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मतगणना से पहले भाजपा जीत को लेकर आश्वस्त, जयपुर और जोधपुर के परिणाम पर हर किसी की नजर

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Published : Sep 3, 2021, 4:37 PM IST

Updated : Sep 3, 2021, 4:46 PM IST

राजस्थान की 6 जिलों में हुए पंचायती राज चुनावों के परिणाम शनिवार को आएंगे. इस चुनाव को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया आश्वस्त हैं, लेकिन पार्टी के कई विधायकों और सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.

सतीश पूनिया जीत को लेकर आश्वस्त

जयपुर. प्रदेश के 6 जिलों में हुए पंचायती राज चुनाव का परिणाम शनिवार को सबके सामने होगा. लेकिन उससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पार्टी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं. वे अजेय भाजपा अजेय राजस्थान का नारा भी दे रहे हैं. लेकिन छोटे चुनाव के परिणाम पूनियां सहित केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सियासी भविष्य को भी बहुत कुछ प्रभावित करेगा.

दरअसल जिन 6 जिलों में चुनाव हुए हैं उनमें जयपुर और जोधपुर भी शामिल है. जयपुर में आमेर विधानसभा क्षेत्र आता है. जहां जालसू और आमेर पंचायत समिति में यह चुनाव हैं जो कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का विधानसभा क्षेत्र है. जोधपुर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का गृह क्षेत्र है. हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर से ही आते हैं. लिहाजा मौजूदा चुनाव परिणाम में सबसे ज्यादा निगाहें जयपुर और जोधपुर जिले की पंचायत समिति और जिला परिषद के परिणाम पर ही रहेगा. क्योंकि यह चुनाव परिणाम ही यहां से आने वाले दिग्गज राजनेताओं के आगामी सियासी भविष्य को प्रभावित भी करेगा.

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बहुमत भाजपा को मिलेगा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का कहना है कि इस बार शुरू हुआ भाजपा की जीत का पहिया अब नहीं रुकेगा. पूनिया ने कहा कि हमारा लक्ष्य 'अजय भाजपा अजय राजस्थान' बनाना है. जीत के रथ को साल 2023 तक लगातार आगे ले जाना है. हालांकि पूनिया ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान जीत के आंकड़ों को लेकर कहा कि वे किसी प्रकार के आंकड़ों में नहीं पड़ना चाहते लेकिन आने वाले चुनाव परिणाम में भाजपा को बहुमत मिलेगा.

इन विधायक-सांसदों के क्षेत्र में चुनाव इसलिए प्रतिष्ठा दांव पर

मौजूदा पंचायत राज चुनाव जिन क्षेत्रों में हुए हैं उनमें 6 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां भाजपा के विधायक हैं. इनमें भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया की विधानसभा क्षेत्र आमेर और प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता व विधायक रामलाल शर्मा का विधानसभा क्षेत्र चोमू भी शामिल है. जयपुर जिले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के विधानसभा क्षेत्र में आमेर और जालसू पंचायत समिति में चुनाव हुए हैं.

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जबकि विधायक रामलाल शर्मा के क्षेत्र चोमू में गोविंदगढ़ पंचायत समिति में चुनाव हुए हैं. इसी तरह भाजपा विधायक निर्मल कुमावत के विधानसभा क्षेत्र फुलेरा की सांभरलेक और किशनगढ़ रेनवाल पंचायत समिति में चुनाव हुए हैं. फलौदी में भाजपा विधायक पब्बाराम विश्नोई के विधानसभा क्षेत्र में 3 पंचायत समितियां और भाजपा विधायक जगसीराम कोली की विधानसभा क्षेत्र रेवदर और पिंडवाड़ा में कुल 3 पंचायत समितियों में चुनाव हुए हैं. जिन 6 जिलों में पंचायती राज चुनाव हुए हैं वहां भी भाजपा के ही सांसद हैं इनमें जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं.

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जोधपुर से भाजपा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं. इसी तरह पाली सिरोही से सांसद पीपी चौधरी, दौसा से जसकौर मीणा भरतपुर से रंजीता कोली, टोंक सवाई माधोपुर से सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया की प्रतिष्ठा दांव पर है.

38 विधानसभा शामिल जिनमें 6 पर भाजपा विधायक

भरतपुर, दौसा, सिरोही, जयपुर, सवाई माधोपुर और जोधपुर में पंचायती राज चुनाव हुए हैं. जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव वाले क्षेत्रों में कुल 38 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें सर्वाधिक 24 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. इनमें 2 बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी शामिल है। वहीं 6 विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक हैं.

जबकि 6 निर्दलीय, 1 आरएलपी और 1 आरएलडी विधायक के कब्जे वाले विधानसभा क्षेत्र भी इसी चुनाव क्षेत्र में शामिल हैं. निर्दलीय विधायक कांग्रेस समर्थित हैं जबकि आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग सरकार में मंत्री हैं. मतलब जिन क्षेत्रों में जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव हुए हैं वहां फिलहाल सत्तारूढ़ कांग्रेस और समर्थित विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है.

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6 जिला परिषद में से 4 पर पिछले चुनाव में रहा था भाजपा का कब्जा

जिन 6 जिला परिषदों में इस बार चुनाव हुए हैं. उनमें से 4 जिला परिषदों में पिछले चुनाव के दौरान भाजपा का जिला प्रमुख बना था तो जबकि 2 जिला परिषदों में कांग्रेस का जिला प्रमुख बन पाया था. हालांकि जयपुर जिला परिषद में भाजपा का जिला प्रमुख मूलचंद मीणा ने अपने कार्यकाल के बीच में ही कांग्रेस का दामन थाम लिया था. मतलब भाजपा के लिए इस बार बड़ी चुनौती यही रहेगी कि कम से कम 4 जिला परिषदों में तो भाजपा का कमल खिल पाए.

20 नई पंचायत समितियों में पहली बार हुए चुनाव

इस बार 6 जिला परिषद और 78 पंचायत समितियों में यह चुनाव हुए हैं. हालांकि पिछली बार इन क्षेत्रों में कुल 58 पंचायत समिति थी जिनमें से 32 पंचायत समितियों में भाजपा के प्रधान और 24 में कांग्रेस के प्रधान थे. वहीं जिन पंचायत समितियों में निर्दलीय प्रधान बने थे अब पुनर्गठन के बाद इन क्षेत्र में 20 नई पंचायत समिति और बन गई हैं. ऐसे में कुल 78 पंचायत समितियों के इस बार चुनाव हुए हैं जिनके परिणाम शनिवार को आएंगे.

Last Updated : Sep 3, 2021, 4:46 PM IST

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