जयपुर.नगर निगम चुनाव में इस बार बीजेपी में पार्टी के विधायकों की कम ही चली. आलम ये रहा कि पहले पार्षदों के टिकट में विधायकों की राय कम ही मानी गई तो वहीं अब महापौर प्रत्याशी चयन में तो पार्टी ने क्षेत्रीय विधायकों की राय तक लेना उचित नहीं समझा. इन चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को भी संगठन ने पूरी तरह भुला दिया. यही कारण है कि पार्टी के भीतर संगठनों और विधायकों के बीच एक लंबी खाई खींचती नजर आने लगी है.
संगठन और विधायकों के बीच शुरू हुआ यह मनमुटाव गुरुवार को महापौर पद प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान भी देखा गया. जिसमें जयपुर नगर निगम ग्रेटर में भाजपा महापौर प्रत्याशी सौम्या गुर्जर के नामांकन के दौरान बीजेपी का जयपुर शहर से आने वाला एक भी मौजूदा विधायक नजर नहीं आया. जबकि जयपुर नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र में विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी के साथ ही पूर्व संसदीय सचिव कैलाश वर्मा और पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत दिखे.
हालांकि, राजपाल सिंह शेखावत कोरोना से पीड़ित हैं, लेकिन अन्य विधायक या पूर्व विधायक सौम्या गुर्जर के नामांकन के दौरान नहीं पहुंचे. अब ये तकरार खुलकर सामने आई तो यह भी संभव है कि पार्टी को महापौर चुनाव में क्रॉस वोटिंग का दंश झेलना पड़े.