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सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रहने पर भारतीय किसान संघ ने जताई चिंता - Protest against agriculture law

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रहने पर भारतीय किसान संघ ने चिंता जताई है. भारतीय किसान संघ ने किसानों और सरकार से हठधर्मिता छोड़कर 6 बिंदुओं पर विचार करने की मांग की है.

भारतीय किसान संघ, Kisan andolan
भारतीय किसान संघ ने कृषि कानून को लेकर जताई चिंता

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Published : Jan 23, 2021, 5:45 PM IST

जयपुर. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रहा. जिसको लेकर भारतीय किसान संघ ने चिंता जताई है. भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने शनिवार को प्रेस बयान जारी कर इसको लेकर चिंता व्यक्त की है.

भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक बिंदुवार चर्चा, तीनों कृषि कानूनों में वाजिब संशोधन और अन्य शंकाओं के लिए लिखित आश्वासन की बात स्वीकार की है. जो सरकार के समझौतावादी रुख को दर्शाता है और भारतीय किसान संघ इसका स्वागत करती है लेकिन अब भी किसान नेता तीनों कानूनों की वापसी की शर्त पर अड़े हैं. जिससे किसानों के हितों पर ठेस पहुंच रही है. चौधरी ने मांग की है कि कानून स्थगित रहने की अवधि में एक सक्षम, तटस्थ यौप समाधान परक सदस्यों की समिति गठित की जाए. जिसमें देशभर के सभी पंजीकृत किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व हो. समिति के गठन आदेश में ही उसके अधिकार, अधिकार क्षेत्र, समयबद्ध कार्य योजना और विचारणीय बिंदुओं को शामिल किया जाए.

किसान संघ ने किसान और सरकार दोनों से किया आग्रह

उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से आह्वान किया है कि वे दो महीने के इस आंदोलन की जिद छोड़कर देशभर के किसानों की कई साल से लंबित समस्याओं के समाधान के इस स्वर्णिम अवसर को परिणाम की ओर ले जाने में सहयोग करे. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि किसानों के देशभर में और भी संगठन हैं. उनकी उपेक्षा करने शोभनीय नहीं है. इसलिए समिति का गठन किसान प्रतिनिधियों की सहमति से किया जाए.

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बद्रीनारायण चौधरी का कहना है कि गणतंत्र दिवस के पर्व को सम्मान और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में मनाकर विश्व के सामने आपसी एकजुटता का प्रदर्शन करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि तीनों कानूनों में संशोधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप देने के लिए हमारी मांगें यथावत हैं और जरूरत पड़ने पर भारतीय किसान संघ आंदोलन भी करेगा.

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