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मंत्री के आदेशों की उड रही धज्जियां, परिवहन विभाग में नहीं हटाए गए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक

जयपुर में परिवहन विभाग में इन दिनों ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक को लेकर मामला गरमाया हुआ है. परिवहन मंत्री ने ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक को बंद करने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक कंपनी के टेंडर को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू भी नहीं की है.

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Published : Jul 1, 2019, 6:48 PM IST

ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक के टेंडर अभी तक नहीं हुए निरस्त

जयपुर. परिवहन विभाग में इन दिनों अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है. स्थिति कुछ ऐसी है कि मंत्री के निर्देश का भी पालन नहीं हो रही है. दरअसल, मंत्री ने करीब 1 महीने पहले ड्राईविंग लाइसेंस की फीस में बढ़ोतरी न होने को लेकर को परिवहन अधिकारियों को ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक के लिए प्राइवेट कंपनी से किए गए करार को रद्द करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी अधिकारियों ने जगतपुरा आरटीओ ऑफिस में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक से कंपनी का कब्जा नहीं हटाया है.

ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक के टेंडर अभी तक नहीं हुए निरस्त

परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक में खामियां उजागर होने के बाद अधिकारियों को ट्रैक का टेंडर रद्द करने और ऑफिस से कंपनी का कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी अधिकारियों ने अभी तक कंपनी के टेंडर को निरस्त करने की प्रक्रिया तक शुरू नहीं की है.

खचारियावास ने बताया था कि लाइसेंस की फीस केंद्रीय परिवहन सड़क मंत्रालय ने ढाई साल पहले 350 से बढ़ाकर ₹1000 कर दी थी . जिससे कुल फीस 1350 हो गई थी. लेकिन अब पिछली सरकार ने ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक ट्रायल के नाम पर कंपनी को ढाई सौ रुपए फीस के अतिरिक्त देने का करार किया है. जबकि ट्रैक का सिविल काम सरकार ने किया है. कंपनी ने मात्र कैमरे और सेंसर लगाए हैं. यदि यह करार लागू होता है, तो लाइसेंस की फीस 1600 हो जाएगी.

ट्रैक पर हर दिन करीब 400 लाइसेंस बनते हैं. ऐसे में कंपनी को साल में ढाई करोड़ रुपए का फायदा होता है, जो अनुचित है, इससे लोगों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा.

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