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निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा, प्रमुख नेताओं को दी जिम्मेदारियां

इस साल के अंत में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारी में भाजपा जुट गई है. इसको लेकर बुधवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में एक अहम बैठक हुई. बैठक में निकाय चुनाव को लेकर प्रदेशभर से आए प्रमुख नेताओं से सुझाव भी लिए गए. बताया जा रहा है कि स्मार्ट भाजपा हर निकाय में वहां के स्थानीय मुद्दों के अनुसार अपना घोषणा पत्र जारी करेगी.

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Published : Sep 4, 2019, 8:54 PM IST

jaipur news, राजस्थान निकाय चुनाव की खबर

जयपुर.प्रदेश में विधानसभा चुनाव की हार के बाद लोकसभा चुनाव में मिली फतेह को भाजपा निकाय चुनाव में भी जारी रखना चाहती है. यही कारण है कि इस माह के अंत में होने वाले प्रदेश के 51 निकायों के चुनाव की तैयारियों में भाजपा नेता अभी से जुट गए हैं.

निकाय चुनाव को लेकर भाजपा की जयपुर में बैठक

पार्टी मुख्यालय में इस सिलसिले में बुधवार को हुई अहम बैठक में प्रदेशभर से आए प्रमुख नेताओं से सुझाव लिए गए. किसी ने इन चुनाव में स्थानीय मुद्दों के आधार पर ही हर निकाय के लिए अलग घोषणापत्र बनाने का सुझाव दिया तो किसी ने इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों के साथ केंद्र सरकार के आर्टिकल 370 और 35ए हटाने और पिछली बीजेपी सरकार के जनकल्याणकारी फैसला को भी इस चुनाव में जनता के बीच रखने का सुझाव दिया. बैठक को उप नेता राजेंद्र राठौड़ प्रदेश प्रवक्ता सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने संबोधित किया.

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वहीं, बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू हुए सतीश पूनिया ने कहा कि भाजपा निकाय चुनाव में प्रदेश सरकार की स्थिति और भाजपा की तैयारी के आधार पर अच्छी खासी जीत दर्ज करेगी. बैठक में यह भी तय किया गया कि निकाय चुनाव में बूथ मैनेजमेंट और चुनाव के प्रबंधन से जुड़े काम करवाने के लिए एक-एक विस्तारक तैनात किया जाएगा. चुनाव में प्रचार में प्रदेश की गहलोत सरकार की विफलता, खासतौर पर बढ़ते अपराध को गिनाने की तैयारी है, ताकि जनता का ध्यान प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर जाए और उसका फायदा भाजपा को मिल पाए. उप नेता राजेंद्र राठौड़ के अनुसार प्रदेश की गहलोत सरकार हर मोर्चे पर विफल है और यही विफलता भाजपा निकाय चुनाव में जनता के बीच लेकर जाएगी.

निकाय चुनाव से पहले प्रदेश में हुए वादों के पुनःसीमांकन को लेकर भी भाजपा नेताओं में खलबली मची है, जिसकी चर्चा इस बैठक में हुई. हालांकि प्रदेश नेताओं ने सभी कार्यकर्ताओं को यह साफ कर दिया कि इस पुनर्सीमांकन के बाद जिन मुद्दों पर भाजपा की स्थिति अपेक्षाकृत कम है, वहां के लिए विशेष रणनीति बनाई जाए और वहां का जिम्मा संबंधित मोर्चे और नेताओं को सौंपा जाए.

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