जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में राजनीति के दो विपरीत ध्रुव माने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जमी कटुता की बर्फ अब पिघलती दिखाई दे रही है. जहां, दोनों गुटों के बीच राजनीतिक उठापटक के समय कटुता अपने चरम पर थी, तो अब करीब 6 महीने बाद दोनों गुट बिना किसी आलाकमान के एक साथ बैठे दिखाई दे रहे हैं. इसकी शुरुआत तब हुई जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी के लिए एक असेट बताया था.
'भूलो और आगे बढ़ो'
इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भूलो और आगे बढ़ो की बात कही, जिसका नतीजा है कि अब गहलोत और पायलट सार्वजनिक मंच साझा कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सचिन पायलट को कांग्रेस की जरूरत नहीं है, क्योंकि हर कोई जानता है कि युवा पीढ़ी में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में सचिन पायलट का नाम शुमार है. राजस्थान में उनकी पकड़ किसी से छिपी नहीं है. इसमें भी दो राय नहीं है कि सचिन पायलट ने 5 साल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में बेमिसाल रहे, जिसकी वजह से कांग्रेस को राजस्थान विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई.
यह भी पढ़ेंःBird Flu का कहर! कौओं के बाद कोटा में 25 कबूतरों की मौत, विभाग को रिपोर्ट का इंतजार
हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर राजस्थान में दोनों गुटों में ही शह और मात के खेल चले और यह खेल उस समय अपने चरम पर चले गए, जब प्रदेश में राजनीतिक उठापटक हुई. हालांकि, अभी भी दोनों गुटों के मन पूरी तरीके से नहीं मिले हैं, लेकिन राजनीति में प्रतिस्पर्धा होना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी कांग्रेस में कई गुट सक्रिय रहे हैं, लेकिन वह एक राजनीतिक प्रतिस्पर्धा थी.
सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी के असेट
तमाम विवादों और आरोपों के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट की कांग्रेस पार्टी में सम्मान से वापसी करवाई. उनकी शिकायतें सुनने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया. हर कोई अचरज में था कि ऐसा क्या कारण है कि कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं के विरोध के बाद भी प्रियंका गांधी ने सचिन पायलट पर भरोसा जताया.
यह भी पढ़ेंःचूरूः चाइनीज मांझे से युवक का कटा गला, प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रही बिक्री
दरअसल राजस्थान में कांग्रेस और सचिन पायलट दोनों एक दूसरे की जरूरत हैं. कांग्रेस पार्टी में नई लीडरशिप के तौर पर सचिन पायलट भी कांग्रेस के एक नेता माने जाते हैं, जिनकी न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में एक पहचान है, इस बात का सबूत उन्होंने मध्य प्रदेश के उपचुनाव में भी दिखाया. वहीं, राजस्थान में उनकी उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है. सचिन पायलट जिस तरीके से राजस्थान में दौरे करते हैं, चाहे वह मारवाड़ के इलाके हों, मेवाड़ के इलाके हों या पूर्वी राजस्थान के, हर जगह कांग्रेस में सचिन पायलट की ही पकड़ है. लेकिन, उनकी सबसे ज्यादा पकड़ कहीं है तो वह है अजमेर और पूर्वी राजस्थान पर जंहा सचिन पायलट की पकड़ किसी भी अन्य नेता से ज्यादा है.