जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर दरगाह बम कांड में एनआईए मामलों की विशेष अदालत से बरी हुए स्वामी असीमानंद सहित 7 लोगों और आजीवन कारावास की सजा के अभियुक्त भावेश पटेल और देवेन्द्र गुप्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने यह आदेश प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराने वाले सैयद सरवर चिश्ती की ओर से दायर लीव-टू-अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.
अपील में कहा गया कि निचली अदालत ने बरी किए आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य माने थे, लेकिन उन्हें तकनीकी आधार पर बरी किया गया. जबकि इन पर राष्ट्रीय अखंडता को तोड़ने के आरोप थे. प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य के संबंध में साक्ष्य अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी की ओर से जारी प्रमाण पत्र के अभाव में नहीं माना गया. इसी तरह भावेश पटेल और देवेन्द्र गुप्ता को भी फांसी की जगह आजीवन कारावास की सजा दी गई, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.