जयपुर. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (Center for Disease Control) की एडवाइजरी में कहा गया है कि पालतू जानवरों को परिवार के सदस्य की तरह ट्रीट करना चाहिए. यह चेतावनी भी दी गई है कि पालतू जानवरों को घर के बाहर के लोगों से नहीं मिलने दें. लेकिन राजधानी जयपुर (Jaipur) में कोरोना काल में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें पालतू कुत्तों को भी डॉग्स ऑनर्स ने बाहर छोड़ दिया.
राजधानी में कई संस्थाएं बेजुबानों की सेवा कर रही हैं. जयपुर की मिशन बेजुबान, रक्षा संस्थान समेत विभिन्न संस्थाएं बेसहारा डॉग्स को अडॉप्ट कर उनकी सेवा कर रहीं हैं.
मिशन बेजुबान संस्था से महेश काफी लंबे समय से डॉग्स और अन्य बेजुबान पशु-पक्षियों की सेवा कर रहे हैं. आसपास के इलाके में आवारा कुत्तों को भी दो वक्त का भोजन खिला रहे हैं. लोग भी उनको डॉग वाले भैया के नाम से पुकारते हैं.
पढ़ें:Special: राजस्थान के इस शहर से परिंदे भी कर रहे पलायन...
राजधानी में छोड़े गए पालतू जानवरों के कई उदाहरण सामने आए हैं. पशु प्रेमी संगठन इन डॉग्स को अडॉप्ट कर उनकी सेवा कर रहे हैं. बनी पार्क इलाके में किसी डॉक्टर ने अपना पालतू कुत्ता बाहर छोड़ दिया था. एक डॉग को तो उसका मालिक शराब पीकर बेल्ट से मारता था. वह बहुत बुरी हालत में मिला था. उसका नाम ब्राउनी है. एक और डॉग मेगी को भी मालिक ने छोड़ दिया था. डॉग्स के अलावा भी अन्य बेजुबान पशु पक्षियों को भोजन खिलाया जा रहा है.
मिशन बेजुबान के सदस्य महेश ने बताया कि कोरोना काल में पालतू कुत्तों के साथ अनाथ और स्ट्रीट डॉग्स के लिए खाना बराकर खिलाया जा रहा है. सुबह-शाम करीब 150 कुत्तों को फीड कर रहे हैं. सामान्य दिनों में तो रेस्टोरेंट और दुकानों के बाहर भी कुत्तों को खाना मिल जाता था, लेकिन अब ज्यादा मुसीबतें खड़ी हो गई है. कई जगह पर तो कुत्तों को पीने के लिए पानी का भी बंदोबस्त नहीं है. ऐसे में कुत्तों के लिए पानी के मटके रखवा कर पानी की व्यवस्था की गई है.
बोर्डिंग सेवा का सहारा
कोरोना संक्रमण काल में कई परिवार कोविड पॉजिटिव होने की वजह से डॉग की देखरेख नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें पेट्स बोर्डिंग सर्विस (Pet Boarding Services) का सहारा लेना पड़ रहा है. कई संगठन पालतू कुत्तों को बोर्डिंग सेवाएं भी दे रहे हैं. इसके बदले चार्ज भी लिए जाते हैं. प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक और हाइब्रिड डॉग्स का तो 2000 रुपये तक भी बोर्डिंग चार्ज लिया जाता है.
इंडियन डॉग्स को लेकर लोगों की धारणा बदलनी जरूरी
मिशन बेजुबान के सदस्य महेश ने बताया कि ज्यादातर डॉग लवर ब्रीड में विश्वास करते हैं. जबकि इंडियन डॉग्स के मुकाबले कोई भी डॉग नहीं है. सिक्योरिटी के हिसाब से भी इंडियन डॉग्स बेहतर हैं. आज हमारी सड़कों पर बहुत सारे इंडियन डॉग्स हैं. कई डॉग्स गाड़ियों के नीचे आकर दुर्घटना में मारे जाते हैं. कोई बीमारी से तो कोई भूख से मर जाता है. लोग अपनी सोच बदल कर सड़कों से एक-एक डॉग अडॉप्ट करें तो बेजुबानों को सहारा मिल सकता है.
इंडियन डॉग्स का बर्थ कंट्रोल होना चाहिए
महेश ने बताया कि सड़कों पर आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल होना जरूरी है ताकि आए दिन दुर्घटना, भुखमरी और अन्य कारणों से कुत्तों की मौत न हो.
जयपुर में 5000 डॉग्स को खिला रहे नि:शुल्क
रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल ने बताया कि जयपुर में करीब 5000 स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिला रहे हैं. कहीं पर भी सूचना मिलती है तो डॉग्स को नि:शुल्क रेस्क्यू किया जाता है. डॉग्स में कोई भी बीमारी होती है तो उसका इलाज भी किया जाता है.
कई बार लोग कोविड संक्रमण के डर से पालतू जानवरों को छोड़ देते हैं. लोगों को जानना जरूरी है कि पालतू जानवर में कोविड का संक्रमण नहीं है. डॉग की बॉडी पर वायरस का खतरा एक्सटर्नली हो सकता है, इंटरनली खतरा नहीं रहता. डॉग्स की बॉडी को साबुन से साफ किया जा सकता है. घायल या रेस्क्यू किए गए डॉग्स को रक्षा संस्थान के शेल्टर पर लाकर देख-रेख की जाती है. लास्ट 3 महीने में 6 उदाहरण ऐसे सामने आए जब डॉग को बोर्डिंग फैसिलिटी में देना पड़ा. 3 डॉग्स को रक्षा संस्थान ने अडॉप्ट किया है.