जयपुर. यूपी और बिहार के बाद राजस्थान में AIMIM की एंट्री की AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM Chief Asaduddin Owaisi) ने भले ही घोषणा कर दी हो लेकिन ओवैसी को अपने राजस्थान के 2 दौरों में बड़ा समर्थन नहीं मिला है.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी बीते 2 महीनों में 2 बार राजस्थान की राजधानी जयपुर का दौरा कर चुके हैं. ओवैसी की पार्टी अगर राजस्थान में अपने पैर पसारती है तो निश्चित तौर पर इसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ सकता है, क्योंकि ओवैसी जिस वोट बैंक को प्रभावित करते हैं वह मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस से जुड़ा हुआ है.ओवैसी की राजनीति से कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं. ओवैसी की पार्टी साल 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारेगी.
राजस्थान में करीब 9 फीसदी मुस्लिम आबादी है जो लगभग 40 सीटों पर प्रभावित करती है. ओवैसी की नजर जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, धौलपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनूं, नागौर, अजमेर चूरू, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और करौली जिलों पर है. ओवैसी की टीम राजस्थन के राजनीतिक हालात पर बारीकी से निगाह रखे हुए है. ओवैसी ने दावा किया है कि वह 2 महीनों में अपनी पार्टी को राजस्थान में खड़ा कर देंगे. राजस्थान में थर्ड फ्रंट की संभावना को मजबूत करेंगे.
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वहीं जयपुर शहर की आदर्श नगर, किशनपोल और हवामहल विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर मुस्लिम आबादी 90 हजार से 1 लाख के बीच हैं. ओवैसी राजस्थान की 40 से ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य सीटों के जरिए राजस्थान में अपने पैर पसारना चाहते हैं. ओवैसी दो महीनों में दो बार राजधानी जयपुर का दौरा कर चुके हैं. लेकिन कोई बड़ा चेहरा उनसे मुलाकात को नहीं पहुंचा. उनका दौरा 2-4 सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियो तक ही सिमट कर रह गया है. जबकि ओवैसी के जयपुर पहुंचने के बाद उनके रणनीतिकारों ने जयपुर और अलग-अलग जिलों में कई प्रबुद्ध लोगों और दिग्गज नेताओं को फोन भी किए थे. बावजूद इसके किसी ने भी ओवैसी से मिलना मुनासिब नहीं समझा है. औवेसी से मिलने के लिए जयपुर में कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं आया. ओवैसी की राजस्थान का सियासी दौरा फीका रहा है.