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घरों में पाले जा रहे खूंखार डॉग्स अब करने लगे आम लोगों पर हमला, बढ़ते मामलों के बावजूद मूकदर्शक बना निगम

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Published : Jun 22, 2022, 7:22 PM IST

जयपुर में स्ट्रीट डॉग्स के आम लोगों पर हमला करने के मामले तो आम हैं ही, अब घरों में पाले जा रहे खूंखार डॉग्स के भी अटैक करने के मामले सामने आ रहे (Dog bite cases rising in Jaipur) हैं. स्टेटस सिंबल के तौर पाले जा रहे इन खूंखार नस्ल के डॉग्स को लेकर निगम की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा. आलम ये है कि निगम का एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम गत फरवरी से ही बंद है.

After stray dogs bite cases, pet dogs attacking people in Jaipur
घरों में पाले जा रहे खूंखार डॉग्स अब करने लगे आम लोगों पर हमला, बढ़ते मामलों के बावजूद मूकदर्शक बना निगम

जयपुर. राजधानी में स्ट्रीट और पेट डॉग्स के हमला करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बावजूद इसके निगम प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है. हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा की ओर से चलाए जाने वाले एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम (एबीसी) पर फरवरी से ब्रेक लगा हुआ है. जिसका खामियाजा शहर की आम जनता और मासूमों को भुगतना पड़ रहा है. यही नहीं निगम के दावों के विपरीत न तो पेट डॉग के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई हो रही न उनका वेक्सीनेशन किया जा रहा है.

राजधानी में स्ट्रीट डॉग्स के गाड़ियों के पीछे दौड़ने, सड़क, कॉलोनी और बाजारों में घूमने वाली आम जनता को काटने जैसी शिकायतें आम बात हो गई है. लेकिन अब पेट डॉग के भी बाइटिंग के मामले सामने आने लगे (Pet dogs attack on public cases in Jaipur) हैं. बीते दिनों पिटबुल नस्ल के एक पेट डॉग ने 11 वर्षीय मासूम को अपना शिकार (Pitbull breed dog bite a kid in Jaipur) बनाया, जिसकी अब तक चार सर्जरी हो चुकी है. इसी तरह सेंट बर्नार्ड नस्ल के पेट डॉग ने एक बुजुर्ग महिला पर हमला किया. जिसका तकरीबन डेढ़ महीने इलाज चला. वहीं हाल ही में झालाना डूंगरी में मां के साथ पार्क में घूमने गई 7 साल की बच्ची पर पिटबुल नस्ल के ही एक पालतू डॉग ने हमला कर दिया. ये वो मामले हैं, जो पुलिस थाने तक पहुंचे. लेकिन ऐसे कई मामले हैं जिनमें शिकायत दर्ज नहीं करवाई जाती है.

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आरोप ये भी है कि पिटबुल जैसी खतरनाक नस्ल के डॉग पालने पर तो कई देशों में पाबंदी है. बावजूद इसके राजधानी में रिहायशी इलाकों में लोगों ने इसे स्टेटस सिंबल बनाया हुआ है. इसमें ना तो निगम प्रशासन की परमिशन ली गई और ना ही डॉग्स का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. यही वजह है कि अब शहर के दोनों निगमों की ओर से पूरे शहर में सघन अभियान चलाकर, खूंखार नस्ल के कुत्तों को पालने पर रोक लगाने की मांग भी उठ रही है. इसके साथ ही शहर के सभी सार्वजनिक पार्क में पालतू डॉग घुमाने पर लगी रोक की सख्ती से पालना कराने के लिए पुलिस के सहयोग से अभियान चलाने की भी अपील की गई है. हालांकि निगम प्रशासन का दावा था कि पालतू डॉग के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई तेज कर डॉग आईडेंटिफाई, उनका रजिस्ट्रेशन और वैक्सीनेशन किया जाएगा. जो अब तक धरातल पर नहीं उतर पाया है.

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उधर, 29 मई को झालाना डूंगरी में ही एक स्ट्रीट डॉग ने मासूम कुणाल पर हमला कर दिया (Stray dog bite case in Jaipur) था. जिसमें उसके बाएं कान का आधा हिस्सा कट गया और गाल में भी छेद हो गया था. वहीं 19 मई को मुहाना थाना क्षेत्र में एक बच्चे पर 5 स्ट्रीट डॉग्स के हमले को तो भूले भुलाया नहीं जा सकता. घटना में मासूम के 45 जख्म हुए और अब तक ये जख्म हरे हैं. कारण साफ है कि ना तो उन आवारा डॉग्स को पकड़ा जा सका है और ना ही उनका बंध्याकरण किया गया है. क्योंकि नगर निगम प्रशासन की ओर से चलाया जाने वाला एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम फरवरी महीने से बंद पड़ा है. जिसका कारण संबंधित फर्म को निगम प्रशासन की ओर से पेमेंट नहीं किया जाना बताया जा रहा है.

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आपको बता दें कि गर्मियों में डॉग बाइटिंग के मामले बढ़ जाते हैं. प्यास नहीं बुझने, पर्याप्त भोजन नहीं मिलने और एडल्ट डॉग का टेस्ट्रॉन लेवल बढ़ जाने, नसबंदी नहीं हो पाने की वजह से डॉग्स एग्रेसिव हो जाते हैं. इसे लेकर निगम प्रशासन की ओर से स्ट्रीट डॉग्स के लिए प्रत्येक वार्ड में पानी की टंकियां रखवाने और एबीसी प्रोग्राम और पेट डॉग रजिस्ट्रेशन को शुरू करने के दावे हवा हो चुके हैं. जिनका खामियाजा शहर की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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