जयपुर. किसी काम की शुरुआत के लिए न उम्र बाधा बनती है और न ही हालात. अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुश्किल राहें भी आसान हो जाती हैं. ऐसे ही जज्बे के साथ काम कर रही हैं भाग्यश्री सैनी.
भाग्यश्री ने 11 साल अपने बाल विवाह (child marriage) को रद्द कराने के लिए अपने परिवार और समाज से जंग लड़ी. अब वे सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही हैं, साथ ही उन हजारों बच्चियों के लिए शिक्षा और रोजगार की अलख जगा रही हैं, जो विपरीत परिस्थितियों के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी थीं.
भाग्यश्री ने कुरीति के खिलाफ लड़ी जंग, अब जगा रही शिक्षा की अलख जयपुर के रामगंज क्षेत्र में भाग्यश्री इन बच्चियों को शिक्षा (girl child education) और रोजगार (employment) के लिए जागरूक कर रही हैं. भाग्यश्री का 14 साल की उम्र में बाल विवाह हो गया था. इस सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ वे अपने आप को ज्यादा दिन तक रोक नहीं पाईं, पहले माता-पिता और परिवार, फिर समाज के सामने अपने बाल विवाह को रद्द करने के फैसले के साथ खड़ी हो गई.
भाग्यश्री दे रहीं बच्चियों को दिशा चूंकि एक ही घर में दो बहनों की शादी हुई थी, इसलिए मसला जरा कठिन था. लेकिन भाग्यश्री (Bhagyashree Saini) ने हार नहीं मानी. उन्होंने परिवार और समाज को मजबूर कर दिया और उनका बाल विवाह रद्द हो गया. 11 साल चले इस संघर्ष ने भाग्यश्री को नई दिशा दे दी. उन्होंने मजबूर, पीड़ित, वंचित और असहाय महिलाओं और बालिकाओं की मदद करने की राह चुनी. आज भाग्यश्री ड्रॉप आउट बच्चियों (drop out girl students) को शिक्षा और रोजगार के लिए जागरूक कर रही हैं.
पढ़ें- Education with Vaccination : 1 सितंबर से स्कूल खोलने की तैयारी, अभिभावकों का तर्क- बच्चों को वैक्सीन लगने पर ही खुलें स्कूल
सिविल सर्विसेज की तैयारी
भाग्यश्री वैसे तो सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही हैं. वे चाहती हैं कि प्रशासनिक अधिकारी बनकर वे बेटियों की सेवा करें, उनकी मदद करें. फिर उन्होंने जब समाज में बेटियों के हालात देखे तो तैयारी के पीछे छुपकर नहीं बैठी. उन्होंने स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चियों (drop out girl students) को शिक्षत करना शुरू किया. इसके साथ ही वे अपनी सिविल सर्विस की तैयारी भी कर रही हैं.
ड्रॉप आउट लड़कियों के लिए सैकेंड चांस प्रोग्राम भाग्यश्री कहती हैं कि स्कूल ड्रॉप आउट हो चुकी बच्चियों के घर जाकर वे बच्चियों और उनके पेरेंट्स को शिक्षा का महत्व बताती हैं. उन्हें नियमित क्लास के लिए तैयार करती हैं. 10 वीं बोर्ड का एग्जाम (10th board exam) देने के बाद उन्हें स्वरोजगार के जोड़ने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी अरेंज करवाती हैं. कई साल पहले मजबूरी में स्कूल छोड़ चुकी सैंकड़ों के लिए भाग्यश्री बड़ा सहारा बन चुकी हैं.
प्रथम संस्था के साथ वोलिंटियर के रूप में काम
भाग्यश्री प्रथम संस्था (pratham sanstha) के साथ वोलिंटियर के रूप में काम करती हैं. संस्था में जयपुर, अजमेर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर, उदयपुर क्षेत्र से बड़ी तादाद में बेटियां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. इनमें से कई लड़कियां विधवा या तलाकशुदा हैं. इनका मनोबल बढ़ाने के लिए राजस्थान अनसंग स्टार अभियान (Rajasthan Unsung Star Campaign) की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international women's day) पर की गई है. इस संस्था के जरिये 6 जिलों से 700 से ज्यादा ड्रॉप आउट बच्चियों को दसवीं बोर्ड का एग्जाम दिलाया जाता है.
पढ़ाई छोड़ चुकी बच्चियां फिर शिक्षा से जुड़ी पढ़ें-बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 703 राजकीय प्राथमिक विद्यालयों को किया गया क्रमोन्नत
एग्जाम की तैयारी कर रही बच्चियों का आत्मविश्वास लौटने लगा है. बच्चियां दसवीं बोर्ड पास करने के बाद पढाई जारी रखना चाहती हैं. संस्था में काम कर रही शालू शर्मा बताती हैं कि भाग्यश्री के यहां आने और इन बच्चियों को मोटिवेट करने से इनके आत्मविश्वास में काफी इजाफा हुआ है. जो बच्चियां परिस्थितियों से निराश हो जाती हैं, वे भाग्यश्री की कहानी सुनकर आत्मविश्वास से भर उठती हैं.
राजस्थान में हर साल 20 से 25 प्रतिशत बच्चियां हालात के चलते स्कूली शिक्षा से ड्राप आउट हो रही हैं. बच्चियों के ड्राप आउट को कम करने के सरकारी दावों के इतर भाग्यश्री (Bhagyashree Saini) जैसे लोग समाज में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं, बच्चियों के जीवन में रोशनी भर रहे हैं.