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निगम, बीवीजी कंपनी और हूपर संचालकों का विवाद शहर की स्वच्छता पर भारी - ईटीवी भारत हिन्दी न्यूज

जयपुर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर संचालकों का विवाद शहर की स्वच्छता पर भारी पड़ रहा है. दरअसल, साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में बीवीजी कंपनी के जरिए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. तभी से इस व्यवस्था का विवादों के साथ चोली दामन का साथ रहा. जो अब तक जारी है. बीते कुछ महीनों से तो विवाद और गर्मा सा गया है. जिसका बड़ा कारण बीवीजी के साथ इस कार्य में जुटे वेंडर्स का बकाया भुगतान बताया जा रहा है.

Jaipur Municipal Corporation
जयपुर में हूपर संचालकों का विवाद

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Published : Jul 12, 2020, 6:26 PM IST

जयपुर.राजधानी मेंनगर निगम बीवीजी कंपनी और डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर संचालकों का विवाद शहर की स्वच्छता पर भारी पड़ रहा है. रविवार को जब 60 फीसदी वार्डों में कचरा संग्रहण नहीं हुआ, तो विवाद को सुलझाने के लिए निगम में बैठक भी बुलाई गई. लेकिन समाधान अभी नहीं निकल पाया है. मामला वेंडर्स के सवा साल से लंबित चल रहे भुगतान का है.

जयपुर में हूपर संचालकों का विवाद

साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में बीवीजी कंपनी के जरिए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. तभी से इस व्यवस्था का विवादों के साथ चोली दामन का साथ रहा, जो अब तक जारी है. बीते कुछ महीनों से तो विवाद और गर्मा सा गया है. जिसका बड़ा कारण बीवीजी के साथ इस कार्य में जुटे वेंडर्स का बकाया भुगतान बताया जा रहा है.

जोन, बीवीजी और वेंडर्स का ग्राफ

दरअसल, राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित है. इनमें से बीवीजी की गाड़ियां महज 106 हैं. जबकि 421 गाड़ियां वेंडर्स की है. जो निगम से सीधे ना जुड़कर बीवीजी के मार्फत शहर भर से कचरा संग्रहण कर रहे हैं. इनमें सांगानेर हवामहल पूर्व और विद्याधर नगर तो ऐसे जोन हैं, जहां कचरा संग्रहण का कार्य पूरी तरह ही वेंडर्स के हवाले है. अब आरोप ये है कि बीवीजी कंपनी को नगर निगम से तो भुगतान हो रहा है. लेकिन अप्रैल 2019 से वेंडर्स का करीब 20 करोड़ रुपए बीवीजी कंपनी ने नहीं चुकाया. जिसकी वजह से वेंडर्स अपनी गाड़ियों के इंस्टॉलमेंटऔर मेंटेनेंस का खर्चा भी नहीं निकाल पा रहे.

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यही नहीं जो बीवीजी कंपनी खुद नगर निगम से ₹1850 प्रति टन के हिसाब से भुगतान लेती है. वहीं इन वेंडर्स को महज ₹1000 प्रति टन के हिसाब से भुगतान करती है. वेंडर्स की माने तो शहर में प्रतिदिन तकरीबन 1550 टन कचरा इकट्ठा किया जाता है. और उसे मुख्य कचरा डिपो तक पहुंचाने का कार्य भी उन्हीं के वाहनों से किया जाता है. बावजूद इसके बीवीजी का भुगतान नहीं कर रही और अब बिना भुगतान किए नए हूपर संचालकों को जोड़ने की कवायद कर रही है. रविवार को झोटवाड़ा क्षेत्र में कुछ हूपर में तोड़फोड़ भी की गई. जिसे लेकर एफआईआर भी दर्ज हुई है.

उधर, निगम प्रशासन की माने तो बीवीजी कंपनी और ऊपर संचालकों के बीच चल रहे इस विवाद का खामियाजा शहर वासियों को भुगतना पड़ रहा है. और इससे निगम की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने बताया कि इस संबंध में आज बीवीजी कंपनी से चर्चा की गई है. और मध्यस्थता कराने का प्रयास किया जा रहा है. संभवतः सोमवार से शहर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्थाएं सामान्य हो जाएंगी.

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उधर, बीवीजी का तर्क है कि मार्च 2020 से निगम प्रशासन ने भुगतान नहीं किया है. लेकिन निगम पर आरोप लगाने वाली बीवीजी कंपनी शायद खुद के गिरेबां में झांकना भूल गई. जिसने वेंडर्स का भुगतान अप्रैल 2019 से नहीं किया. और नए हूपर संचालकों को जोड़ने से विवाद और गहराता जा रहा है. और कहीं ना कहीं अब ये विवाद जयपुर की साख और स्वच्छता पर भी भारी पड़ रहा है.

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