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लंबे आंदोलन के बाद अयोध्या में बन रहा है राम मंदिर, जानें कुछ दिलचस्प तथ्य

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Published : Aug 4, 2020, 8:20 AM IST

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराने को लेकर 1990 के दशक में देशव्यापी आंदोलन हुए थे. इसके बाद भूमि विवाद को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई. इस मामले में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया, जिसके बाद ट्रस्ट गठित कर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई. अब जबकि राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कराया जा रहा है, यह जानना दिलचस्प है कि अयोध्या को लेकर हुए आंदोलन के सूत्रधार कौन लोग थे. यह जानना भी रोचक है कि कैसे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग एक देशव्यापी आंदोलन के रूप में बदली. इस घटनाक्रम में यह भी जानना अहम है कि लगभग तीन दशकों तक किन लोगों से इस आंदोलन को ऊर्जा मिलती रही. पढ़ें खास रिपोर्ट

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लंबे आंदोलन के बाद अयोध्या में बन रहा है राम मंदिर

लखनऊ :अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं. पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया जाएगा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिग्गज राजनीतिक नेताओं के साथ मंच साझा करेंगे. 1990 के दशक में शुरू हुए राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद् के नेता अशोक सिंघल, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और रामचंद्र दास जैसे कई नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

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दरअसल, कोरोना महामारी का प्रसार रोकने के लिए शारीरिक दूरी अनिवार्य शर्तों में शामिल है. ऐसे में राम मंदिर के लिए आयोजित भूमि पूजन में लोग सीमित संख्या में शामिल होंगे. देश-विदेश में बैठे लोगों के लिए टीवी-इंटरनेट के माध्यम से प्रसारण के इंतजाम किए गए हैं.

लंबे आंदोलन के बाद अयोध्या में बन रहा है राम मंदिर

मंदिर आंदोलन से जुड़े लाखों लोगों में कई आज वयोवृद्ध हो चुके हैं. सीमित संख्या में लोगों की उपस्थिति के मद्देनजर चुनिंदा लोग ही अयोध्या की भूमि पर मौजूद रहकर भूमि पूजन के साक्षी बनेंगे. ऐसे में आइये जानते हैं राम मंदिर से जुड़े कुछ अहम पहलुओं के बारे में...

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पढ़ें बिंदुवार विवरण-

  • अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 1950 में उस समय आंदोलन शुरू हुआ, जब गोपाल सिंह विशारद ने कोर्ट में पहला टाइटल सूट दायर किया था, जिसमें 'अस्थान जन्मभूमि' में स्थापित मूर्तियों की पूजा करने का अधिकार मांगा गया था.
  • इसके बाद निर्मोही अखाड़ा ने 1959 में तीसरा मुकदमा दायर किया. निर्मोही अखाड़ा ने स्थल को अपने कब्जे में लेने का दावा किया और खुद को उस स्थान का संरक्षक बताया, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था.
  • 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरू किया. विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन मुखिया अशोक सिंघल उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग की और मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चलाया.
  • महंत अवैद्यनाथ भगवान राम जन्मभूमि आंदोलन के उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. महंत अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए रामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की स्थापना की.
  • बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष और भाजपा के दिग्गज नेता विनय कटियार ने राम जन्मभूमि आंदोलन का समर्थन किया. उन्होंने आंदोलन को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए भी काम किया.
  • इस दौरान तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी द्वारा सोमनाथ से रथ यात्रा की शुरुआत की गई. कहा जाता है कि आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों की भावनाओं को भड़काया. इस आंदोलन को बेहद अहम माना जाता है. इसमें संघ और हजारों कार सेवकों ने भाग लिया था.
  • राम मंदिर आंदोलन ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में गति प्राप्त की और देशभर में रथ यात्रा निकालने से अभियान को लोगों का भारी समर्थन मिला. 1991 में जब मुरली मनोहर जोशी ने भाजपा अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और भगवान राम के जन्मस्थान को फिर हासिल करने के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाई.
  • कल्याण सिंह, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने स्थल के चारों ओर 2.77 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर राम मंदिर निर्माण का संकल्प किया.
  • राम मंदिर आंदोलन में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे सबसे आगे थे और इस कारण उन्होंने पहले ही आंदोलन को समर्थन देने का एलान कर दिया था.
  • भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थीं. आंदोलन के दौरान उन्होंने तीखे भाषण दिए, जिससे राम मंदिर आंदोलन को गति मिली. राम मंदिर अभियान में भाजपा, वीएचीपी और आरएसएस के नेताओं ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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