जयपुर.कोरोना बीमारी से लड़कर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में देश के सामने जो मिसाल पेश की है, उसके बाद इसे उपचार पद्धति और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए देश में विशेष नजरिए से देखा जाने लगा है. इसके पीछे कारण यह है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भीलवाड़ा को मॉडल जिले के रूप में पेश करते हुए जमकर इसकी प्रशंसा की.
भीलवाड़ा मॉडल रामगंज में विफल भीलवाड़ा कलेक्टर राजेंद्र भट्ट रातों-रात देश की सुर्खियों का हिस्सा बन गए और कहा जाने लगा कि कोरोना से अगर लड़ाई जीतना है तो फिर भीलवाड़ा को मिसाल के रूप में पेश किया गया. लेकिन मंगलवार, 21 अप्रैल की सुबह 9:00 बजे की रिपोर्ट में इसकी उजली तस्वीर को ना सिर्फ धुंधला कर दिया, बल्कि सरकार पर भी सवाल खड़े कर दिए.
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जाहिर है कि इस रिपोर्ट में भीलवाड़ा से 4 और लोगों को कोरोना वायरस पॉजिटिव बताया गया है. मतलब साफ है कि भीलवाड़ा से अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ, जबकि 2 दिन पहले ही जिले को कोरोना मुक्त घोषित किया गया था और ऐसी जल्दबाजी लगभग 2 हफ्ते पहले भी स्थानीय प्रशासन और सरकार की तरफ से दोहराई गई थी. अब सवाल यह है कि इस मुश्किल घड़ी में श्रेय लेने की होड़ क्या इतना ज्यादा जरूरी है कि आप हकीकत का सामना नहीं करते, धरातल के हालात को नहीं देखते और खुद की पीठ थपथपाने के लिए बस एलान कर दिया जाता है.
भीलवाड़ा में आए 4 नए मरीज
मंगलवार को भीलवाड़ा में आए 4 कोरोना वायरस के मरीजों ने राजस्थान सरकार को आईना दिखा दिया. ये वे लोग हैं जिन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया था. भीलवाड़ा एक मसला है तो राजस्थान के लिए जयपुर का रामगंज क्षेत्र भी कम परेशानी का सबब नहीं है. हाल के दिनों में राजस्थान सरकार के मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक भीलवाड़ा के बाद रामगंज को लेकर खुद की पीठ थपथपाते हुए नजर आए हैं.
बीते हफ्ते लगातार 3 दिनों तक रामगंज से सुखद खबरें मिली थी. ऐसे हालात में जल्दबाजी दिखाते हुए चिकित्सा मंत्री और परिवहन मंत्री दोनों ही दावों में रामगंज मॉडल का जिक्र करने लग गए थे, लेकिन उसके बाद रविवार, सोमवार और मंगलवार को एक के बाद एक पॉजिटिव मामलों की फेहरिस्त ने राजस्थान के मुंह पर कालिख पोतने वाले आंकड़ों को सबके सामने जाहिर कर दिया.
8 हजार सैंपल्स के रिपोर्ट आना बाकी
बीते 3 दिनों में लगभग 100 के आसपास मामले सिर्फ रामगंज से पॉजिटिव आए हैं. ऐसे हालात में सरकार की यह जल्दबाजी महज हालात में माखौल उड़ाने जैसा है. ऐसे में खुद चिकित्सा मंत्री ने भी बीते दिनों ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में इस बात को स्वीकार किया था कि पेंडिंग चल रहे सैंपल्स की रिपोर्ट आने के बाद पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ेगी. 21 तारीख की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में अभी 8 हजार के आसपास सैंपल्स की रिपोर्ट आना बाकी है.
वहीं, भीलवाड़ा शहर से ही सैकड़ों सैंपल जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और रामगंज के आंकड़ों को लेकर खुद राजस्थान सरकार पसोपेश में है तो फिर यह जल्दबाजी क्यों? समझना चाहिए कि बीते दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस बात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था. यहां तक कि राजस्थान के इस दावे पर भीलवाड़ा मॉडल को लेकर कनाडा की सरकार को भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने जानकारी दी थी, जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर साझा भी किया था.
भीलवाड़ा से रामगंज की भौगोलिक स्थिति अलग- रघु शर्मा
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि भीलवाड़ा और रामगंज दोनों में भौगोलिक असमानता है, क्योंकि रामगंज क्षेत्र में जो मकान है, वह आपस में सटे हुए हैं. ऐसे में भीलवाड़ा मॉडल लागू करने की कोशिश रामगंज क्षेत्र में की गई, लेकिन वह काम नहीं कर पाई. भीलवाड़ा और रामगंज दोनों ही क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति काफी अलग है.
यह तय है कि भारत और राजस्थान में कोरोना जैसी इस समस्या से लड़ने में बेहतर तरीके से काम किया है. पर क्या यह वाजिब वक्त है जब जल्दबाजी करते हुए इस महामारी पर सियासत के दौर में एक अनचाही होड़ के बीच बस सब श्रेय लेने के लिए दावे करने लगे.