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कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन के काउंटर में भाजपा ने लगाई चौपालें...सुनिये क्या कहा किसानों ने

कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन के काउंटर में बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती पर देश भर में किसान सम्मेलनों का आयोजन किया. जयपुर के महेशवास कलां गांव में हुए बीजेपी के किसान सम्मेलन में ईटीवी भारत ने किसानों से बातचीत की तो अधिकतर किसान कृषि कानूनों के पक्ष में दिखे.

Kisan Sammelan in Jaipur, talks with farmers about agricultural laws
कृषि कानूनों के समर्थन में ये बोले किसान

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Published : Dec 25, 2020, 5:39 PM IST

जयपुर.केंद्रीय कृषि कानून को लेकर चल रही सियासत के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर भाजपा ने देश भर में किसान चौपालों का आयोजन किया. राजस्थान में भी पंचायत समिति स्तर पर किसान सम्मेलन हुए. जयपुर के महेशवास कलां गांव में हुए इस आयोजन में कृषि कानूनों पर हो रहे आंदोलन कितना उचित है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने किसानों से बात की.

कृषि कानूनों के समर्थन में ये बोले किसान

आसपास के गांवों से आए अधिकतर किसान बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि कानूनों के पक्ष में दिखे. हालांकि कार्यक्रम भाजपा का था, लिहाजा पार्टी विचारधारा से जुड़े कई किसान इसमें शामिल हुए थे. वहीं किसानों से पूछा गया कि आखिर केंद्रीय कृषि कानूनों में क्या खासियत है, जो किसानों के हित में सबसे अधिक फायदेमंद है. इस पर किसानों ने संपूर्ण देश में कहीं पर भी अपना माल बेचने की स्वतंत्रता को मौजूदा कृषि कानून की सबसे अहम खासियत बताया.

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हालांकि, तीनों ही कृषि कानूनों में और क्या-क्या खासियत इन कानूनों में है. इसकी संपूर्ण जानकारी यहां मौजूद कुछ ही किसानों को थी, जबकि अधिकतर किसान मोटे तौर पर उन्हीं फायदों को बता रहे थे, जो उन्हें अब तक समझाए गए हैं.

नहीं होनी चाहिए किसानों के नाम पर राजनीति...

यहां मौजूद किसान भले ही राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल हुए हों, लेकिन जिस प्रकार से केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर देश भर में सियासत चल रही है. वह उस के पक्ष में नहीं दिखे. किसानों का कहना था कि किसानों के नाम पर देश में सियासत नहीं होना चाहिए. वहीं, केंद्रीय कृषि कानून का जो विरोध हो रहा है उसको लेकर भी यहां आए किसानों का कहना था कि यह केवल विपक्ष का विरोध है, जबकि मौजूदा कानून में ऐसे कोई प्रावधान नहीं है, जिससे किसानों का अहित हो.

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