जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी उफान के बीच जारी किए गए पायलट कैंप के 19 विधायकों को नोटिस मामले में सियासत गरम है. विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की ओर से जारी किए गए नोटिस के बाद कुछ सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल यह है कि क्या विधानसभा के बाहर हुई विधायक दल की बैठक को लेकर विधानसभा स्पीकर व्हिप अवहेलना के नोटिस जारी कर सकते हैं?
संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ प्रतीक कासलीवाल से बातचीत-1 मामले को लेकर कानून के जानकारों से बात करने के बाद सामने आया कि स्पीकर को इस संबंध में नोटिस देकर कार्रवाई की शक्ति प्राप्त है. इस संबंध में वकीलों का कहना है कि वैसे तो व्हिप सदन में मतदाता के दौरान पार्टी के अनुशासन को बनाए रखने के लिए जारी की जाती है. ऐसी सूरत में स्पीकर व्हिप अवहेलना का नोटिस जारी नहीं कर सकते. जबकि एक अन्य प्रावधान के तहत संबंधित एमएलए के आचरण से साबित है कि वह अपनी पार्टी को छोड़ चुका है तो उस पर स्पीकर कार्रवाई कर सकते हैं.
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'स्पीकर को कार्रवाई की शक्ति है'
संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि संविधान के शेड्यूल 10 के पैरा 2(1)(a) में प्रावधान है कि यदि कोई विधायक स्वेच्छा से पार्टी छोड़ता है तो उस पर स्पीकर कार्रवाई कर सकते हैं. वर्तमान राजनीतिक हालातों को देखें तो सवाल उठता है कि अभी सचिन सहित अन्य विधायकों ने स्वेच्छा से पार्टी नहीं छोड़ी है, फिर उन्हें नोटिस किस तरह दिया जा सकता है?
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इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने रवि नायर के केस में 'स्वेच्छा' शब्द की व्याख्या की है. जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पार्टी छोड़ने के लिए औपचारिक घोषणा की जरूरत नहीं है. यदि संबंधित विधायक का व्यवहार इस स्तर का है, जिससे साबित हो कि वह पार्टी विरोधी है तो उसे भी स्वेच्छा से पार्टी छोड़ना ही माना जाएगा. इस प्रावधान के तहत स्पीकर को कार्रवाई की शक्ति है.
'SC ने स्पीकर की कार्रवाई को ज्यूडिशियल रिव्यू की श्रेणी में माना है'
कांग्रेस की ओर से बार-बार बुलाने के बाद भी सचिन सहित अन्य बागी विधायक विधायक दल की बैठक में नहीं गए थे. ऐसे में स्पीकर को उन्हें नोटिस जारी करने की शक्ति है. शेड्यूल 10 के पैरा 6 में प्रावधान है कि स्पीकर की ओर से की गई कार्रवाई को किसी कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पीकर की कार्रवाई को ज्यूडिशियल रिव्यू की श्रेणी में माना है.