जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा में राजस्थान माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2021 बिल पास करने के लिए सदन के पटल पर रखा. लेकिन विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इस बिल का विरोध करते हुए जनमत जानने के लिए प्रवर समिति को भेजने की मांग की.
विपक्ष की मांग पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि विपक्ष सदस्यों ने राजस्थान माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2021 को प्रवर समिति को भेजने की मांग की है. उसके लिए वो तैयार हैं, लेकिन पहले यह बताए कि आखिर इस बिल का विपक्ष के द्वारा विरोध क्यों ? जबकि इस संशोधन बिल में कांग्रेस सरकार ने एक लाइन भी न हटाई और न जोड़ी. जो बिल केंद्र सरकार ने भेजा उसी को अक्षरसः सदन में रखा गया है.
ऐसे में अब जब केंद्र में बीजेपी की सरकार है जो इस बिल को लेकर आई. उसी बिल का विरोध यहां बीजेपी के सदस्य जो सदन में मौजूद हैं वो कर रहे हैं. धारीवाल ने कहा कि विपक्ष इस बिल का विरोध तब करती जब हम इसमें कुछ काटछांट करते. लेकिन ऐसा लग रहा है कि सदन में बैठे बीजेपी के सदस्यों को केंद्र सरकार का यह बिल रास नहीं आ रहा है. धारीवाल यहीं नहीं रुके और इसके बाद कहा कि जो भी बीजेपी के साथी इसका विरोध कर रहे हैं, उनका नाम लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजूंगा और उनसे कहूंगा कि आप ही कि पार्टी के विधानसभा सदस्य इस बिल का विरोध कर रहे हैं. धारीवाल के इस बयान के बाद विपक्ष बैकफुट पर आ गया.
हालांकि, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जवाब देते हुए कहा कि यह वही राजस्थान माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2021 है जो सदन में रखा गया है, उसको लेकर सत्ता पक्ष ने यह साफ नहीं किया कि आखिर किन कारणों और उद्देश्य को लेकर रखा गया है. राजस्थान की अर्थ व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा. कौन सी जीएसटी की बैठक में इस पर चर्चा की गई. राठौड़ ने कहा कि हमने जो इस बिल का जनमत जानने का प्रस्ताव रखा वो इसलिए था कि आखिर किन उद्देश्य और कारणों के चलते इस बिल को सदन में रखा गया. यह जानने का अधिकार सदन में बैठे सभी सदस्यों का है.