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राजस्थान भाजपा में थमने लगा पोस्टर वार! वसुंधरा का ये मैसेज कर रहा बहुत कुछ इशारा... - Rajasthan hindi news

राजस्थान भाजपा की राजनीति में अब आपसी कलह या यूं कहें कि नेताओें के बीच की दूरियां कम होती नजर आने लगी हैं. इसकी झलक वसुंधरा राजे के झालावाड़ में 'सांसद-विधायक आपके द्वार' कार्यक्रम में दिखाई दी. कार्यक्रम में लगे होर्डिंग में वसुंधरा राजे में पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (vasundhara gave place to poonia in poster) को भी जगह दी थी. ऐसे में यह पहल भाजपा के लिए अच्छे संकेत हैं.

BJP poster war ending
वसुंधरा के पोस्टर में पूनिया को भी स्थान

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Published : Jun 17, 2022, 4:34 PM IST

जयपुर.राजस्थान भाजपा में होर्डिंग-पोस्टर और नेताओं के चेहरे को लेकर सियासी जंग नई नहीं है लेकिन अब नेताओं के बीच की दूरियां अब पाटने की कोशिश शुरू हो गई है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इसकी पहल झालावाड़ में 'सांसद-विधायक आपके द्वार' और जनसुनवाई कार्यक्रम में लगाए गए हार्डिंग पोस्टरों से की है. पोस्टर्स में पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के चेहरे को भी जगह (vasundhara gave place to poonia in poster) मिली है. खुद राजे ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को इसके निर्देश दिए थे और इसकी जानकारी भी मीडिया में साझा की.

आखिर क्या सियासी मैसेज देना चाहती है वसुंधरा राजे
राजस्थान भाजपा नेताओं में चल रहा शीतयुद्ध और गतिरोध किसी से छुपा नहीं है. खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के बीच सियासी रिश्ते कुछ ज्यादा ठीक नहीं थे. पूनिया के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पोस्टर को लेकर सबसे बड़ी जंग तब शुरू हुई थी जब प्रदेश भाजपा मुख्यालय के बाहर लगे बड़े होर्डिंग को बदल दिया गया और और नए होर्डिंग से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के फोटो को भी गायब कर दिया गया था. हालांकि प्रदेश के नेताओं ने इसे पार्टी नेतृत्व की गाइडलाइन बताया थे लेकिन वसुंधरा समर्थकों ने इसका खुलकर विरोध किया था. वसुंधरा राजे ने भी इस मामले में कहा था कि वो पोस्टर में नहीं लोगों और जनता के दिलों में रहती हैं.

मंच पर साथ दिखने लगे नेता

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तब रिश्ते कड़वाहट से भरे थे लेकिन अब इसमें सुधार होता दिख रहा है. वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह के सियासी कार्यक्रम में खुद पूर्व सीएम यदि होर्डिंग-पोस्टर में केंद्रीय नेताओं के साथ सतीश पूनिया का फोटो लगवाएं और इसकी जानकारी मीडिया में जारी भी करवाएं तो यह अपने आप में एक बड़ा संदेश है कि रिश्तों की कड़वाहट भुलाने की कोशिश शुरू हो चुकी है. 'सबका साथ सबका विकास' की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए भाजपा तैयारी कर रही है.

क्या अगले सीएम फेस की लड़ाई भी खत्म
जिस तरह सियासी सुलह का मैसेज पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से दिया जा रहा है उसके बाद यह सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या राजस्थान भाजपा नेताओं में अगले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चल रहा शीतयुद्ध भी थम गया है. फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि प्रदेश में अब भी अगले मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में कई बड़े नेताओं का नाम शुमार है लेकिन जिस तरह के निर्णय पार्टी आलाकमान ले रहा है, उसके बाद किसी भी नेता का समर्थन करने से कार्यकर्ता बयानबाजी कर रहे हैं.

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कार्यसमिति की बैठक में तिवाड़ी-कटारिया से नजदीकी के फोटो भी कर रहीं इशारा...
हाल ही में कोटा में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में वसुंधरा राजे के जो फोटो सोशल मीडिया पर जारी किए गए हैं उनमें राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के साथ की कुछ फोटो चर्चा में रहीं. क्योंकि यह फोटो वसुंधरा राजे के सोशल मीडिया टीम ने जारी किए इसलिए इसके भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. खासतौर पर घनश्याम तिवाड़ी हो या फिर गुलाबचंद कटारिया ये वह नेता है जो पूर्व में वसुंधरा राजे के घोर विरोधी रहे हैं. इन्हीं नेताओं के साथ राजे की तस्वीरें राजस्थान भाजपा में बदलते सियासी समीकरणों की ओर इशारा कर रहे हैं.

राज्यसभा चुनाव के साथ ही दिखने लगे बदलाव के समीकरण
राजस्थान भाजपा की राजनीति में जो नए सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं उसकी शुरुआत हाल ही में 4 सीटों पर हुए राज्यसभा के चुनाव के दौरान हुई जब पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा राजे के घोर विरोधी माने जाने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को अपना प्रत्याशी बनाया. हालांकि प्रत्याशी बनाए जाने के औपचारिक एलान से पहले ही वसुंधरा ने खुद तिवाड़ी को फोन कर अग्रिम बधाई दी थी और तिवाड़ी ने भी प्रत्याशी घोषित होने के बाद वसुंधरा राजे के निवास पहुंचकर पुराने गिले-शिकवे दूर करने की पहल की थी. हालांकि तिवाड़ी को प्रत्याशी बनाकर आलाकमान ने राजस्थान भाजपा से जुड़े नेताओं को यह मैसेज तो दे दिया था कि पार्टी सियासी दबाव से नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से ही फैसले होंगे. शायद यही सियासी मैसेज था जिसके बाद राजस्थान की राजनीति भी अब समय के साथ बदल रही है.

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