जयपुर.नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन जारी है. इस बीच केरल और पंजाब सरकार के बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार ने भी सीएए के खिलाफ विधानसभा में संकल्प पत्र पारित किया.
इस दौरान बीजेपी विधायकों ने विधानसभा में जमकर नारेबाजी भी की. कांग्रेस ने जहां इस कानून को धर्म के नाम पर बांटने वाला बताया तो नहीं विपक्ष में बैठे बीजेपी ने इस संकल्प पत्र को नेताओं को खुश करने के लिए उठाया गया कदम करार दिया.
विधानसभा में CAA , MPR और NRC के खिलाफ प्रदेश की गहलोत सरकार ने संकल्प पत्र पेश कर बहुमत के साथ प्रस्ताव को पारित भी कर लिया. लेकिन 15वीं विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे दिन आज सदन में पेश हुए इस संकल्प पत्र पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष में इस बीच काफी नोकझोंक भी हुई. लेकिन हंगामे के बीच सत्ता पक्ष इस संकल्प पत्र को पास कराने में कामयाब रही.
सदन में ये बोले धारीवाल..
संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में संकल्प पत्र के पक्ष में बोलते हुए कहा कि हमारा कहना है कि इस कानून पर या तो पुनर्विचार किया जाए या फिर से बनाया जाए. हम किसी भी शरणार्थी को नागरिकता देने के विरोध में नहीं है. हमने शरणार्थियों को भी नागरिकता दी है. सरकार बनने के बाद हमने बारह सौ से अधिक शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम किया है. लेकिन हमारा विरोध यह है कि जो धर्म के नाम पर लोगों में भेदभाव किया जा रहा है, उसका हम विरोध करते हैं.
यह भी पढ़ें- CAA के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संकल्प पारित, केरल और पंजाब के बाद राजस्थान तीसरा राज्य
सदन में सीएए के साथ-साथ MPR और NRC को लेकर भी विपक्ष पर निशाना साधा गया. धारीवाल ने कहा कि जिस तरह की एनआरसी लाना चाहते है, राजस्थान में बढ़ी आबादी के पास उसके प्रमाण पत्र ही नही हैं. जिस तरह का माहौल इस वक्त देश में बनाया जा रहा है, उससे इंटरनेशल लेवल पर भी भारत का ग्राफ कमजोर हुआ है. इसे जो देश में पर्यटक आ रहा था वह भी अब कम हो गया है , जिससे इकोनॉमिक पर भी फर्क पड़ा है.
शांति धारीवाल ने नेता प्रतिपक्ष कटारिया पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण कर सकते हो लेकिन धर्मनिरपेक्ष के लिए जो पहचान देश की है, वह न मोदी जी की वजह से है, ना अमित शाह की वजह से. हिंदुस्तान में अलग-अलग धर्म, अलग-अलग जाति के लोग रहते हैं. देश-विदेश में हमारी यह पहचान हमें सबसे अलग रखती थी, लेकिन इस कानून की वजह से देश में नहीं बल्कि विदेश में भी हमारी छवि को धूमिल किया गया है.