जयपुर.राजधानी में आवारा श्वान का चलते वाहन के पीछे दौड़ना, सड़क, कॉलोनी और बाजारों में घूमने वाली आम जनता को काटने जैसी शिकायतें आम बात है, लेकिन हाल ही में एक पालतू श्वान ने 11 वर्षीय मासूम को अपना शिकार बनाया. मासूम की हालत अभी गंभीर है और खूंखार श्वान को अब कैद कर लिया गया है.
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ईटीवी भारत जब जयसिंह पुरा खोर में बने श्वान गृह पहुंची, तो यहां लगभग सभी पिंजरे खाली मिले. दोनों निगम से महज एक-एक डॉग यहां लाया गया था. वहीं पिंजरे के पीछे मासूम विशाल को शिकार बनाने वाला पिटबुल नस्ल का डॉग भी कैद नजर आया. जिसे बुधवार को ही यहां लाया गया था.
ठप पड़ा है एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम इस संबंध में पशु प्रबंधन शाखा के राकेश गुप्ता ने बताया कि सोमवार को ही इसे रेस्क्यू कर लिया गया था और इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. फिलहाल इसके हिंसक होने जैसी किसी बात की पुष्टि नहीं हो रही है.
उन्होंने कहा कि श्वान से जब किसी तरह की छेड़छाड़ होती है, तब ही उसके आक्रामक होने की संभावना रहती है. बच्चे को काटते वक्त की स्थिति क्या रही होगी, इसका आकलन नहीं किया जा सकता.
ठप पड़ा है एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम
जुलाई-अगस्त के महीने में उमस-गर्मी की वजह से भी डॉग बाइटिंग की घटना भी बढ़ जाती है. जिस पर नकेल कसने के लिए जयपुर के श्वान गृह में एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाया जाता है. जहां श्वान को रेस्क्यू कर, उनका बंध्याकरण कर कोर्ट के आदेशानुसार दोबारा वही छोड़ दिया जाता है, लेकिन ये एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम भी फिलहाल ठप पड़ा है.
बीते साल श्वान के काटने की ऐसी ही कई घटनाएं सामने आने के बाद भी प्रशासन नहीं चेता. आलम ये है कि जयपुर के दोनों नगर निगम की ओर से एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के लिए कोई टेंडर ही नहीं किया गया. इस बार ना ही कोई फर्म निगम से जुड़ने में रुचि दिखा रही है. जिसका बड़ा कारण है, पिछली फर्म का जुलाई से मार्च तक का करीब 50 लाख रुपए बकाया होना. बकाए के चलते फिलहाल फर्म ने पूरी तरह हाथ खड़े कर दिए हैं.
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हालांकि नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा से जुड़े कर्मचारी शिकायत मिलने पर आवारा श्वान का रेस्क्यू कर यहां लाकर उन्हें एंटी रेबीज जरूर लगाते हैं. आलम ये है कि निगम के कर्मचारी भी इस बात का इंतजार करते हैं कि पहले आवारा श्वान द्वारा किसी व्यक्ति को काटने की घटना सामने आए. उसी के बाद उसका रेस्क्यू किया जाता है, लेकिन रेस्क्यू के बाद भी आवारा श्वानों का बंध्याकरण करना कर्मचारियों के हाथ में नहीं. वहीं, निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी फिलहाल एपीओ चल रहे हैं और इंस्पेक्टर के भी 4 पद खाली पड़े हैं.
मासूम की होनी है प्लास्टिक सर्जरी
बता दें कि फिलहाल जयपुर के s.m.s. अस्पताल में घायल विशाल का इलाज चल रहा है. परिवहन मंत्री के कहने पर बच्चे को प्राइवेट अस्पताल से दोबारा s.m.s. अस्पताल लाया गया, और यहां प्लास्टिक सर्जरी यूनिट में एडमिट कराया गया है. हालांकि पीड़ित के परिजनों का आरोप है कि यहां इलाज में लापरवाही बरती जा रही है. वहीं, पिटबुल डॉग को भी तीन-चार दिन श्वान गृह में रखने के बाद उसके मालिक को सौंपा जाएगा.