जयपुर.राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवाड़ी के पक्ष में मतदान करने के मामले में भाजपा ने धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाहा को बीजेपी से निष्कासित (BJP expelled ShobhaRani Kushwaha) कर दिया है. पार्टी ने पहले कुशवाहा को नोटिस जारी कर 19 जून तक अपना स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था, लेकिन विधायक ने उसके बाद 11 जून को ही प्रेस नोट जारी कर पार्टी नेतृत्व पर ही अनर्गल टिप्पणी कर डाली. जिसके बाद बीजेपी केंद्रीय अनुशासन समिति ने शोभारानी को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है.
भाजपा अनुशासन समिति के सदस्य ओम पाठक ने इस संबंध में शोभारानी कुशवाहा को निष्कासन का पत्र भी भेज दिया है. पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि केंद्रीय अनुशासन समिति ने शोभारानी कुशवाहा के 11 जून 2022 को जारी किए गए प्रेसनोट को ही उनका बयान मानते हुए यह कार्रवाई तत्काल प्रभाव से की है. पार्टी ने 11 जून को प्रेस नोट के जरिए मीडिया में दिए गए शोभारानी कुशवाहा के बयानों को भारतीय जनता पार्टी के संविधान के रूल्स की धारा 25 और 10 ए, बी, सी और डी के प्रावधानों का घोर उल्लंघन माना है.
पढ़ें- भाजपा विधायक शोभारानी ने किया पलटवार, प्रदेश नेतृत्व पर लगाए आरोप...सांसद किरोड़ी मीणा बोले पार्टी से किया विश्वासघात
अनुशासन समिति ने पार्टी निष्कासन के साथ ही पार्टी की ओर से दिए गए सभी दायित्व से भी शोभारानी कुशवाहा को मुक्त कर दिया. साथ ही विधायक होने के नाते अनुशासन कि जिन सीमाओं और मर्यादाओं को लांघा गया है उस पर अलग से कार्रवाई किए जाने की बात भी पत्र में लिखी है.
शोभारानी ने कहा था कि वर्ष 2017 में मैं और मेरा कुशवाह समाज चलकर भाजपा से टिकट लेने नहीं गया. आरोप लगाया कि मेरे परिवार को तबाह करके भाजपा ने पूरे प्रदेश के कुशवाह समाज को साधने के लिए मुझे टिकट दिया. समाज के प्रदेश अध्यक्ष और समाज के बीच मौजिज लोगों के बीच भाजपा ने जो वादे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया. निलंबन के बाद पत्र में विधायक ने कड़े शब्दों में कहा कि एक नेता की पहचान उसके कार्यकर्ता से होती है पार्टी से नहीं.
पढ़ें- बीजेपी की रीति-नीति से खफा हैं शोभा रानी, कांग्रेस में स्वागत है- गिर्राज सिंह मलिंगा
गौरतलब है कि 10 जून को राजस्थान राज्यसभा की 4 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा विधायक शोभारानी कुशवाहा ने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन कर कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवाड़ी के पक्ष में मतदान किया था. जिसके तुरंत बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था. साथ ही केंद्रीय अनुशासन समिति ने उन्हें नोटिस जारी कर 19 जून तक जवाब मांगा था.