जयपुर.जब भीजयपुर के पॉश इलाके सी स्कीम का नाम आता है लोगों के जहन में बड़ी सरकारी इमारतें, मॉल्स और आधुनिक बनावट वाले शहर का हिस्सा उभर आता है. लेकिन यहां सिर्फ कंक्रीट का जंगल ही नहीं बल्कि एक विकसित और उन्नत ऑर्गेनिक वेजिटेबल फार्म भी बना हुआ है, जो लॉकडाउन के बीच सेहत की फिक्र करते लोगों के लिए उम्मीद बनकर उभरा है.
ऑर्गेनिक वेजिटेबल फार्म पहुंचा ईटीवी भारत (पार्ट-1) जब लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए स्वस्थ खाने पर जोर दे रहे हैं. तब भंवर सिंह पीलीबंगा का यह छोटा सा प्रयास उन लोगों के लिए नई रोशनी बनकर उभरा है. जयपुर के सी स्कीम इलाके में 22 गोदाम पुलिया के पास व्यवसायिक भूखंडों के लिए सरकार ने जगह अलॉट की थी.
जिससे एक विकसित और आधुनिक जयपुर को इस जगह पर गढ़ा जा सके. लेकिन लंबे समय तक शहर के इस हिस्से का एक बड़ा भू-भाग खाली पड़ा रहा तो भंवर सिंह पीलीबंगा नाम के शख्स ने उस जगह पर नई उम्मीद को रोशन कर दिया. एक नामचीन व्यवसाई के इस भूभाग पर भंवर सिंह ने ऑर्गेनिक फार्म हाउस तैयार किया.
फार्म में सब्जियों का उत्पादन यहां पर लुप्त हो चुकी कई सब्जियों के बीज विकसित करने के साथ-साथ व्यवसायिक रूप से सब्जियों का उत्पादन भी शुरू हुआ. जिसके बाद देखते-देखते ये जगह लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य का जरिया बन गई. इस जगह पर भंवर सिंह फिलहाल 25 से ज्यादा तरह की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. इनमें तीन प्रकार की लौकी तीन प्रकार की भिंडी चार प्रकार का कद्दू और अन्य सब्जियां भी शामिल हैं.
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रिटेल स्टोर से होम डिलीवरी तक सब्जियों की डिमांड
भंवर सिंह के फार्म की चर्चा सुनने के बाद लोग एक बार जरूर यहां की सब्जियों का जायका चखने की ख्वाहिश रखते हैं. लोगों की यही ख्वाहिश उनको शहर के किसी भी हिस्से से 22 गोदाम तक खींच लाती है. खासतौर पर लॉक डाउन के बीच इनकी सब्जियों की डिमांड रिटेल स्टोर के साथ-साथ होम डिलीवरी तक हो रही है. भंवर सिंह पीलीबंगा के इस फार्म हाउस पर लगभग 1 महीने पहले हुई ओलावृष्टि के बाद खड़ी हुई फसल खराब होने लगी थी.
शहर के बीच ऑर्गेनिक फार्म ऐसे में अपनी मेहनत पर पानी फिरता देखकर भंवर सिंह हताश हो गए. लेकिन कुछ विशेषज्ञों से बात करने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी और शहद और गोमूत्र का एक घोल तैयार करके उन्होंने अपने खेत पर मौजूद सभी पौधों को धोया तो 10 से 15 दिनों बाद इन पौधों में फिर से जान लौट आई. इसी प्रकार से ब्रोकली और अन्य व्यवसायिक सब्जियों को ऊंचे तापमान में सफलतापूर्वक भंवर सिंह अपने खेत पर तैयार करते हैं.
इसके लिए वह बेलदार सब्जियों को तार पर बांधकर एक प्राकृतिक शेड बना लेते हैं ताकि जमीन पर उग रही कम तापमान वाली सब्जियों के लिए जरूरी माहौल तैयार हो जाए. ठीक इसी प्रकार चारे और बाजरे के लंबे पौधों की मदद से वह पश्चिम से आने वाली गर्म हवाओं से अपने पौधों को बचाते हैं. भंवर सिंह के साथ उनके आधा दर्जन साथी कर्मचारी इस खेती में दिनभर जुटे रहते हैं और फॉर्म हाउस के बाहर बने रिटेल स्टोर पर 20 से 25 हजार की सब्जी रोजाना बेच दिया करते हैं.
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जैविक खेती को नया आयाम देने की कोशिश
ईटीवी भारत के साथ बातचीत में भंवर सिंह ने बताया कि वह जैविक खेती को नए आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी दिली तमन्ना है कि वे देसी फसलों को तैयार करके उनके बीज लोगों को दें जिससे वे अपने घरों की छत पर कम स्थान पर खेती करके जरूरत की सब्जियों का उत्पादन कर सकें.
साथ ही वे कहते हैं कि रासायनिक खाद की जगह में पारंपरिक जैविक खाद के इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहते हैं. जिससे जटिल बीमारियों से लोगों को राहत मिल सके. उन्होंने बताया कि रासायनिक खाद के इस्तेमाल से फसलों में नाइट्रेट और मैग्नीशियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और आज के समय में हार्ट जैसी बीमारियों में इजाफे का कारण भी पोषक तत्वों की कमी है.
ऐसे में स्वस्थ भोजन स्वस्थ शरीर की जरूरत है और जैविक सब्जियां इसका जरूरी विकल्प हो सकती हैं. भंवर सिंह के खेत में 4 फीट लंबी चोले की फली, 2 फीट लंबी भिंडी और 10 फीट लंबी लौकी वह तैयार कर चुके हैं. साथ ही वो लोगों को किचन गार्डन के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं. जिससे आने वाले वक्त में लोगों को रसायन युक्त खाद वाली सब्जियों से मुक्ति मिल जाए.