जयपुर. कृषि कानूनों को लेकर शनिवार को कांग्रेस पार्टी के किसान सम्मेलन में यूं तो कांग्रेस के नेता और किसान प्रतिनिधि मौजूद थे, लेकिन इस सम्मेलन में बोलते हुए सबसे ज्यादा तालियां मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बलवान पूनिया के भाषण पर बजाई गईं. वहीं आरएलडी के विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग ने भी इन कानूनों पर प्रधानमंत्री को जमकर घेरा.
कृषि कानूनों के खिलाफ सम्मेलन में जमकर गरजे बलवान पूनिया सबसे पहले जब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बलवान पूनिया मंच पर आए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने किसान सम्मेलन रखा है. मैं 2 दिन पहले सिरसा गया था. उसमें 17 दल और 240 किसान संगठन करनाल और कुरुक्षेत्र में इन कानूनों के खिलाफ डटे हुए थे. उन्होंने कहा कि मैं एक बात कहना चाहूंगा कि इन कानूनों के खिलाफ अगर हम पार्टियों में बंटे रहे और हमने यह सोच लिया कि यह उस पार्टी के लोग इकट्ठे हैं, हम नहीं जाएंगे. फिर ऐसी स्थिति में हम किसान के साथ है नहीं हैं.
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उन्होंने कहा कि मंच जरूर कांग्रेस का है, लेकिन इसके खिलाफ आवाज सबको मिलकर उठानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा गुस्सा तो कांग्रेस पार्टी को ही इन कानूनों पर आना चाहिए, क्योंकि आवश्यक सेवा वस्तु अधिनियम 1955 में बना था और उसमें यह कहा गया था कि एक लिमिट से ज्यादा माल इकट्ठा नहीं कर सकते. अब बेईमान ऐसे कह रहे हैं कि कितना भी इकट्ठा कर लो. इसके लिए कानून लेकर आए हैं. यह कह रहे हैं कि राज्य इन कानूनों को मानेगा.
पूनिया ने कहा कि देश में नदियों को जोड़ने की बात हो रही थी और अडानी अंबानी को जोड़ दिया. देश में मोदी का तो मुखौटा ही बैठा है. असल में रास्तों कुछ उद्योगपति कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के नेताओं की ओर उन्होंने इशारा करते हुए कहा कि आप गांधी जी का पोस्टर रखते हो. हम भगत सिंह का पोस्टर रखते हैं. सब मिलकर लड़ेंगे. केवल केवल हस्ताक्षर से काम नहीं चलेगा. इस कानून के विरोध में जुलूस जलसे सब करने होंगे.
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वहीं राष्ट्रीय लोक दल के सुभाष गर्ग ने कहा कि 2 करोड़ रोजगार के सपने दिखाकर युवाओं को खत्म किया गया. छोटे दुकानदारों को जीएसटी से खत्म किया गया. अब तीसरा बचता है किसान, जो हमारे देश की रीढ़ की हड्डी है. कृषि के ऊपर चोट की गई है, इन तीन काले कानूनों से. उन्होंने कहा कि देश का किसान इतना उद्वेलित है कि बिन बुलाए भी लाखों की संख्या में इकट्ठा हो रहा है.
उन्होंने कहा कि किसान जब उठता है, तो अच्छी अच्छी सत्ताएं खत्म हो जाती हैं और एक परिवर्तन की शुरुआत होती है. अब इस परिवर्तन की शुरुआत इस काले कानून से हो रही है. एग्रीकल्चर राज्य का विषय है. कृषि पर कानून लाने का हक राज्य का है, लेकिन उन्होंने चालाकी की ओर ट्रेड एवं कॉमर्स के तहत वह कानून लेकर आए हैं, जो समवर्ती सूची में हैं और उसी में इन तीनों कानूनों को बनाया गया है.