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Special: कोरोना काल में बेजुबानों की सेवा कर इंसानियत का फर्ज निभा रहे पशु प्रेमी

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) पालतू जानवरों (Pets) के लिए भी अभिशाप साबित हुई है. कोरोना काल (Corona Period) में कभी अपने मालिकों के चहेते रहे डॉग भी आवारा कुत्तों (Stray Dogs)के बीच रहने को मजबूर हैं. हालांकि 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोई...' कहावत को सार्थक करते हुए कुछ संस्थानों ने बेजुबानों को सहारा दिया है. कई लोग NGO के जरिए बेसहारा डॉग्स को अडॉप्ट कर उन्हें पाल रहे हैं.

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पशु प्रेमी बचा रहे जान

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Published : Jun 23, 2021, 10:14 PM IST

जयपुर. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (Center for Disease Control) की एडवाइजरी में कहा गया है कि पालतू जानवरों को परिवार के सदस्य की तरह ट्रीट करना चाहिए. यह चेतावनी भी दी गई है कि पालतू जानवरों को घर के बाहर के लोगों से नहीं मिलने दें. लेकिन राजधानी जयपुर (Jaipur) में कोरोना काल में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें पालतू कुत्तों को भी डॉग्स ऑनर्स ने बाहर छोड़ दिया.

राजधानी में कई संस्थाएं बेजुबानों की सेवा कर रही हैं. जयपुर की मिशन बेजुबान, रक्षा संस्थान समेत विभिन्न संस्थाएं बेसहारा डॉग्स को अडॉप्ट कर उनकी सेवा कर रहीं हैं.

मिशन बेजुबान संस्था से महेश काफी लंबे समय से डॉग्स और अन्य बेजुबान पशु-पक्षियों की सेवा कर रहे हैं. आसपास के इलाके में आवारा कुत्तों को भी दो वक्त का भोजन खिला रहे हैं. लोग भी उनको डॉग वाले भैया के नाम से पुकारते हैं.

पशु प्रेमी बचा रहे जान

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राजधानी में छोड़े गए पालतू जानवरों के कई उदाहरण सामने आए हैं. पशु प्रेमी संगठन इन डॉग्स को अडॉप्ट कर उनकी सेवा कर रहे हैं. बनी पार्क इलाके में किसी डॉक्टर ने अपना पालतू कुत्ता बाहर छोड़ दिया था. एक डॉग को तो उसका मालिक शराब पीकर बेल्ट से मारता था. वह बहुत बुरी हालत में मिला था. उसका नाम ब्राउनी है. एक और डॉग मेगी को भी मालिक ने छोड़ दिया था. डॉग्स के अलावा भी अन्य बेजुबान पशु पक्षियों को भोजन खिलाया जा रहा है.

खास-खास

मिशन बेजुबान के सदस्य महेश ने बताया कि कोरोना काल में पालतू कुत्तों के साथ अनाथ और स्ट्रीट डॉग्स के लिए खाना बराकर खिलाया जा रहा है. सुबह-शाम करीब 150 कुत्तों को फीड कर रहे हैं. सामान्य दिनों में तो रेस्टोरेंट और दुकानों के बाहर भी कुत्तों को खाना मिल जाता था, लेकिन अब ज्यादा मुसीबतें खड़ी हो गई है. कई जगह पर तो कुत्तों को पीने के लिए पानी का भी बंदोबस्त नहीं है. ऐसे में कुत्तों के लिए पानी के मटके रखवा कर पानी की व्यवस्था की गई है.

महत्वपूर्ण तथ्य

बोर्डिंग सेवा का सहारा

कोरोना संक्रमण काल में कई परिवार कोविड पॉजिटिव होने की वजह से डॉग की देखरेख नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें पेट्स बोर्डिंग सर्विस (Pet Boarding Services) का सहारा लेना पड़ रहा है. कई संगठन पालतू कुत्तों को बोर्डिंग सेवाएं भी दे रहे हैं. इसके बदले चार्ज भी लिए जाते हैं. प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक और हाइब्रिड डॉग्स का तो 2000 रुपये तक भी बोर्डिंग चार्ज लिया जाता है.

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इंडियन डॉग्स को लेकर लोगों की धारणा बदलनी जरूरी

मिशन बेजुबान के सदस्य महेश ने बताया कि ज्यादातर डॉग लवर ब्रीड में विश्वास करते हैं. जबकि इंडियन डॉग्स के मुकाबले कोई भी डॉग नहीं है. सिक्योरिटी के हिसाब से भी इंडियन डॉग्स बेहतर हैं. आज हमारी सड़कों पर बहुत सारे इंडियन डॉग्स हैं. कई डॉग्स गाड़ियों के नीचे आकर दुर्घटना में मारे जाते हैं. कोई बीमारी से तो कोई भूख से मर जाता है. लोग अपनी सोच बदल कर सड़कों से एक-एक डॉग अडॉप्ट करें तो बेजुबानों को सहारा मिल सकता है.

इंडियन डॉग्स का बर्थ कंट्रोल होना चाहिए

महेश ने बताया कि सड़कों पर आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल होना जरूरी है ताकि आए दिन दुर्घटना, भुखमरी और अन्य कारणों से कुत्तों की मौत न हो.

जयपुर में 5000 डॉग्स को खिला रहे नि:शुल्क

रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल ने बताया कि जयपुर में करीब 5000 स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिला रहे हैं. कहीं पर भी सूचना मिलती है तो डॉग्स को नि:शुल्क रेस्क्यू किया जाता है. डॉग्स में कोई भी बीमारी होती है तो उसका इलाज भी किया जाता है.

कई बार लोग कोविड संक्रमण के डर से पालतू जानवरों को छोड़ देते हैं. लोगों को जानना जरूरी है कि पालतू जानवर में कोविड का संक्रमण नहीं है. डॉग की बॉडी पर वायरस का खतरा एक्सटर्नली हो सकता है, इंटरनली खतरा नहीं रहता. डॉग्स की बॉडी को साबुन से साफ किया जा सकता है. घायल या रेस्क्यू किए गए डॉग्स को रक्षा संस्थान के शेल्टर पर लाकर देख-रेख की जाती है. लास्ट 3 महीने में 6 उदाहरण ऐसे सामने आए जब डॉग को बोर्डिंग फैसिलिटी में देना पड़ा. 3 डॉग्स को रक्षा संस्थान ने अडॉप्ट किया है.

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छोटे डॉग्स आसानी से अडॉप्ट हो जाते हैं, क्योंकि उनकी ट्रेनिंग आसानी से हो जाती है. बड़े डॉग्स के एडॉप्शन में बहुत दिक्कत होती है. बड़े डॉग के लिए नए घर में एडजस्ट होना भी मुश्किल होता है.

कुत्ते को पालकर शौक पूरा होने के बाद बाहर छोड़ देना इमोशनल अत्याचार है. डॉग का बच्चा इंसान के बच्चे की तरह ही होता है. पहला साल उसका ग्रैंड ग्रोथ और ग्रैंड लर्निंग पीरियड होता है. डॉग की बेसिक ट्रेनिंग समय पर नहीं होती है तो प्रॉब्लम बढ़ जाती है. हर एक डॉग का एनर्जी लेवल होता है, जिसे कंज्यूम कराना जरूरी है. डॉग को वॉक करानी चाहिए. खेलने के लिए बॉल, रस्सी देना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर डॉग डिफरेंट बिहेवियर करता है.

रक्षा संस्थान के अध्यक्ष मनन ठोलिया ने बताया कि लॉकडाउन में बहुत सी ऐसी सिचुएशन रही, जहां डॉग्स नालियों में पड़े हुए मिले. रक्षा संस्थान ने डॉग्स को रेस्क्यू किया. पहले कोशिश की गई कि डॉग्स के परिवार मिल जाएं. जिनके परिवार नहीं मिले उनको शेल्टर पर लाकर रखा गया. डॉग्स को इच्छुक लोगों को अडॉप्ट कराया जाता है. कई बार ऐसे पिल्ले भी मिलते हैं, जिनकी मां दुर्घटना में मर गई हो और उनकी देखरेख करने वाला भी कोई नहीं हो. ऐसे में छोटे पिल्ले को भी सेंटर पर लाकर देखरेख की जाती है.

इंसानों से जानवरों में कोविड फैलने की संभावना

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि इंसानों से जानवरों में कोविड संक्रमण फैलने की संभावना रहती है. पिछले दिनों हैदराबाद और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के शेरों में कोविड पॉजिटिव पाया गया था. कोरोना संक्रमण के दौर में विशेष ध्यान रखना पड़ता है कि कोई भी कोविड संक्रमित व्यक्ति पालतू डॉग या पशुओं के संपर्क में नहीं आए. कोरोना संक्रमण के चलते पशुओं को बचाने के लिए विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है.

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डॉग लवर्स को सलाह

⦁ अपने डॉग्स को बाहर कम से कम लेकर जाएं.

⦁ डॉग्स के लिए सैनेटाइजर की बजाय डॉग के शैंपू का उपयोग करें.

⦁ पालतू डॉग और कैट को इम्यूनिटी बढ़ाने की दवाई देनी चाहिए ताकि परिवार के किसी भी सदस्य को अगर कोरोना हो जाता है तो पालतू पशुओं में संक्रमण की संभावना नहीं रहती है.

⦁ अगर पालतू पशुओं में कोविड सिम्टम्स आते हैं तो डिस्कंफर्ट, डलनेस, खाना-पीना छोड़ना, नाक बहना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे में पशु चिकित्सक को दिखाना जरूरी है.

डॉग्स में कोरोना का वैक्सीन पहले से ही लगता आया है. वह कोरोना वायरस पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. डॉग के लिए कोविड-19 का कोई वैक्सीन नहीं बना है. रूस में डॉग्स और रेट्स के लिए वैक्सीन रिसर्च की स्टेज में है.

डॉग पाल नहीं सकते तो लाएं भी नहीं

डॉग लवर हिमांशु जैन ने बताया कि अभी दो डॉग्स घर में हैं. दोनों ही किसी के छोड़े हुए डॉग्स हैं. अपने पालतू डॉग्स के साथ ही स्ट्रीट डॉग्स को भी खाना खिला रहे हैं. अगर कोई व्यक्ति डॉग पाल नहीं सकता तो उसको घर में नहीं लाना चाहिए. कई लोग स्ट्रीट डॉग्स को मारते-पीटते हैं. यह भी गलत है.

पालतू डॉग को छोड़ना हो तो NGO से करें संपर्क

डॉग लवर हिमांशी ने बताया कि दोनों वक्त स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाते हैं. सभी को कोशिश करनी चाहिए कि बेजुबानों को खाना खिला सकें. पालतू डॉग्स को रोड पर छोड़ना बहुत गलत है. अगर कोई अपना डॉग पाल नहीं सकता तो उसे एडॉप्शन सेंटर पर दें ताकि कोई डॉग लवर उसे अडॉप्ट कर सके. अगर किसी को डॉग छोड़ना है तो एनजीओ से संपर्क कर सकते हैं.

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