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जयपुर: कॉलेज व्याख्याता को सेवा मुक्त करने के आदेश की क्रियान्विति पर रोक

जयपुर में एक जनवरी को कॉलेज शिक्षा आयुक्त ने बिना कारण बताए कॉलेज व्याख्याता को सेवा मुक्त कर दिया था. जिस आदेश पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने एसीएस उच्च शिक्षा, कॉलेज शिक्षा आयुक्त और आरपीएससी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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कॉलेज व्याख्याता को सेवा मुक्त करने के आदेश पर रोक

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Published : Feb 3, 2020, 9:42 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना कारण बताए कॉलेज व्याख्याता को सेवा मुक्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने एसीएस उच्च शिक्षा, कॉलेज शिक्षा आयुक्त और आरपीएससी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश शीशराम मेघवाल की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता दिसंबर 2017 में व्याख्याता पद पर चयनीत होकर चूरू के राजगढ़ के राजकीय कॉलेज में पदस्थापित हुआ. वहीं,परिवीक्षा अवधि पूरी होने पर उसे पिछले 13 दिसंबर को नियमित भी कर दिया.

कॉलेज व्याख्याता को सेवा मुक्त करने के आदेश पर रोक

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बता दें कि एक जनवरी को कॉलेज शिक्षा आयुक्त ने बिना कारण बताए उसे सेवामुक्त करने का आदेश जारी कर दिया. याचिका में कहा गया कि सेवा नियमों के तहत उसने बिना सुनवाई का मौका दिए पद से नहीं हटाया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को सेवामुक्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

आवासीय योजना में भूमि आंवटन में नियमों की हो रही अनदेखी

राजस्थान हाईकार्ट ने आवासीय योजना में भूमि आंवटन में नियमों की अनदेखी करने पर यूडीएच सचिव और यूआईटी, कोटा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह आदेश हरीश शर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि भारत सरकार के उपक्रम इन्स्टूमेंटेशन लि. के बंद होने पर उसकी जमीन राज्य सरकार को हस्तान्तरित हो गई. यूआईटी, कोटा इस जमीन पर आवासीय योजना ला रही है. भूमि आवंटन नियम, 1974 के तहत आवासीय प्रोजेक्ट में एलआईजी के लिए 68 फीसदी कोटा रखना होता है.

इसके अलावा पूर्व में जमीन ले चुके व्यक्ति को वापस भूमि आवंटित नहीं की जा सकती. इसके बावजूद यूआईटी भूमि आवंटन में दोनों शर्तो की अवहेलना कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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