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Rajasthan Assembly: राज्यपाल ने जो बिल लौटाया उसे संशोधन कर विधानसभा में किया पारित, भाजपा ने जताई आपत्ति - etv bharat Rajasthan news

राज्यपाल की ओर से 2020 में लौटाए गए बिल को कुछ संशोधन के साथ विधानसभा में दोबारा प्रस्तुत कर दिया गया है. इस संशोधित विधेयक के पारित होने पर भाजपा ने आपत्ति (BJP objection on the amendment bill pass) जताई है.

BJP objection on the amendment bill pass
BJP objection on the amendment bill pass

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Published : Sep 21, 2022, 5:22 PM IST

जयपुर. मार्च 2020 में जिस राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक को कुछ टिप्पणियों के साथ वापस लौटा दिया गया था, बुधवार को उसी विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ सदन में पारित कर दिया गया. हालांकि भाजपा ने इसमें किए गए संशोधनों पर आपत्ति (BJP objection on the amendment bill pass) जताई है जबकि सत्ता पक्ष ने बार काउंसिल के सुझाव पर ही संशोधन किए जाने की बात कही है.

दरअसल 7 मार्च 2020 को राजस्थान विधानसभा में अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक 2020 को पारित किया गया था लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र ने 1 साल बाद 2021 में इस विधेयक को कुछ टिप्पणियों के साथ वापस लौटा दिया था. सदन में जब इस विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इसका हवाला दिया और यह भी कहा कि राजस्थान को कहीं पश्चिम बंगाल मत बना देना. उन्होंने कहा था कि राज्यपाल ने जिन टिप्पणियों और आपत्तियों के साथ इस बिल को भेजा था उसमें सुधार करना बेहद जरूरी है लेकिन सरकार ने इसमें जल्दबाजी में संशोधन किया है.

भाजपा ने जताई आपत्ति

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राठौड़ ने कहा कि राज्यपाल के अधिकारों का हनन मौजूदा गहलोत सरकार लगातार करती आई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस संशोधन विधेयक के साथ पूर्व में लाए गए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को भी याद कर ले जो अब तक नहीं लाया जा सका है. राठौड़ ने इस दौरान घड़साना में विजय सिंह रींगस में हंसराज की आत्महत्या घटना का भी इस दौरान जिक्र किया.

सदन में भाजपा विधायक अविनाश गहलोत ने संशोधन बिल में वकालतनामा के साथ स्टाम्प ड्यूटी के रूप में 100 रुपए के चार्ट को कम करने की मांग की. साथ ही यह भी कहा कि इसका सीधा असर वकील पर नहीं बल्कि उसके क्लाइंट पर पड़ेगा. इसलिए वेलफेयर टिकट के नाम पर अधिक भार नहीं बढ़ाना चाहिए. साथ ही सरकार को अपनी तरफ से इस फंड में कुछ अंशदान करना चाहिए.

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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस संशोधन में वकीलों के दुर्घटना बीमा (Kataria on advocates accidental insurance) के लिए बनाए गए 5 साल से 50 साल तक के स्लैब पर आपत्ति जताई. कटारिया ने कहा कि 5 साल की सदस्यता वाले वकील को 50 हजार और 50 साल तक सेवाएं देने वाले वकील को 15 लाख रुपए की राशि देना बहुत कम है क्योंकि आज सरकारी कर्मचारी जब रिटायर होता है तो उससे कहीं ज्यादा अधिक राशि उसे मिल जाती है. कटारिया ने कहा कि पूर्व के राज्य बजट में वकीलों के कल्याण के लिए जो 10 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया था उसके बारे में भी सरकार बताए और इस विधेयक को जनमत जानने के लिए भेजे.

बार काउंसिल के सुझाव के आधार पर लाए गए हैं संशोधन: बीडी कल्ला
संशोधन विधेयक पर चर्चा में जवाब देते हुए मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि इस संशोधित विधेयक (minister bd kalla on amendment bill pass) में जो भी बदलाव लाए गए हैं वह बार काउंसिल के सुझाव के तहत ही लाए गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया राजस्थान से मिले सुझाव के आधार पर ही इस संशोधन विधेयक को तैयार कर सदन में रखा है.

विधेयक में किए गए ये संशोधन
राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक के जरिए सरकार ने जो संशोधन किए हैं उसमें सदस्यता फीस 1 लाख से घटाकर 80 हजार की गई.साथ ही दुर्घटना बीमा की राशि में संशोधन किया गया. वकालतनामा में स्टांप और वेलफेयर के नाम पर ली जाने वाली जो 50 रुपए की राशि थी उसे भी बढ़ाकर 100 कर दी गई जो हर साल 1 जुलाई से 10 रुपये बढ़ाई जाएगी. इसी तरह अधिवक्ताओं के दुर्घटना बीमा के लिए 5 वर्ष के अनुभव से लेकर 50 वर्ष तक के अनुभव के आधार पर दुर्घटना बीमा और मदद के लिए अलग-अलग स्लैब बनाए गए हैं.

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