जयपुर.गणेश चतुर्थी के मौके पर पाली जिले से कन्या जयपुर आई है. वह साल भर कचरा बीनने का काम करती है और उसी से अपना घर चलाती है. हर साल वह गणेश चतुर्थी पर जयपुर आकर गणेश जी की मूर्तियां बनाती है, जिससे उसे कुछ मुनाफा हो जाता है. इस साल भी कन्या ने 50 हजार रुपए 10 रुपए सैकड़ा ब्याज पर लिए और मूर्तियां बनाई, लेकिन कोरोना के कारण ग्राहक मूर्तियां खरीदने नहीं आ रहे हैं. जिसके चलते अब कन्या को मुनाफा तो दूर कर्जा लेकर घर चलाना पड़ रहा है.
कारीगरों पर कोरोना की मार... कोरोना संक्रमण को बढ़ता देख सरकार ने त्योहारों के मौके पर सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगा दी है. वहीं लोग भी बाजारों में खरीदारी करने से बच रहे हैं. जिसकी सीधी मार गणेश चतुर्थी पर मूर्ति बनाने का काम करने वाले कन्या जैसे कारीगरों पर पड़ी है. दुकानों के आगे कारीगरों ने बप्पा की मूर्तियों को सजा कर रख दिया है, लेकिन भक्त बप्पा को इस बार घर ले जाने इन दुकानों तक नहीं पहुंच रहे हैं.
इस बार कारीगरों ने 50 से 60 मूर्तियां ही बनाई हैं कन्या के कंधों पर घर की जिम्मेदारी...
कन्या ने बताया कि परिवार में सिर्फ वो और उसका पति है. एक बेटी है जिसकी शादी कर दी और पति बीमार रहता है. जिसके चलते घर की पूरी जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई है. गणेश चतुर्थी के मौके पर कुछ उम्मीद थी कि मूर्तियां बिकेंगी तो कुछ मुनाफा होगी, लेकिन पूरे-पूरे दिन में एक भी ग्राहक नहीं आ रहा हैं. घर खर्चे के लिए ब्याज पर पैसे लेने पड़ रहे हैं.
ब्याज पर पैसे लेकर बनाई हैं मूर्तियां पढ़ें:SPECIAL: ये अंधा कानून है... हत्या के गवाह को झूठे मामले में फंसाकर दबंगों ने पहुंचा दिया सलाखों के पीछे
जयपुर में पिछले 25 सालों से गणेश चतुर्थी पर मूर्तियां बनाने का काम करने वाले राजू ने बताया कि हर साल जो मूर्तियां बनाते थे वो बिक जाती थी. इस बार कर्जा लेकर मूर्तियां बनाई हैं, लेकिन कोरोना के डर से कोई मूर्ति खरीदने आ ही नहीं रहा है. हर साल कारीगर 100 से 150 मूर्तियां बनाते थे, लेकिन इस बार 50-60 मूर्तियां ही बनाई हैं.
सरकार की तरफ से नहीं मिल रही कोई मदद सरकार की तरफ से नहीं मिली कोई मदद...
सरकार की तरफ से मूर्ति कारीगरों को कोई मदद नहीं मिली है, ना ही कारीगरों के लिए किसी राहत पैकेज का एलान किया गया है. इसके पीछे वजह है मूर्ति कारीगरों का असंगठित क्षेत्र में आना. इनका ना कोई संगठन है ना ही सरकार के पास कोई आधिकारिक आंकड़ा कि कितने कारीगर मूर्ति बनाने के काम में लगे हैं. जिसके चलते इनकों किसी भी राहत पैकेज का लाभ नहीं मिल पाता है. सभी मूर्ति कारीगर फुटपाथ किनारे ही टैंट लगाकर रहते हैं और वहीं मूर्तियां बनाते हैं. तेज बारिश में भी मूर्ति बनाने का कच्चा सामान खराब हो जाता है. एक तरफ कोरोना के कारण मूर्तियों की बिक्री पूरी तरह से ठप पड़ गई है तो ऐसी स्थिति में कारीगर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं कि उनकी मदद की जाए.