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Special: 60 साल की उम्र के बाद महिला ने किया अपना सपना पूरा, 100 मेडल के बाद भी 'Not Out'

जयपुर की 64 वर्षीय सरला भदौरिया पिछले तीन साल से 21 किलोमीटर की दौड़ जीतती आ रही हैं. सरला भदौरिया बचपन से धावक बनना चाहती थी लेकिन सरकारी स्कूल की टीचर होने और घर परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वो कभी अपने सपने को जी नहीं सकी. लेकिन जब 2017 में वो रिटायर्ड हो गई तो उन्होंने अपने धावक बनने के सपने के सच करने की ठानी. पढ़ें पूरी खबर...

64 year old female runner of Jaipur Sarala Bhadoria, Jaipur News
60 साल की उम्र में अपना सपना किया पूरा

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Published : Nov 15, 2020, 9:58 PM IST

जयपुर. अगर मन में अपने सपने को पूरे करने के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून और इच्छा शक्ति प्रबल हो तो उम्र कभी भी बाधा नहीं बन सकती है. इसे साबित कर दिखाया है जयपुर की सरला भदौरिया ने. सरला ने अपने बचपन से धावक बनने के सपने को ना केवल 60 साल की उम्र के बाद पूरा किया, बल्कि 21 किलोमीटर की दौड़ में वो 3 साल से नंबर वन पर काबिज है.

60 साल की उम्र में अपना सपना किया पूरा

सरला भदौरिया की उम्र 64 वर्ष है, लेकिन अभी भी दौड़ने का जुनून ऐसा है कि तीन साल से 21 किलोमीटर की दौड़ में नंबर 1 पर है. दरअसल, सरला भदौरिया बचपन से धावक बनना चाहती थी, लेकिन सरकारी स्कूल में शिक्षिका होने और घर परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वो कभी अपने सपने को पूरा नहीं कर सकी, यहां तक कि अपने सपने को लेकर सोचा भी नहीं.

पिछले 3 साल से दौड़ में ले रही भाग

2017 में वे सरकारी स्कूल की शिक्षिका से रिटायर्ड हो गई और इस समय घर को संभालने के लिए उनकी बहू आगे आ गई. तब उन्हें लगा कि अब अपने सपने को पूरा किया जा सकता है. इसके बाद सरला ने पहले कम दूरी की दौड़ में भाग लेना शुरू किया और जल्द ही अपनी रफ्तार तेज कर ली. सरला का कहना है कि 60 साल की उम्र के बाद वे पिछले 3 साल से दौड़ में भाग ले रही हैं और हर बार खिताब अपने नाम करती हैं.

ट्रॉफी के साथ धावक सरला भदौरिया

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परिवार ने दिया साथ

सरला ने बताया कि उनके पति बीएस जादौन डॉक्टर हैं, जो हमेशा उनका साथ देते हैं. उन्होंने बताया कि जब वो शिक्षिका से रिटायर्ड हुई तो उन्होंने अपने धावक बनने के सपने को लेकर सबसे पहले अपने पति से बात की थी. उनका कहना है उनके पति के साथ-साथ उनका पूरा परिवार उनके साथ है और सभी ने उनकी हौसला आफजाई की.

मेडल के साथ सरला भदौरिया

दौड़ के बिना दिनचर्या लगती है अधूरी

64 वर्षीय सरला भदौरिया का कहना है कि शुरू-शुरू में थोड़ी परेशानियां सामने आईं थी, लेकिन अब एक दिन भी दौड़ने नहीं जाओ तो दिनचर्या अधूरी सी लगती है. वे जयपुर में होने वाली करीब सभी मैराथन में भाग लेती है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में वे अपने छत पर दौड़ लगाती थी. साथ ही लॉकडाउन के दौरान वे वर्चुअल मैराथन में भी भाग लेती रही. सरला ने 3 साल में करीब 100 से अधिक मेडल हासिल कर चुकी हैं.

ये है 64 वर्षीय धावक की इच्छा

सरला ने बताया कि 21 किलोमीटर की मैराथन में तो वे विनर हैं, लेकिन अब उनकी इच्छा है कि वे 42 और 72 किलोमीटर की मैराथन में भी भाग लें और अपने विनर बनने के रिकॉर्ड को बरकरार रखें. उन्होंने बताया कि दौड़ से उनका धावक बनने का सपना तो पूरा हो ही रहा है, साथ ही इससे स्वास्थ्य भी ठीक रहता है.

मेडल

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धावक सरला भदौरिया ने उस उम्र में अपने सपने को साकार किया है, जिस उम्र में आते-आते लोग आराम दायक जीवन जीना चाहते हैं. रिटायरमेंट के बाद लोग अपने घर में रहना पसंद करते हैं, वे सोचते हैं कि इस उम्र में अब कुछ नहीं किया जा सकता है. लेकिन 64 साल की सरला भदौरिया ने यह साबित कर दिया कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जुनून और प्रबल इच्छा शक्ति हो तो सफलता के आगे उम्र कभी भी बाधा नहीं बन सकती है.

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