथ स्तर तक (Rajasthan Mission 2023) पदाधिकारियों ने पार्टी को मजबूत बताया, लेकिन जिलों में संगठन की मजबूती के लिए आने वाले दिनों में कुछ बदलाव की संभावना जरूर बनती दिख रही है.
दरअसल, पिछले दिनों 5 अगस्त तक पार्टी से जुड़े प्रदेश के 21 प्रमुख नेताओं ने अलग-अलग जिलों में 3 से 5 दिन तक प्रवास कर संगठनात्मक और राजनीतिक तौर पर वहां की जमीनी हकीकत जानी थी. इस दौरान संबंधित जिले के नेता व पदाधिकारी किस तरह काम कर रहे हैं और जो काम पार्टी ने उन्हें सौंपा है वो कितना धरातल तक पहुंच पाया, इन तमाम चीजों की जानकारी भी इन नेताओं ने जुटाई थी.
अपनी रिपोर्ट अब इन तमाम पदाधिकारियों ने प्रदेश नेतृत्व को सौंपी है. बुधवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने इन तमाम (BJP Politics in Rajasthan) पदाधिकारियों की बैठक ली. इस दौरान किन जिलों में पार्टी को और मजबूत करना है, उसके लिए क्या सुझाव है, वो तमाम सुझाव लिए गए.
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निष्क्रिय छुट्टी और सक्रिय नेताओं को मिल सकता है नया दायित्व : पार्टी राजस्थान में पूरी तरह चुनावी मूड में है. यही कारण है कि प्रदेश पदाधिकारी और प्रमुख नेताओं को जिलों में भेजकर फीडबैक जुटाया गया. इस दौरान जिलों के दिन पदाधिकारी और नेताओं की सक्रियता संगठनात्मक लिहाज से कम दिख रही है, उनकी रिपोर्ट भी प्रदेश नेतृत्व तक आई है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ जिलों में संगठनात्मक रूप से निष्क्रिय पदाधिकारियों की छुट्टी हो सकती है. वहीं, ऊर्जावान व सक्रिय कार्यकर्ताओं को पार्टी दायित्व देकर पार्टी को मजबूत कर सकती है. सियासी गलियारों में इस दृष्टि से कुछ मौजूदा जिला अध्यक्षों और मोर्चा में बदलाव की संभावना जताई जा रही है. हालांकि, अंतिम निर्णय पार्टी नेतृत्व को लेना है.
महिला टीचर को जिंदा जलाने की घटना प्रदेश सरकार की नाकामी : जमवारामगढ़ के रायसर में महिला टीचर को जिंदा जलाने की घटना (Jaipur Married Woman Burnt Alive) पर भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यह पहली घटना नहीं, बल्कि कई घटनाएं हो चुकी हैं जो प्रदेश सरकार के कामकाज की एक बानगी है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार संवेदनशील होती और प्रशासन सतर्क होता तो शायद यह घटना नहीं होती, लेकिन मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार की नाक के नीचे इस प्रकार की घटना का घटित होना दर्शाता है कि सरकार पूरी तरह असंवेदनशील हो चुकी है.
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