जयपुर. मैं जीना चाहती हूं.. मैं पढ़ना चाहती हूं.. मैं देश के लिए कुछ करना चाहती हूं...यह शब्द हर्षिता के हैं, जो अप्लास्टिक एनीमिया रोग से ग्रसित है. जयपुर जिले के रेनवाल तहसील के बासड़ीखुर्द पंचायत के जोधपुरा गांव की रहने वाली हर्षिता पाटोदिया पिछले चार साल से अप्लास्टिक एनीमिया रोग से ग्रसित है. हर्षिता को हर महीने तीन से चार यूनिट ब्लॅड चढ़वाना पढ़ता है.
सुरेश कुमार पाटोदिया ने बिटिया के इलाज में अब तक 15 लाख रूपए से ज्यादा खर्च कर दिए है. अब हालात ये हैं, कि आगे इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं है, जबकि चिकित्सकों के मुताबिक स्थाई इलाज के लिए 35 लाख रूपए की जरूरत है. मजदूरी कर परिवार का पालन करने वाला लाचार पिता अपनी 16 साल की बेटी के इलाज के लिए सरकार के आला अधिकारियों सहित जन नेताओं के पास चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं. लेकिन अबतक कहीं से भी उसे इलाज के लिए मदद नहीं मिल रही है.
हर्षिता के पिता ने बताया, कि करीब 4 साल पहले हर्षिता को कमजोरी और थकान महसूस हुई तो हॉस्पिटल दिखाया गया. जांच में खून की मात्रा कम होने पर उसे ब्लॅड चढ़ाया गया. लेकिन अगले महीने फिर हीमोग्लोबीन कम होने पर जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल जांच करवाई, तो उसमें अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी पाई गई. इस बीमारी में शरीर पर्याप्त रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बंद कर देता है, जिससे खून नहीं बन पाता. अब हर्षिता को हर महीने जयपुर जाकर ब्लॅड चढ़वाना पढ़ता है.
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उधार लेकर बच्ची का इलाज करवा रहा है गरीब पिता
गरीब परिवार होने के बावजूद उसका बीपीएल कार्ड भी नहीं है. भामाशाह कार्ड से केवल साल में तीन बार ब्लॅड दिया जाता है, उसके बाद हर बार उसे रकम खर्च कर ब्लॅड चढ़वाना पढ़ रहा है. इलाज कराते-कराते पिता और परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से खराब हो चुकी है. अब तक 15 लाख से ज्यादा रुपये खर्च हो चुके हैं. उधार रकम लेकर बेटी का इलाज कराना पड़ रहा है. हालांकि एसएमएस हॉस्पिटल में निशुल्क ब्लॅड चढ़ाया जाता है, लेकिन वहां तत्काल ब्लॅड नहीं मिलने से मजबूरी में परिवार को दूसरे प्राइवेट हॉस्पिटल में रकम खर्च कर ब्लॅड चढ़वाना पड़ता है. प्राइवेट ब्लॅड बैंक में एक यूनिट के 1250 रूपए लगते हैं.
हर जगह फरियाद, लेकिन मदद नहीं मिली