जयपुर. देश में जब कोरोना महामारी फैली तो देश की चिकित्सा व्यवस्था इतनी मजबूत नहीं थी कि इस बीमारी का सामना पूर्ण रूप से किया जा सके. इसका मुख्य कारण था चिकित्सा क्षेत्र में बजट की कमी लेकिन इस आपदा के बाद हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए आम बजट में चिकित्सा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया है. पहली बार केंद्र सरकार ने अपने आम बजट में स्वास्थ्य के लिए 223846 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है.
केंद्र के बाद अब राज्य के बजट से भी स्वास्थ्य जगत को उम्मीद कुछ ही दिनों में राज्य का बजट भी प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेश करने वाले हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र की तर्ज पर राजस्थान में भी चिकित्सा क्षेत्र में अधिक बजटी प्रावधान अधिक किया जाएगा ताकि लोगों का जीवन स्वस्थ और सुरक्षित बनाया जा सके. 11 महीने पहले की बात की जाए तो जब राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण का पहला मामला देखने को मिला था तो राज्य सरकार के पास इस बीमारी से लड़ने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं थे.
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हालांकि बीते 11 माह में सरकार ने काफी कुछ बजट इस बीमारी से जुड़े संसाधन जुटाने में किया और शनिवार राजस्थान कोविड-19 की जंग में लगभग जीतता नजर आ रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार की तर्ज पर राज्य सरकार भी चिकित्सकीय बजट में बढ़ोतरी करें ताकि आने वाले समय में यदि इस तरह की महामारी से मुकाबला करना पड़े तो कोई समस्या नहीं आए.
हेल्थ वर्कर्स की कमी
चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि अभी भी प्रदेश में हेल्थ वर्कर्स की भारी कमी बनी हुई है, चाहे चिकित्सक हों, नर्सिंग कर्मी हों, फार्मासिस्ट हों या फिर पैरामेडिकल से जुड़े स्वास्थ्य कर्मी हो लगातार इनकी कमी बनी हुई है. ऐसे में अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को हेल्थ वर्कर की कमी को दूर करना चाहिए ताकि भविष्य में यदि इस तरह की को कोई महामारी क हमला हो तो इससे आसानी से निपटा जा सके. ऐसे में प्रदेश की गहलोत सरकार जब अपना आगामी बजट पेश करे तो चिकित्सा क्षेत्र में अधिक से अधिक भर्ती की घोषणा करे.
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संसाधनों को बढ़ाया जाना चाहिए
चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि अभी भी अस्पतालों में संसाधनों की काफी कमी है. जब कोविड-19 जैसी महामारी फैलने लगी तो इतने अधिक मामले एक साथ सामने आए कि अस्पतालों में मरीजों को भर्ती ही नहीं किया जा रहा था. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने चाहिए और अपने आगामी बजट में इसे लेकर विशेष घोषणा भी करनी चाहिए.
बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान
पूर्व आईएएस सुधींद्र गेमआवत का कहना है कि राज्य सरकार के आने वाले बजट में बच्चों के स्वास्थ्य और कैंसर जैसी बीमारी को लेकर अलग से बजट दिया जाना चाहिए. बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार बजट में अलग से प्रावधान करेगी तो प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा. प्रदेश में हर साल कैंसर रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है इसलिए सरकार को कैंसर रोगियों के इलाज को लेकर अपने आगामी बजट में अलग से प्रावधान करने चाहिए.