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गहलोत कैबिनेट के फैसले पर पूनिया बोले- वादे से मुकरी सरकार तो कटारिया ने कहा- ये थूक कर चाटने वाली बात

गहलोत कैबिनेट ने प्रदेश में निकाय प्रमुख के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय क्या लिया, भाजपा नेताओं ने प्रदेश सरकार पर जुबानी हल्ला बोल दिया. सोमवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों ने एक साथ इस फैसले को आड़े हाथों लिया.

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Published : Oct 14, 2019, 8:39 PM IST

Updated : Oct 14, 2019, 9:11 PM IST

जयपुर.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गहलोत सरकार पर अपने ही जन घोषणा पत्र से मुकरने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35a हटाए जाने के निर्णय से देशभर में उपजे राष्ट्रवाद से घबरा गई है. जिसके चलते प्रदेश सरकार ने अपने ही पुराने निर्णय को बदल दिया. वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने गहलोत कैबिनेट के फैसले को कांग्रेस द्वारा थूक कर चाटने के सामान करार दिया.

गहलोत कैबिनेट के फैसले पर भाजपा का हमला

किसी भी प्रणाली से कराएं चुनाव, जीत भाजपा की होगी : पूनिया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार कांग्रेस पहले प्रत्यक्ष प्रणाली से निकाय प्रमुख के चुनाव कराना चाहती थी. लेकिन जब केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35a हटाने जैसे बड़े कदम उठाए और उसके बाद देशभर में जिस प्रकार राष्ट्रवाद की अलख जगी, उससे कांग्रेस घबरा गई है. इसी घबराहट में प्रदेश की गहलोत सरकार ने अपने ही पुराने फैसले को पलट दिया.

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पूनिया के अनुसार चाहे प्रदेश में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हो या अप्रत्यक्ष प्रणाली से, निकायों में भी भाजपा अपनी ऐतिहासिक जीत दर्ज कराएगी. पूनिया के अनुसार प्रदेश सरकार ने वार्डों के पुनर्सीमांकन को धर्म और मजहब के नाम से करते हुए तोड़फोड़ की. बावजूद इसके, बीजेपी को विश्वास है कि जनता निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को नकार देगी. उन्होंने कहा कि जनता कांग्रेस के मुंगेरीलाल के हसीन सपने कभी पूरा नहीं होने देगी.

गहलोत सरकार का निर्णय थूक कर चाटने के समान : कटारिया
वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. कटारिया ने कहा है कि भाजपा हमेशा से प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव कराने के पक्ष में थी, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में निकाय प्रमुखों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का वादा किया और सत्ता में आते ही अध्यादेश निकालकर विधानसभा में इसे कानून का शक्ल भी दे दी.

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लेकिन अब अपने ही इस निर्णय पर सरकार पलट गई है, जो थूक कर चाटने के समान है. कटारिया के अनुसार 'लौट के बुद्धू घर को आए' अच्छी बात है, लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को नहीं मिलने वाला. क्योंकि जिस सरकार में यह स्थिति ना हो कि वह कोई भी निर्णय पहले सोच समझकर ले और उसके बाद लागू करे तो ऐसी सरकार और जनता कभी भी पसंद नहीं करेगी.

Last Updated : Oct 14, 2019, 9:11 PM IST

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