जयपुर. प्रदेश भर में 28 मार्च को होली का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाएगा और इसके लिए लोगों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. हिंदू संस्कृति में होली का त्योहार एक अहम स्थान रखता है. होली के त्योहार पर गाय के गोबर से बने बड़कुले तैयार किए जाते हैं जो होलिका दहन में जलाए जाते हैं. पर्यवारण का संदेश देने और युवाओं को गोबर से बने बड़कुले से रूबरू कराने के लिए जयपुर के जोबनेर कस्बे से सिरसी रोड तक बड़कुलों की शोभायात्रा निकाली गई.
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होली पर परंपरागत रूप से बड़कुले तैयार किए जाते हैं और यह गाय के गोबर से ही बनाए जाते हैं. इससे पर्यावरण शुद्ध रहता है. पर्यावरण को शुद्ध रखने और गांव के महत्व को समझाने के लिए जोबनेर से सिरसी रोड तक गोबर से बने बड़कुलों की एक शोभायात्रा निकाली गई. गोबर से बने चांद, सितारों के आकार के बड़कुलों को रस्सी में पिरोकर मालाएं बनाई गई और फिर पूजा अर्चना कर इनकी शोभायात्रा निकाली गई. आसलपुर में विश्व हिंदू परिषद की ओर से यह एक अनूठा आयोजन था.
जयपुर में बड़कुला शोभायात्रा आसलपुर के चौक वाले बालाजी में लड्डू गोपाल, संकल्प सिद्धि लक्ष्मी जी और गणेश जी की प्रतिमा की पूजा अर्चना पंडित मनमोहन शर्मा, सुरेश शर्मा, विष्णु दाधीच, मनोज कुमार जोशी ने विधिवत रूप से की. पूजा अर्चना के बाद शोभायात्रा को रवाना किया गया. शोभायात्रा को नगर भ्रमण करवाया गया. इस दौरान व्यापारियों और लोगों ने शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा कर जगह-जगह स्वागत भी किया आस-पास के गांव गुढा बैरसल, भंदे के बाली, बोराज, बोबास, धानक्या कई गांवों से होकर यह शोभायात्रा सिरसी मोड पांच्यावाला पहुंची.
विश्व हिंदू परिषद के सांभर जिला अध्यक्ष शिवजी राम कुमावत ने बताया कि सनातन संस्कृति को लोग भूलते जा रहे हैं. इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को हिंदू संस्कृति के बारे में जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि होलिका दहन के बाद जो राख होती है. उसको गाय के दूध और घी में मिलाकर पीने से गंभीर बीमारी से छुटकारा मिलता है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के चलते सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की है. उसकी पालना करते हुए 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा.