जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ की ओर से फीस देने के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के बाद अभिभावकों में खुशी की लहर है. हाईकोर्ट खंड पीठ की ओर से एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के बाद अभिभावकों को एक राहत मिली है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को एकल पीठ के 70 फीसदी ट्यूशन फीस के आदेश पर 9 अक्टूबर तक रोक लगा दी. इससे हजारों अभिभावकों को राहत मिली है.
अभिभावकों का कहना है कि एकल पीठ के आदेश के बाद स्कूल संचालकों ने अभिभावकों पर स्कूल फीस देने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था. अब वे खुश हैं कि अब कोई भी स्कूल संचालक 9 अक्टूबर तक फीस नहीं वसूल सकेंगे और ना ही ऑनलाइन क्लासेज से किसी भी बच्चे को हटा सकेंगे. साथ ही अब ना ही किसी बच्चे का नाम काट सकेंगे और कोई स्कूल संचालक ऐसा करता पाया जाता है तो कोर्ट के आदेश की अवहेलना का दोषी होगा और उस पर कार्रवाई की जाएगी.
महिला अभिभावक रजनी अग्रवाल ने बताया 7 सितंबर को एकलपीठ का आदेश आया था. उसके बाद से ही स्कूल संचालक अभिभावकों पर फीस देने के लिए दबाव बनाने लग गए थे. इससे अभिभावकों को प्रताड़ित किया जा रहा था और बच्चों को भी ऑनलाइन क्लासेज के दौरान फीस जमा करने के लिए कहा जाता था. स्कूल संचालक अभिभावकों को पूरे सेमेस्टर की फीस जमा करने के लिए कह रहे थे और यह भी कह रहे थे कि बाद में फीस एडजस्ट कर ली जाएगी. स्कूल संचालक कोई छूट भी नहीं दे रहे थे. आज जो हाईकोर्ट की खंडपीठ का आदेश आया है, उसके बाद से अभिभावक को राहत मिली है.
कोरोना महामारी का जो दौर चल रहा है, उसमें अभिभावक भी परेशान हैं. रजनी अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल में कई अभिभावकों के पास काम धंधा नहीं है. कई अभिभावकों की नौकरियां भी चली गई हैं. इस कारण वे पूरी फीस देने में असमर्थ हैं. महिला अभिभावक ने हाईकोर्ट का आभार जताया है.