जयपुर. 15 मई को राज्य के मुख्य सचिव की ओर से सभी जिला कलेक्टरों को जारी एक पत्र से खड़ा हुआ बवाल अन्य धर्मावलंबियों के विरोध और सरकार की समीक्षा के बाद थम गया है. मुख्य सचिव के इस पत्र में लॉकडाउन की स्थिति में खाद्यान्न सहायता के लिए 26 श्रेणियों में पात्र व्यक्तियों और परिवारों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए थे, इसमें मंदिरों में पूजा पाठ करने वाले और कर्मकांडी पंडितों की तो श्रेणी बनाई गई है, लेकिन ईसाई धर्म के पादरियों, सिख गुरुओं, जैन संतों, बौद्ध धर्मावलंबियों और मुस्लिम समुदाय के मौलवी, मोअज्जिनों, दरगाहों के खादिमों, कब्रिस्तान और श्मशानों में अंतिम संस्कार कराने वालों का जिक्र नहीं किया गया है. वहीं सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश की समीक्षा की और सभी धर्मों के लोगों को इसमें शामिल कर दिया है.
इस मामले को लेकर मुस्लिम परिषद संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष यूनुस चौपदार और संस्थापक सदस्य मोहम्मद मोईनुददीन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, खाद्य मंत्री रमेश मीणा, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद को पत्र लिखकर विरोध जताया था और मांग की थी कि सिर्फ एक धर्म के लोगों को सम्मिलित कर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सम्मिलित नहीं किया जाना कतई उचित नहीं है, जबकि लॉकडाउन में सभी वर्ग बराबर प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए पहले जारी आदेश में संशोधन कर सभी को बराबर सहायता प्रदान की जाए. चौपदार ने इस पुरे मामले की जानकारी प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और खाध एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को भी दी. इसके बाद विभाग ने तत्परता दिखाते हुए संशोधन आदेश जारी किए.