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Special: 2 सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों में पिछड़ी भाजपा के सामने है ये बड़ी चुनौतियां

राजस्थान में 2 विधानसभा सीट वल्लभनगर और धरियावद में होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान अब तक नहीं हुआ है. लेकिन, 2 सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों में पिछड़ी भाजपा के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. वहीं, मेवाड़ की इन दोनों सीटों के परिणाम भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य भी तय करेंगे.

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Published : Jul 20, 2021, 10:24 PM IST

Rajasthan by election 2021, Rajasthan BJP
राजस्थान उपचुनाव

जयपुर.राजस्थान (Rajasthan) में 2 विधानसभा सीट वल्लभनगर और धरियावद में भले ही उपचुनाव (By Election) की तारीखों का ऐलान अब तक न हुआ हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. हालांकि, बीजेपी (BJP) इसमें कांग्रेस (Congress) से थोड़ी पीछे नजर आ रही है. वहीं, RLP ने फिलहाल इन उपचुनाव (Rajasthan By Election) को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मेवाड़ की इन दोनों सीटों के परिणाम भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य भी तय करेंगे.

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दरअसल, 16 जुलाई को कांग्रेस (Rajasthan Congress) ने तो इन दोनों की सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 7-7 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया था, जिसमें 1-1 प्रभारी मंत्री 2 विधायक और पदाधिकारियों को शामिल किया गया. लेकिन, बीजेपी (Rajasthan BJP) ने फिलहाल इन सीटों को लेकर कोई कमेटी का गठन नहीं किया है.

उपचुनाव की तैयारियों में पिछड़ी भाजपा के सामने है ये बड़ी चुनौतियां

हालांकि, पिछले उपचुनाव के दौरान वल्लभनगर सीट (Vallabhnagar) को लेकर पार्टी ने जिन नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी वह अभी यथावत है. लेकिन धरियावद सीट (Dhariawad) के मामले में भाजपा में शुरुआती तैयारी भी शुरू नहीं हो पाई है. नियम अनुसार सीट खाली होने के 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराना जरूरी होता है और वल्लभनगर सीट पर मौजूदा विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत (Gajendra Singh Shaktawat) के निधन को 20 जुलाई को 6 महीने पूरे हो जाएंगे, लेकिन कोरोना (Corona) कालखंड के कारण इन सीटों पर उपचुनाव की तारीख आगे बढ़ सकती है.

पिछले विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) के दौरान इन सीटों की स्थिति की बात करें तो वल्लभनगर में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और धरियावद में भाजपा (BJP) के गौतम लाल मीणा विधायक थे. बीजेपी की दृष्टि से धरियावद सीट जीत के लिए उपयुक्त है क्योंकि साल 2003, 2013 और 2018 में यहां भाजपा के ही दिवंगत नेता गौतम लाल मीणा (Gautam Lal Meena) विधायक रहे हैं. जबकि साल 2008 में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में थी.

इसी तरह उदयपुर की वल्लभनगर सीट को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) भाजपा के परंपरागत सीट तो बताते हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव का इतिहास कुछ और गवाही देता है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत यहां से जीते थे, लेकिन दूसरे स्थान पर निर्दलीय रणधीर सिंह भिंडर और तीसरे स्थान पर बीजेपी प्रत्याशी रहे थे.

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वहीं, साल 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय रणधीर सिंह भिंडर ने जीत हासिल की थी और दूसरे स्थान पर कांग्रेस (Congress) के गजेंद्र सिंह शक्तावत रहे थे. साल 2008 में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही थी, लेकिन उससे पहले साल 2003 में रणधीर सिंह भिंडर भाजपा के टिकट से यहां विधायक बने थे. हालांकि, साल 2013 में गुलाबचंद कटारिया की खिलाफत के बाद बीजेपी ने भिंडर को टिकट नहीं दिया, जिससे उन्होंने निर्दलीय जनता सेना के बैनर तले ही चुनाव लड़ा था. मतलब मौजूदा उपचुनाव में भी केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि रणधीर सिंह भिंडर भी बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होंगे.

वल्लभनगर क्षेत्र में अपना प्रभाव रखने वाले रणधीर सिंह भिंडर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के नजदीकी माने जाते हैं. करीब 6 महीने पहले भिंडर ने दिल्ली पहुंचकर वसुंधरा राजे से परिवार के साथ मुलाकात भी की थी, लेकिन उदयपुर संभाग के सबसे बड़े भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) उनके खिलाफ हैं. यही कारण है कि भिंडर की यदि भाजपा में वापसी की चर्चा भी हुई तो कटारिया उसमें सबसे बड़ा रोड़ा रहेंगे. ऐसे में रणधीर सिंह भी इन उपचुनाव में ताल ठोकेंगे.

पिछले दिनों राजस्थान की 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सक्रिय नहीं रही, जिसके चलते केवल राजसमंद सीट पर ही बीजेपी जीत दर्ज कर पाई और सहाड़ा व सुजानगढ़ सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. वर्तमान में भी प्रदेश भाजपा में नेताओं के अलग-अलग गुट बने हुए हैं और यही अंतरकलह इन उपचुनावों में भी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है. ऐसे में समय रहते इसमें सुधार करना बेहद जरूरी है.

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उधर, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने पिछले उपचुनाव में तीनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार वल्लभनगर और धरियावद सीट पर उपचुनाव में आरएलपी अपने प्रत्याशी खड़ा करें. हालांकि, आरएलपी ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. संभवत: चुनाव आयोग की ओर से उप चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद शायद आरएलपी सुप्रीमो बेनीवाल अपने पत्ते खोल दें. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया कहते हैं कि बीजेपी ने इन सीटों पर संगठनात्मक दृष्टि से तैयारी बहुत पहले शुरू कर दी है, फिर चाहे विस्तारक लगाने का काम हो या फिर संगठन की बैठकें हों.

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