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अजय माकन का राजस्थान दौरा 8 सितंबर से फिर शुरू, जयपुर और अजमेर संभाग होंगे चुनौती - राजस्थान कांग्रेस

राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन का राजस्थान दौरा 8 और 9 सितंबर से फिर शुरू होने जा रहा है. जिसमें जयपुर और अजमेर संभाग का फीडबैक माकन के लिए चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यहां कांग्रेस कई हिस्सों में बटी हुई है.

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Published : Sep 4, 2020, 4:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट को एक करने के लिए नवनियुक्त प्रभारी अजय माकन ने काम शुरू कर दिया है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के चलते उन्हें दौरा बीच में ही स्थगित करना पड़ा था. लेकिन अब अजय माकन फिर से दौरे की शुरुआत कर रहे हैं.

जिसमें पहले वो 8 सितंबर को जयपुर और 9 सितंबर को अजमेर संभाग के नेताओं से मुलाकात करेंगे. इन दोनों संभागों में बटी हुई कांग्रेस माकन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी. क्योंकि, जयपुर संभाग के सीकर जिले से प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा आते हैं और अजमेर संभाग से सचिन पायलट खुद सांसद रह चुके हैं और उनकी वर्तमान विधानसभा सीट टोंक भी इसी संभाग में आती है.

देखिए ये रिपोर्ट...

सीकर में चुनौती ज्यादा...

सीकर जिले के हालात हैं कि गोविंद गोविंद सिंह डोटासरा को पायलट कैंप के विधायकों से चुनौती मिलने के साथ ही गहलोत कैंप के विधायकों से भी उन्हें चुनौती मिल रही है. गोविंद सिंह डोटासरा सीकर जिले से लक्ष्मणगढ़ विधानसभा से विधायक हैं. वहीं, नीमकाथाना से विधायक सुरेश मोदी और श्रीमाधोपुर से विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत पायलट कैंप के हैं. साथ ही फतेहपुर विधायक हाकम अली, धोद विधायक परसराम मोरदिया, सीकर विधायक राजेंद्र पारीक होने को तो गहलोत कैंप में हैं, लेकिन ये डोटासरा के विरोधी माने जाते हैं.

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हालात यह हैं कि श्रीमाधोपुर विधायक दीपेंद्र सिंह, डोटासरा के सामने अजय माकन से बात करने को तैयार नहीं थे. वहीं, परसराम मोरदिया ने तो मीडिया में ही यह तक कह दिया कि जब गोविंद सिंह डोटासरा बैठे थे तो फिर ज्यादा बात कैसे हो सकती थी. खंडेला से निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला दिखते तो डोटासरा के साथ हैं, लेकिन वर्चस्व की लड़ाई उनकी भी गोविंद डोटासरा से है.

सीएम गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा के साथ अजय माकन

इसी तरह सीकर के दातारामगढ़ से विधायक वीरेंद्र सिंह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे नारायण सिंह के बेटे हैं. सीकर में नारायण सिंह का खेमा सबसे अलग है. ऐसे में सीकर जिले में नेताओं को कैसे अजय माकन संतुष्ट करेंगे, यह एक बड़ी चुनौती साबित होगी.

झुंझुनू भी होगा चुनौतियों से भरा

अजय माकन के सामने झुंझुनू जिला भी एक चुनौती होगा, क्योंकि झुंझुनू के खेतड़ी से डॉ. जितेंद्र सिंह, उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुढ़ा पूरी तरीके से अशोक गहलोत कैंप में हैं. जबकि झुंझुनू के विधायक विजेंद्र ओला पायलट कैंप के साथ दिल्ली में मौजूद थे. इसी तरीके से मंडावा से विधायक रीटा चौधरी ओला परिवार की विरोधी हैं. वह गहलोत कैंप के साथ हैं, तो नवलगढ़ विधायक राजकुमार शर्मा भी अपने हिसाब से राजनीति करते हैं.

सचिन पायलट और अजय माकन

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जयपुर शहर और ग्रामीण

जयपुर शहर और जयपुर ग्रामीण में पार्टी में गुट ज्यादा नहीं हैं. पहले बात करें जयपुर ग्रामीण की तो कोटपूतली विधायक राजेंद्र यादव, झोटवाड़ा से विधायक लालचंद कटारिया, जमवारामगढ़ से विधायक गोपाल मीणा गहलोत कैंप में हैं. वहीं, विराट नगर से विधायक इंद्राज गुर्जर पायलट कैंप के साथ दिल्ली में मौजूद थे.

इसी तरह जयपुर शहर की बात करें तो शहर में पहले प्रताप सिंह खाचरियावास को पायलट कैंप में माना जाता था. लेकिन अब वह भी गहलोत कैंप में शामिल हो गए हैं. ऐसे में जयपुर शहर में ज्यादा विवाद विधायकों के बीच नहीं है.

दौसा में पायलट कैंप का असर ज्यादा

दौसा जिले में पायलट कैंप का सबसे ज्यादा असर है. चाकसू से विधायक वेद सोलंकी, बांदीकुई से विधायक जी आर खटाणा, दौसा से विधायक मुरारी लाल मीणा पायलट कैंप के साथ थे. हालांकि चाकसू जयपुर का हिस्सा है लेकिन आता दौसा लोकसभा में है. वहीं, दौसा से परसादी लाल मीणा और ममता भूपेश गहलोत कैंप की मानी जाती हैं.

सचिन पायलट और अजय माकन

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अलवर में दो गुट

अलवर जिले की बात की जाए तो यहां सबसे ज्यादा वर्चस्व पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का है और यहां दूसरा गुट जुबेर खान का है. अलवर से आने वाले ज्यादातर विधायक भंवर जितेंद्र कैंप के साथ है. लेकिन कुछ विधायक जुबेर खान के साथ भी हैं. जुबेर खान की पत्नी साफिया जुबेर खुद विधायक हैं. हालांकि अलवर जिले के सभी विधायक गहलोत कैंप के साथ मौजूद थे. लेकिन अलवर से भंवर जितेंद्र गुट अपने आप में अलग गुट है.

लोकसभा प्रत्याशियों की स्थिति

लोकसभा सीटों पर लड़े प्रत्याशियों की बात करें तो अलवर से भंवर जितेंद्र सिंह अपने आप में एक कैंप हैं. सीकर से सुभाष महरिया सचिन पायलट कैंप के हैं. जयपुर लोकसभा से चुनाव लड़ी ज्योति खंडेलवाल पहले पायलट कैंप में मानी जाती थी. दौसा से लोकसभा प्रत्याशी रही सविता मीणा मुरारी मीणा की पत्नी हैं, जिन्हें सचिन पायलट ने ही टिकट दिलवाया था. वहीं, जयपुर ग्रामीण से कृष्णा पूनिया ने सांसद का चुनाव लड़ा था, जो अब गहलोत कैंप में हैं.

सियासी समीकरण समझें जिलेवार...

  • अजमेर जिला

अजमेर में मसूदा से विधायक राकेश पारीक हैं, जिन्हें बगावत के चलते सेवादल अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. दूसरी ओर रघु शर्मा है जो केकड़ी से विधायक हैं. गहलोत कैंप के होने के साथ ही रघु शर्मा अपने आप में एक गुट हैं. वहीं, दूदू से निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर गहलोत कैंप में शामिल हैं.

  • टोंक जिला

टोंक जिले की विधानसभा सीट से खुद सचिन पायलट विधायक हैं. वहीं, देवली उनियारा के विधायक हरीश मीणा उनके साथ हैं. इसके अलावा निवाई से विधायक प्रशांत बैरवा गहलोत गुट में जरूर हैं, लेकिन राजनीतिक संघर्ष से पहले वह पायलट के साथ थे.

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  • नागौर जिला

नागौर जिले में पायलट कैंप के परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया और लाडनू के विधायक मुकेश भाकर फीडबैक देने पहुंचेंगे तो साफ है कि वह जिस तरीके से गहलोत पर ट्वीट के माध्यम से हमला करते रहे हैं, उसी तरीके से अपनी बात भी प्रभारी के सामने रखेंगे. इसके अलावा डीडवाना विधायक चेतन डूडी, जायल से विधायक मंजू मेघवाल, नावा से विधायक महेंद्र चौधरी गहलोत गुट के हैं.

  • भीलवाड़ा जिला

भीलवाड़ा के मांडल विधायक रामलाल जाट और हिंडोली से विधायक अशोक चांदना अशोक गहलोत गुट के हैं. अजमेर संभाग के भीलवाड़ा में सीपी जोशी का अलग कैंप है. वहीं, नागौर लोकसभा से चुनाव लड़ी ज्योति मिर्धा भी किसी कैंप की ना होकर खुद एक कैंप हैं.

अजमेर लोकसभा से चुनाव लड़े रिजु झुनझुनवाला सचिन पायलट कैंप के हैं. भीलवाड़ा से चुनाव लड़े रामपाल शर्मा सीपी जोशी कैंप के हैं. वहीं, टोंक, सवाई माधोपुर से चुनाव लड़े नमो नारायण मीणा खुद गांधी परिवार के नजदीकी हैं.

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