जयपुर. प्रदेश में आमजन को बेहतर इलाज और अच्छी क्वालिटी की दवा उपलब्ध हो इसके लिए सरकार दावे तो कर रही है. लेकिन इन दवाओं की जांच के लिए प्रदेश में 3 ड्रग टेस्टिंग लैब 7 साल गुजर जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाई है.
ड्रग टेस्टिंग लैब को लेकर महालेखाकार ने मांगी रिपोर्ट घटिया और नकली दवा कारोबार पर लगाम कसने के लिए प्रदेश में 3 नई ड्रग टेस्टिंग लैब जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में खुली थी. लेकिन 7 साल गुजर जाने के बाद भी आज तक यह ड्रग टेस्टिंग लैब शुरू नहीं हो पाई. जिसके बाद टेस्टिंग लैब को लेकर महालेखाकार ने मामले की जानकारी विभाग से मांगी है.
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दरअसल, लेखा परीक्षा अधिकारी ने हाल ही में ऑडिट के दौरान विभाग की इस लापरवाही को पकड़ा और मामले की पूरी रिपोर्ट विभाग से मांगी है. इन तीनों लैब के लिए 20 करोड़ रुपए का बजट भी जारी हो गया था. लेकिन संबंधित अधिकारियों और अफसरों की लेटलतीफी के चलते यह ड्रग टेस्टिंग लैब ठंडे बस्ते में डाल दी गई. लेकिन महालेखाकार यानी एजी की आपत्ति के बाद अफसरों के हाथ-पैर फूल गए हैं. हालांकि इन तीनों लैब के लिए भवन बनकर तैयार हो चुका है. लेकिन मैन पावर और उपकरणों की कमी के चलते यह शुरू नहीं हो पाई है.
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मौजूदा हालात की बात करें तो करीब 5 हजार दवाओं के नमूनों की जांच पेंडिंग चल रही है और विभाग के पास सिर्फ जयपुर में ही एकमात्र लैब दवाओं की जांच को लेकर है. जहां अत्यधिक दबाव होने के चलते पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है.