जयपुर.दुनियाभर में कोरोना की दहशत जारी है. भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 7,19,665 तक पहुंच गई है. संक्रमण के कारण अब तक 20,160 लोगों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़े मंगलवार को सुबह आठ बजे स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए थे.
राजस्थान में भी बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण बेकाबू हो चुका है. कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 21, 404 हो चुकी है. वहीं, मौत का कुल आंकड़ा 472 पहुंच चुका है. जब तक इलाज नहीं खोज लिया जाता, तब तक बचाव ही सबसे कारगार इलाज है. ऐसे में एक शब्द बार-बार सामने आ रहा है...क्वॉरेंटाइन.
होम क्वॉरेंटाइन सिस्टम के बाद मरीज खुद जांच के लिए आने लगे सामने अगर आप किसी संभावित कोरोना संक्रमित इलाके में गए हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं या फिर आपमें कोई भी एक-दो मिलते-जुलते कोरोना लक्षण हैं तो आपको क्वॉरेंटाइन होना होता है. यह खुद की नैतिक जिम्मेदारी भी है, लेकिन कई जगहों पर क्वॉरेंटाइन सेंटरों की बदहाल स्थिति की वजह से लोगों के मन में इन सेंटरों की खराब छवि बन गई थी. इस वजह से लोग क्वॉरेंटाइन होने से कतराने लगे हैं.
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ऐसे में चिकित्सा विभाग ने एसिंप्टोमेटिक मरीजों को अब होम क्वॉरेंटाइन करना शुरू कर दिया है. जिसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि अब खुद मरीज संदिग्ध होने पर जानकारी चिकित्सक उपलब्ध करा रहे हैं और अस्पताल जाने का डर भी मरीजों के मन से निकल गया है.
क्या है होम क्वॉरेंटाइन का मतलब...
होम क्वॉरेंटाइन का मतलब है घर पर अपने आपको परिवार और अन्य सभी लोगों से अलग कर लेना. अगर आपको थोड़ा भी सर्दी-जुकाम है तो जरूरी है कि आप किसी के संपर्क में न आएं. कोरोना वायरस संक्रमण के इस गंभीर समय में बेहतर है कि जरा भी लापरवाही न बरती जाए.
कोरोना काल के शुरुआती दौर में चिकित्सा विभाग की ओर से जयपुर में करीब 19 से अधिक क्वॉरेंटाइन सेंटर अलग-अलग क्षेत्रों में बनाए गए थे. जहां पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए सभी संदिग्ध लोगों को रखा जाता था. लेकिन अब चिकित्सा विभाग ने एसिंप्टोमेटिक और पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए लोगों को होम क्वॉरेंटाइन करना शुरू कर दिया है.
जयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर नरोत्तम शर्मा बताते हैं कि कोरोना के शुरुआती दौर में लोगों में काफी खौफ का माहौल था. क्वॉरेंटाइन सेंटर या अस्पताल जाने के नाम पर ही लोग घबराने लगे थे. लेकिन जब से चिकित्सा विभाग ने होम क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था शुरू की है. तब से खुद मरीज आगे आकर अपनी जांच करवा रहे हैं.
घर-घर जाकर की जाती है संदिग्धों की जांच चिकित्सा विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए और एसिंप्टोमेटिक यानी जिन मरीजों में हल्के फुल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. इसके अलावा पॉजिटिव पाए गए मरीजों को RUSH अस्पताल में भर्ती करके उनका इलाज किया जा रहा है.
इन नियमों का करें पालन...
- नियमित साबुन और पानी से हाथ धोएं और एल्कोहल बेस्ड हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल लगातार करते रहें.
- अपने कमरे के अलावा घर की अन्य चीजों जैसे पानी के बर्तन, तौलिए आदि को बिल्कुल भी न छुएं.
- होम क्वारंटाइन के दौरान सर्जिकल मास्क लगाकर रहें। हर 6-8 घंटे में मास्क बदलते रहें.
- परिवार के सिर्फ एक सदस्य को ही संदिग्ध की देखभाल करनी चाहिए.
- इस दौरान परिवार के अन्य सदस्यों को दूर रहना चाहिए और त्वचा संपर्क स्थापित करने से बचना चाहिए.
- घर में रोज डिसइंफेक्टेंट और फिनाइल से सफाई करें. घर के अन्य सदस्य दस्ताने पहनकर रखें.
- दस्ताने उतारने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोएं.
- संदिग्ध और परिवार के अन्य सदस्यों को खान-पान में सावधानी रखनी चाहिए. खानपान में विटामिन C युक्त आहार जरूर शामिल करना चाहिए.
जयपुर शहर की मौजूदा स्थिति...
डॉक्टर नरोत्तम शर्मा ने जानकारी दी कि फिलहाल जयपुर फर्स्ट में 127 एसिंप्टोमेटिक और अन्य पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है. इसके अलावा अब तक 59 लोगों को होम क्वारंटाइन से मुक्त या डिस्चार्ज कर दिया गया है. वहीं जयपुर सेकंड की बात की जाए तो 51 लोगों को फिलहाल होम क्वॉरेंटाइन में रखा गया है.
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चिकित्सा विभाग द्वारा की जाती है मॉनिटरिंग...
होम क्वॉरेंटाइन किए गए मरीजों की चिकित्सा विभाग लगातार मॉनिटरिंग करता है. डॉक्टर नरोत्तम शर्मा बताते हैं कि फील्ड में काम कर रही चिकित्सा विभाग की टीम हर दिन घरों में जाकर सभी मरीजों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेती है. जांच के लिए मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर विभाग की ओर से उपलब्ध कराया गया है.
मरीजों के लिए कॉल सेंटर...
एक कॉल सेंटर भी चिकित्सा विभाग की ओर से मरीजों के लिए तैयार किया गया है. होम क्वॉरेंटाइन किए गए व्यक्ति को अगर आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत होती है तो वह इसकी जानकारी चिकित्सा विभाग को दे सकता है. हर 5 दिन बाद क्वॉरेंटाइन किए गए सभी मरीजों के सैंपल लिए जाते हैं और जिन मरीजों के सैंपल नेगेटिव आते हैं, उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाता है.