जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तीसरा कार्यकाल अगर सबसे ज्यादा किसी बात के लिए जाना जाएगा तो वह है राजस्थान और खास तौर पर जयपुर का पॉलिटिकल टूरिज्म के लिए हब बनकर उभरना. कांग्रेस के विधायक भले ही किसी राज्य के हो, लेकिन अगर कोई सियासी संकट उस राज्य में आया हो या फिर विधायकों की तोड़फोड़ रोकनी हो तो कांग्रेस आलाकमान को सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान ही याद आते हैं. यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस कार्यकाल में नवंबर 2019 में महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों की बाड़ेबंदी के बाद अब तक गुजरात, मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायकों और असम के प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी सफलतापूर्वक हो चुकी है.
यही कारण है कि अब एक बार फिर पांच राज्यों के चुनाव (Assembly Election 2022) के बाद राजस्थान को ही गोवा, पंजाब और उत्तराखंड की सियासी बाड़ाबंदी (Political Tourism in Rajasthan) के लिए चुन लिया गया है. कहा जा रहा है कि इन तीनों राज्यों के कांग्रेस प्रत्याशियों को राजस्थान (Congress Candidates Fencing in Rajasthan) लाया जाएगा. जबकि उत्तर प्रदेश में पार्टी चुनाव के नतीजों का इंतजार करेगी और उसके बाद अगर भाजपा या सपा पूर्ण बहुमत में नहीं आते हैं तो जीते हुए उत्तर प्रदेश के कांग्रेस विधायकों को भी राजस्थान लाया जाएगा.
सीएम गहलोत की बाड़ाबंदी रही अचूक- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक हैं. यही कारण है कि कांग्रेस शासित किसी भी राज्य में संकट आती है या विधायकों को तोड़फोड़ से बचाना हो तो कांग्रेस आलाकमान को राजस्थान याद आता है. यही कारण है कि अब तक सीएम अशोक गहलोत के इस कार्यकाल में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधायकों की बाड़ेबंदी का गवाह बन चुका है. साथ ही असम के विधायक प्रत्याशियों के बाड़ेबंदी (Assam Congress MLA Fencing in Rajasthan) का भी गवाह बन चुका है.
इन राज्यों के विधायकों की हुई है बाड़ेबंदी
नवम्बर 2019- महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक: नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस के विधायक भी इस क्षमता में थे कि समर्थन देकर किसी पार्टी की सरकार बनवा सके. ऐसे में कांग्रेस विधायकों की तोड़फोड़ नहीं हो सके इसके लिए कांग्रेस विधायकों को दिल्ली रोड स्थित होटल ब्यूनाविस्ता रिसोर्ट में ठहराया गया. प्रदेश में बहुमत साबित होने तक उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी देखरेख में बाड़ेबंदी में रखा.
फरवरी 2020- मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक: तत्कालीन कांग्रेस विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक कांग्रेस के विधायकों के बगावत करने के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट को उभारने के लिए भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही कमलनाथ और कांग्रेस आलाकमान की पहली पसंद बने. करीब 15 दिनों तक मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों को जयपुर के होटल ब्यूना विस्ता और शिव विलास में शिफ्ट किया गया. भले ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बची हो, लेकिन जो भी विधायक राजस्थान पहुंचे वे कांग्रेस के समर्थन में रहे.
फरवरी 2020- गुजरात कांग्रेस के विधायक: मध्य प्रदेश के विधायक जयपुर से वापस मध्यप्रदेश लौटे भी नहीं थे कि राज्यसभा चुनाव में तोड़फोड़ के डर से गुजरात के कांग्रेस विधायकों को जयपुर के शिव विलास रिसोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया. गुजरात के आधे विधायकों को शिव विलास और आधे विधायकों को ग्रीन टी हाउस में ठहराया गया था.