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Assembly Election 2022: चुनाव के नतीजों से पहले राजस्थान में 3 राज्यों के प्रत्याशियों की होगी बाड़ेबंदी!

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Published : Feb 28, 2022, 10:34 AM IST

Updated : Feb 28, 2022, 11:38 AM IST

पॉलिटिकल टूरिज्म के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर राजस्थान (Political Tourism in Rajasthan) का चयन किया है. पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान एक बार फिर तीन राज्यों के प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी (Congress Candidates Fencing in Rajasthan) राजस्थान में करेगी. अशोक गहलोत के इस कार्यकाल में अब तक महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और असम के विधायकों की बाड़ेबंदी हो चुकी है. पढ़ें पूरी खबर...

Political Tourism in Rajasthan
Political Tourism in Rajasthan

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तीसरा कार्यकाल अगर सबसे ज्यादा किसी बात के लिए जाना जाएगा तो वह है राजस्थान और खास तौर पर जयपुर का पॉलिटिकल टूरिज्म के लिए हब बनकर उभरना. कांग्रेस के विधायक भले ही किसी राज्य के हो, लेकिन अगर कोई सियासी संकट उस राज्य में आया हो या फिर विधायकों की तोड़फोड़ रोकनी हो तो कांग्रेस आलाकमान को सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान ही याद आते हैं. यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस कार्यकाल में नवंबर 2019 में महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों की बाड़ेबंदी के बाद अब तक गुजरात, मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायकों और असम के प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी सफलतापूर्वक हो चुकी है.

यही कारण है कि अब एक बार फिर पांच राज्यों के चुनाव (Assembly Election 2022) के बाद राजस्थान को ही गोवा, पंजाब और उत्तराखंड की सियासी बाड़ाबंदी (Political Tourism in Rajasthan) के लिए चुन लिया गया है. कहा जा रहा है कि इन तीनों राज्यों के कांग्रेस प्रत्याशियों को राजस्थान (Congress Candidates Fencing in Rajasthan) लाया जाएगा. जबकि उत्तर प्रदेश में पार्टी चुनाव के नतीजों का इंतजार करेगी और उसके बाद अगर भाजपा या सपा पूर्ण बहुमत में नहीं आते हैं तो जीते हुए उत्तर प्रदेश के कांग्रेस विधायकों को भी राजस्थान लाया जाएगा.

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सीएम गहलोत की बाड़ाबंदी रही अचूक- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक हैं. यही कारण है कि कांग्रेस शासित किसी भी राज्य में संकट आती है या विधायकों को तोड़फोड़ से बचाना हो तो कांग्रेस आलाकमान को राजस्थान याद आता है. यही कारण है कि अब तक सीएम अशोक गहलोत के इस कार्यकाल में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधायकों की बाड़ेबंदी का गवाह बन चुका है. साथ ही असम के विधायक प्रत्याशियों के बाड़ेबंदी (Assam Congress MLA Fencing in Rajasthan) का भी गवाह बन चुका है.

इन राज्यों के विधायकों की हुई है बाड़ेबंदी

नवम्बर 2019- महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक: नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस के विधायक भी इस क्षमता में थे कि समर्थन देकर किसी पार्टी की सरकार बनवा सके. ऐसे में कांग्रेस विधायकों की तोड़फोड़ नहीं हो सके इसके लिए कांग्रेस विधायकों को दिल्ली रोड स्थित होटल ब्यूनाविस्ता रिसोर्ट में ठहराया गया. प्रदेश में बहुमत साबित होने तक उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी देखरेख में बाड़ेबंदी में रखा.

फरवरी 2020- मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक: तत्कालीन कांग्रेस विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक कांग्रेस के विधायकों के बगावत करने के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट को उभारने के लिए भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही कमलनाथ और कांग्रेस आलाकमान की पहली पसंद बने. करीब 15 दिनों तक मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों को जयपुर के होटल ब्यूना विस्ता और शिव विलास में शिफ्ट किया गया. भले ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बची हो, लेकिन जो भी विधायक राजस्थान पहुंचे वे कांग्रेस के समर्थन में रहे.

फरवरी 2020- गुजरात कांग्रेस के विधायक: मध्य प्रदेश के विधायक जयपुर से वापस मध्यप्रदेश लौटे भी नहीं थे कि राज्यसभा चुनाव में तोड़फोड़ के डर से गुजरात के कांग्रेस विधायकों को जयपुर के शिव विलास रिसोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया. गुजरात के आधे विधायकों को शिव विलास और आधे विधायकों को ग्रीन टी हाउस में ठहराया गया था.

पढ़ें- कांग्रेस ने असम में सहयोगी दल AIUDF के विधायक प्रत्याशियों को किया जयपुर शिफ्ट

2021- असम कांग्रेस और समर्थित विधायक:2021 में भी राजस्थान पॉलिटिकल टूरिज्म का हब बना रहा. असम में तोड़फोड़ नहीं हो सके, इसके लिए असम के नतीजे आने से पहले कांग्रेस और कांग्रेस के समर्थित दलों के प्रत्याशियों को जयपुर के होटल फेयरमाउंट में ठहराया गया.

सीएम गहलोत भी 35 दिनों तक बाड़ेबंदी में रहे- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को न केवल अपने इस कार्यकाल में अन्य राज्यों के कांग्रेस के विधायकों की सफल बाड़ेबंदी का अनुभव रहा है, बल्कि राजस्थान के विधायकों की बाड़ेबंदी का भी अनुभव है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कैंप के बगावत (Rajasthan Political Crisis) करने के बाद कांग्रेस और समर्थक विधायकों को भी एकजुट कर उनको बाड़ेबंदी में रखने का अनुभव सीएम गहलोत के पास है. जब राजस्थान में सियासी संकट आया तो 35 दिनों तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने विधायकों के साथ करीब बाड़ेबंदी में रहे और राजस्थान में सरकार भी बचाई.

2005 से ही राजस्थान रहा है सुरक्षित बाड़ेबंदी का स्थान: ऐसा नहीं है कि राजस्थान में पहली बार विधायक पॉलिटिकल टूरिज्म के लिए आए हैं, बल्कि यह प्रचलन तो साल 2005 में ही शुरू हो गया था. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झारखंड की अर्जुन मुंडा सरकार को बचाने के लिए झारखंड के विधायकों की जयपुर में बाड़ेबंदी की थी. इन विधायकों को अजमेर रोड के एक रिसोर्ट में रखा गया था. उस सफल बाड़ेबंदी के चलते झारखंड में अर्जुन मुंडा सरकार बच गई थी.

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वहीं, साल 2016 में भी उत्तराखंड में तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जब सियासी संकट आया तो भाजपा विधायकों को टूटने और खरीद-फरोख्त के डर से भाजपा ने अपने 24 से ज्यादा विधायकों को जयपुर भेज दिया था. इस दौरान विधायकों ने होली का त्यौहार भी जयपुर में ही मनाया था.

अब पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के प्रत्याशियों को लाने की तैयारी: अब एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के विधायकों की किसी भी तोड़फोड़ की आशंका को रोकने के लिए कमान सौंपी है. पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव का परिणाम 10 मार्च को आएगा. 10 मार्च को नतीजे आने से पहले ही इन राज्यों के विधायकों को राजस्थान शिफ्ट कर दिया जाएगा. वहीं, उत्तर प्रदेश में पार्टी नतीजों का इंतजार करेगी और नतीजों के बाद अगर भाजपा या सपा बहुमत से दूर रह जाती है तो ऐसे में कांग्रेस के विधायकों को जयपुर शिफ्ट किया जा सकता है.

हालांकि, इसी बीच चर्चा यह भी चल रही है कि विधायकों और विधायक प्रत्याशियों को दो अलग-अलग हिस्सों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में रखा जाएगा. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी कुछ विधायक या विधायक प्रत्याशियों को भेजा जाएगा.

Last Updated : Feb 28, 2022, 11:38 AM IST

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