जयपुर.शहरों के मास्टर प्लान को लेकर हर कोई भली भांति परिचित है. लेकिन इस मास्टर प्लान की आवश्यकता अब गांव तक भी पहुंच गई है. राजस्थान में भी विलेज मास्टर प्लान बनने जा रहा है. यह मास्टर प्लान साल 2050 की आवश्यकताओं और उस समय की संभावित अवधि को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा.
शहरों के बाद अब 5000 तक की आबादी वाले गांवों के भी बनेंगे मास्टर प्लान इसके लिए पंचायती राज विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी बजट घोषणा में विलेज मास्टर प्लान की घोषणा की थी. इस मास्टर प्लान का उद्देश्य भविष्य के लिए क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, आबादी विस्तार, खेल सुविधाएं, पार्क, सरकारी भवनों, सड़क और अन्य विकास की आवश्यकताओं का आंकलन करने के लिए भूमि का चिन्हीकरण करने के लिए पटवारियों को निर्देश दे दिए गए हैं.
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हालांकि, साल 2011 में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय 10,000 की आबादी वाले गांव के मास्टर प्लान बनाने की बात हुई थी. लेकिन अब प्रदेश में 5,000 से ज्यादा आबादी वाले गांव का भी मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश पंचायती राज विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हैं. इसके तहत राजस्व विभाग के कर्मचारियों और पटवारियों को सहयोग करने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.
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इसके साथ ही यह पूरी जानकारी मैप के साथ मांगी गई है. इसमें चाहे नदी-नाले, हवाई चारागाह भूमि, तालाब, पहाड़ी टीले, गांव के स्कूल या अस्पताल इन सब का पूरा विवरण बकायदा एक मैप के साथ विभाग में सबमिट किया जाएगा. जिसे गूगल मैप के साथ भी मैच किया जाएगा. इस मास्टर प्लान के अंतर्गत खनिज संपदा वाले गांव और अत्यधिक कृषि वाले गांव के लिए अलग से सुविधाओं को रखने की बात कही गई है.
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विलेज मास्टर प्लान तैयार करने की जिम्मेदारी पटवारी के सहयोग से ग्राम विकास अधिकारी, कनिष्ठ सहायक और पंचायत प्रसार अधिकारी की होगी. इस काम में तकनीकी सहयोग पंचायत समिति के अभियंता देंगे, तो वहीं पटवारी गांव के आसपास की पूरी जमीन की जानकारी ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराएंगे.
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इस काम के लिए इन सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के साथ ही गांव के सरपंच, वार्ड पंच, पंचायत समिति के सदस्यों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. सभी जानकारियों को इकट्ठा करके ग्राम पंचायत की साधारण सभा से अनुमोदन भी करवाया जाएगा. इसके साथ ही जनसंख्या में साल 2050 में 2011 की जनगणना का 50% माना जाएगा तो वहीं पशुधन की आबादी साल 2012 में 30% ज्यादा मानी जाएगी.