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SPECIAL : बाबा साहेब ने वंचितों और पीड़ितों को हक दिलवाया....महिला कानूनों की नींव डॉ अंबेडकर ने रखी

बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती देशभर में समानता दिवस के रूप में मनाई जा रही है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों से बात की.

Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti
डॉ अबंडेकर जयंती पर विशेष चर्चा

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Published : Apr 14, 2021, 5:35 PM IST

जयपुर. देश की आजादी से पहले और आजादी के बाद सामाजिक जागृति के अग्रदूत रहे बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती देशभर में समानता दिवस के रूप में मनाई जा रही है. उन्होंने अपने जीवन में न केवल सामाजिक समानता की स्थापना के लिए आजीवन संघर्ष किया बल्कि महिलाओं को भी उनका हक दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी. ईटीवी भारत ने राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों से बात की. जानिये शिक्षकों और विद्यार्थियों के बाबा साहेब को लेकर विचार...

डॉ अबंडेकर जयंती पर विशेष चर्चा (भाग 1)

राजस्थान विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी के सहायक आचार्य डॉ गौरव गोठवाल बताते हैं कि बाबा साहेब की जयंती न केवल देश बल्कि विश्वभर में समानता दिवस के रूप में मनाई जा रही है. भारतीय समाज में सामाजिक समानता स्थापित करने में उनका अमूल्य योगदान था. वे समाज के हर तबके के लिए सोचते थे. उन्होंने मानव मात्र की बात कही और आज हम उन्हें मानवतावादी व्यक्तित्व के रूप में याद करते हैं. शोषित वर्ग और समाज के दबे कुचले लोगों के कल्याण के लिए उन्होंने हमेशा अपनी बात उठाई है.

छात्रसंघ अध्यक्ष विनोद जाखड़ बताते हैं कि जिस तरीके से बाबा साहेब ने हमेशा वंचित, पीड़ित और महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाई. आज न केवल पूरा देश बल्कि विश्व बाबा साहेब की बताई राह पर चल रहा है. जिस तरह से उन्होंने वंचित, पीड़ित वर्ग और महिलाओं के लिए काम किया. इसके साथ ही उन्होंने आर्थिक सुधार लागू करने के लिए भी नई राह दिखाई. हर क्षेत्र में उन्होंने समानता की बात कही और मानवतावादी सोच को न केवल देश बल्कि विश्व में स्थापित किया. उनका कहना है कि बाबा साहेब की सोच दूरदर्शी थी और उनके बताए रास्ते पर चलकर देश नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है.

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उन्होंने जिस समाज की कल्पना की उसमें सांप्रदायिकता और धर्म-जाति भेद की कोई जगह नहीं है. उनका संदेश था शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो. यह संदेश आज भी हमारा मार्गदर्शन करता है. राजस्थान विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य बताते हैं कि आज पूरी दुनिया भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को याद करती है. दुनिया के महानायकों में उनकी गिनती होती है. उन्होंने सामाजिक समानता की स्थापना के लिए जीवनभर संघर्ष किया. इसी संघर्ष की बदौलत आज दुनिया में उनकी गिनती एक महानायक के रूप में होती है.

संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी बाबा साहेब की जयंती 14 अप्रैल को विश्व समानता दिवस के रूप में मनाने का एलान किया है. उन्होंने अपने जीवन में जो संघर्ष किया और जिन संकटों का सामना किया. उसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं. वे केवल एक वर्ग विशेष के नेता नहीं थे, बल्कि सर्व समाज के मार्गदर्शक हैं. बात चाहे वंचितों और पीड़ितों की हो या महिलाओं की हो या किसान और मजदूरों की. उन्होंने हर वर्ग की पीड़ा को समझा और समानता स्थापित करने के लिए संघर्ष किया. महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए उन्होंने जो कानून बनाए. आज भी वे प्रासंगिक हैं. अर्थव्यवस्था की बुनियाद माने जाने वाले भारतीय रिजर्व बैंक की संकल्पना भी बाबा साहेब ने ही की थी.

बाबा साहेब ने वंचितों और पीड़ितों को हक दिलवाया

आज न केवल पूरा देश बल्कि दुनिया बाबा साहेब को एक महानायक के रूप में याद किया जा रहा है. उनके सिद्धांत आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं और आगे भी हमें रास्ता दिखाते रहेंगे.

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