जयपुर. राजधानी में स्ट्रीट और पेट डॉग्स के हमला करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बावजूद इसके निगम प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है. हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा की ओर से चलाए जाने वाले एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम (एबीसी) पर फरवरी से ब्रेक लगा हुआ है. जिसका खामियाजा शहर की आम जनता और मासूमों को भुगतना पड़ रहा है. यही नहीं निगम के दावों के विपरीत न तो पेट डॉग के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई हो रही न उनका वेक्सीनेशन किया जा रहा है.
राजधानी में स्ट्रीट डॉग्स के गाड़ियों के पीछे दौड़ने, सड़क, कॉलोनी और बाजारों में घूमने वाली आम जनता को काटने जैसी शिकायतें आम बात हो गई है. लेकिन अब पेट डॉग के भी बाइटिंग के मामले सामने आने लगे (Pet dogs attack on public cases in Jaipur) हैं. बीते दिनों पिटबुल नस्ल के एक पेट डॉग ने 11 वर्षीय मासूम को अपना शिकार (Pitbull breed dog bite a kid in Jaipur) बनाया, जिसकी अब तक चार सर्जरी हो चुकी है. इसी तरह सेंट बर्नार्ड नस्ल के पेट डॉग ने एक बुजुर्ग महिला पर हमला किया. जिसका तकरीबन डेढ़ महीने इलाज चला. वहीं हाल ही में झालाना डूंगरी में मां के साथ पार्क में घूमने गई 7 साल की बच्ची पर पिटबुल नस्ल के ही एक पालतू डॉग ने हमला कर दिया. ये वो मामले हैं, जो पुलिस थाने तक पहुंचे. लेकिन ऐसे कई मामले हैं जिनमें शिकायत दर्ज नहीं करवाई जाती है.
आरोप ये भी है कि पिटबुल जैसी खतरनाक नस्ल के डॉग पालने पर तो कई देशों में पाबंदी है. बावजूद इसके राजधानी में रिहायशी इलाकों में लोगों ने इसे स्टेटस सिंबल बनाया हुआ है. इसमें ना तो निगम प्रशासन की परमिशन ली गई और ना ही डॉग्स का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. यही वजह है कि अब शहर के दोनों निगमों की ओर से पूरे शहर में सघन अभियान चलाकर, खूंखार नस्ल के कुत्तों को पालने पर रोक लगाने की मांग भी उठ रही है. इसके साथ ही शहर के सभी सार्वजनिक पार्क में पालतू डॉग घुमाने पर लगी रोक की सख्ती से पालना कराने के लिए पुलिस के सहयोग से अभियान चलाने की भी अपील की गई है. हालांकि निगम प्रशासन का दावा था कि पालतू डॉग के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई तेज कर डॉग आईडेंटिफाई, उनका रजिस्ट्रेशन और वैक्सीनेशन किया जाएगा. जो अब तक धरातल पर नहीं उतर पाया है.