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मैं जीना चाहती हूं...बीमार हर्षिता को इलाज के लिए मदद की दरकार

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Published : Dec 29, 2019, 3:01 PM IST

Updated : Dec 29, 2019, 3:06 PM IST

जयपुर जिले के रेनवाल तहसील के बासड़ीखुर्द पंचायत के जोधपुरा गांव की रहने वाली हर्षिता पाटोदिया पिछले चार वर्ष से अप्लास्टिक एनीमिया रोग से ग्रसित है. हर्षिता को हर महीने तीन से चार यूनिट ब्लॅड चढ़वाना पढ़ता है. वहीं इसके पिता मजदूरी करते है और इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ है. ऐसे में इसके परिवार ने सरकारी स्तर पर मदद चाही पर वो नहीं मिला. परिवार के लोगों ने सरकार से मदद मांगी है.

अप्लास्टिक एनीमिया रोगी हर्षिता , Aplastic anemia patient Harshita, जयपुर न्यूज
इलाज के लिए सरकार से मदद की गुहार

जयपुर. मैं जीना चाहती हूं.. मैं पढ़ना चाहती हूं.. मैं देश के लिए कुछ करना चाहती हूं...यह शब्द हर्षिता के हैं, जो अप्लास्टिक एनीमिया रोग से ग्रसित है. जयपुर जिले के रेनवाल तहसील के बासड़ीखुर्द पंचायत के जोधपुरा गांव की रहने वाली हर्षिता पाटोदिया पिछले चार साल से अप्लास्टिक एनीमिया रोग से ग्रसित है. हर्षिता को हर महीने तीन से चार यूनिट ब्लॅड चढ़वाना पढ़ता है.

इलाज के लिए सरकार से मदद की गुहार

सुरेश कुमार पाटोदिया ने बिटिया के इलाज में अब तक 15 लाख रूपए से ज्यादा खर्च कर दिए है. अब हालात ये हैं, कि आगे इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं है, जबकि चिकित्सकों के मुताबिक स्थाई इलाज के लिए 35 लाख रूपए की जरूरत है. मजदूरी कर परिवार का पालन करने वाला लाचार पिता अपनी 16 साल की बेटी के इलाज के लिए सरकार के आला अधिकारियों सहित जन नेताओं के पास चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं. लेकिन अबतक कहीं से भी उसे इलाज के लिए मदद नहीं मिल रही है.

हर्षिता के पिता ने बताया, कि करीब 4 साल पहले हर्षिता को कमजोरी और थकान महसूस हुई तो हॉस्पिटल दिखाया गया. जांच में खून की मात्रा कम होने पर उसे ब्लॅड चढ़ाया गया. लेकिन अगले महीने फिर हीमोग्लोबीन कम होने पर जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल जांच करवाई, तो उसमें अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी पाई गई. इस बीमारी में शरीर पर्याप्त रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बंद कर देता है, जिससे खून नहीं बन पाता. अब हर्षिता को हर महीने जयपुर जाकर ब्लॅड चढ़वाना पढ़ता है.

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उधार लेकर बच्ची का इलाज करवा रहा है गरीब पिता

गरीब परिवार होने के बावजूद उसका बीपीएल कार्ड भी नहीं है. भामाशाह कार्ड से केवल साल में तीन बार ब्लॅड दिया जाता है, उसके बाद हर बार उसे रकम खर्च कर ब्लॅड चढ़वाना पढ़ रहा है. इलाज कराते-कराते पिता और परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से खराब हो चुकी है. अब तक 15 लाख से ज्यादा रुपये खर्च हो चुके हैं. उधार रकम लेकर बेटी का इलाज कराना पड़ रहा है. हालांकि एसएमएस हॉस्पिटल में निशुल्क ब्लॅड चढ़ाया जाता है, लेकिन वहां तत्काल ब्लॅड नहीं मिलने से मजबूरी में परिवार को दूसरे प्राइवेट हॉस्पिटल में रकम खर्च कर ब्लॅड चढ़वाना पड़ता है. प्राइवेट ब्लॅड बैंक में एक यूनिट के 1250 रूपए लगते हैं.

हर जगह फरियाद, लेकिन मदद नहीं मिली

हर्षिता के पिता सुरेश कुमार ने बताया, कि बच्ची के इलाज में मदद के लिए उसने एसडीएम, विकास अधिकारी, जिला कलेक्टर सहित विधायक निर्मल कुमावत, सांसद राज्यवर्धन सिंह, कांग्रेस नेता विद्याधर सिंह और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से भी फरियाद की, लेकिन अबतक कहीं से भी उसे मदद नहीं मिल रही है. मजदूरी करने के बावजूद उसका नाम बीपीएल सूची में भी नहीं जुड़ सका है.

इलाज के लिए 35 लाख की जरूरत

पिता सुरेश कुमार ने बताया, कि एसएमएस हॉस्पिटल में उसे बताया गया है, कि अप्लास्टिक एनीमिया का स्थायी इलाज स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से ही हो सकता है. जिसके लिए 35 लाख का खर्च आता है. नई दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल या दूसरे बड़े हॉस्पिटल में ही इलाज संभव है.

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परिजन की मदद की गुहार

हर्षिता की मां ममता ने सरकार से बेटी के इलाज के लिए गुहार लगाई है. हर्षिता की चाची पूजा ने भी ईटीवी भारत के जरिए सरकार से बच्ची के इलाज के लिए मदद मांगी है.

पढ़ाई में अव्वल है हर्षिता

हर्षिता बीमारी की वजह से लगातार स्कूल नहीं जा पाती, फिर भी पढ़ाई में अव्वल है.11वीं कक्षा में पढ़ने वाली हर्षिता ने 10वीं कक्षा में सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए 85 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. हर्षिता कमजोरी और बीमारी की वजह से ज्यादा बोल नहीं पाती है. हर्षिता का कहना है, कि वो जीना चाहती है और पढ़ाई कर देश के लिए कुछ करना चाहती है.

Last Updated : Dec 29, 2019, 3:06 PM IST

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