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जयपुर: बायो मेडिकल वेस्ट बना निगम के लिए चुनौती, प्राइवेट कंपनी को दे रखी है जिम्मेदारी

कोविड-19 की वजह से बड़ी तादात में बायो मेडिकल कचरा निकल रहा है. क्वॉरेंटाइन सेंटर, शेल्टर होम, अस्पताल और अब घरों से भी बड़ी संख्या में बायो मेडिकल वेस्ट निकल रहा है. जिससे एक तरफ निगम के सफाई कर्मचारियों में डर बना हुआ है. वहीं प्राइवेट कंपनी को ठेका दिए जाने के बावजूद निगम के लिए इसका प्रबंधन बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.

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बायो मेडिकल वेस्ट बना निगम के लिए चुनौती

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Published : May 9, 2020, 8:02 PM IST

जयपुर. कोरोना वायरस अपने साथ बहुत सारी चुनौतियां लेकर आया है. उनमें से एक है कोरोना की वजह से निकलने वाला कचरा. कोविड-19 के ट्रीटमेंट डायग्नोसिस और क्वॉरेंटाइन के दौरान तमाम तरह की चीजों का इस्तेमाल होता है. यही नहीं हर घर से मास्क, ग्लव्स का बेस्ट भी निकल रहा है. वेस्ट एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर दिन हर राज्य से औसतन 1 से 1.5 टन कोविड वेस्ट निकलता है. यह कचरा प्रदेश में सफाई व्यवस्था का काम देख रहे नगरीय निकायों के लिए चुनौती बना हुआ है.

बायो मेडिकल वेस्ट बना निगम के लिए चुनौती

हालांकि जयपुर नगर निगम ने इसकी जिम्मेदारी एक प्राइवेट कंपनी को सौंप रखी है. बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटर से जो बायो वेस्ट निकल रहा है, उसे इंस्ट्रोमेडिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका देकर कलेक्ट कर, उसे डिस्पोज किया जा रहा है. वहीं यदि घरों से कोई बायो मेडिकल वेस्ट जनरेट होता है, उसके लिए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर में अलग से लाल रंग का डिब्बा लगाया गया है. इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है कि लोग बायोमेडिकल वेस्ट को नार्मल वेस्ट में मिक्स ना करें. आखिर में इसे एक जगह एकत्र कर जहां इंस्ट्रोमेडिक्स का वेस्ट डिस्पोज होता है, वहीं डिस्पोज किया जा रहा है.

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इसे लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने गाइडलाइंस जारी की है. जिसके तहत कोविड कचरा कलेक्शन करने वाले कर्मचारियों को पीपीई दी जानी चाहिए. जिसे वो हर वक्त पहन कर रखें. इसमें थ्री लेयर मास्क, गाउन, हेवी ड्यूटी ग्लव्स, गम बूट, सेफ्टी गोगल शामिल हैं. बीते दिनों भामाशाहों की मदद से निगम ने 2000 पीपीई किट सफाई कर्मचारियों को उपलब्ध भी कराई थी, लेकिन अभी इसका इस्तेमाल हो नहीं रहा है.

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