जयपुर. वायु प्रदूषण आज के दौर की सबसे बड़ी परेशानी कही जा सकती है. राजधानी जयपुर में कई बार प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है. राजधानी में नवंबर 2020 में वायु प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो गया था कि यह रेड जोन में आ गया था. देखिये यह खास रिपोर्ट...
सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है. बीते वर्ष के आखिर में सर्दियों के मौसम में प्रदेश में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचा. सर्दियों में कोहरा छाने, अलाव जलाने, वाहनों के धुआं और फैक्ट्रियों की चिमनी से निकलने वाली धुआं के कारण वायु घनी हो जाती है और प्रदूषण का स्तर गैस चैंबर की तरह बन जाता है. अस्थमा और श्वसन रोगियों के लिए यह जानलेवा भी साबित हो सकता है, साथ ही ऐसी हवा में लगातार सांस लेना इन रोगियों की संख्या में भी इजाफा करता है.
जयपुर शहर में इंडस्ट्रियल एरिया में चल रही सैंकड़ों फैक्ट्रियां भी लगातार धुआं उगलती हैं और सर्दियों में शहर की हवा में जहर घोलती हैं. ऐसे में शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स सर्दी के मौसम में 250 से 300 तक जा पहुंचता है. इस बार की सर्दियों में अस्थमा और सांस के रोगियों में इजाफा हुआ है.
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11 नवंबर 2020 को जयपुर सहित प्रदेश के 4 शहर रेड जोन की श्रेणी में पहुंच गए थे. जहां प्रदूषण का स्तर 300 के ऊपर चला गया था. जयपुर शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स तो 310 तक था. बाद में उत्तरी हवाओं के असर से यह गिरकर 200 के नीचे तक आया.
सवाई मानसिंह अस्पताल में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अजीत सिंह का कहना है कि गर्मी और बरसात में मौसम में वायु का घनत्व काफी हद तक कम हो जाता है. इससे वायु प्रदूषण नियंत्रण में रहता है. जबकि सर्दियों में उद्योगों से निकलने वाले धुआं और वाहनों के धूम्र कण वायु की नमी के कारण धरती की सतह के पास उड़ते हैं. इससे प्रदूषण में बढ़ातरी होती है.