जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (आरयूएचएस) अस्पताल में मेडिकल स्टाफ का टोटा लंबे समय से बना हुआ है. कई बार आरयूएचएस की ओर से भर्तियों को लेकर प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन किसी ना किसी कारण के भर्तियां रुक गईं. ऐसे में आज भी आरयूएचएस अस्पताल में सिर्फ सर्दी और खांसी से पीड़ित मरीजों का इलाज हो रहा है. जबकि अस्पताल में एडवांस तकनीक से युक्त इक्विपमेंट लगाए गए हैं, जो अब धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील हो रहे (Advanced medical equipments of no use in RUHS) हैं.
मामले को लेकर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा का कहना है कि आरयूएचएस एक इंडिपेंडेंट बॉडी है. सरकार की उसमें कोई दखलंदाजी नहीं है और आरयूएचएस में खाली पड़े पदों पर जल्द से जल्द भर्ती हो, हमारी यही कोशिश है. हमने कुछ समय पहले खाली पड़े मेडिकल स्टाफ के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन राजभवन के एक पत्र के बाद इस भर्ती को रोकना पड़ा.
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ऐसे में हमने आरयूएचएस के वीसी से खाली पड़े पदों को भरने के लिए कहा है. राजभवन के बताए जिस पत्र के कारण भर्ती अटकी है, उस कारण को दूर करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल आरयूएचएस अस्पताल में पिछले लंबे समय से चिकित्सकों की कमी चल रही है, जिसके बाद हाल ही में 20 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के पदों पर इंटरव्यू आयोजित होना था, लेकिन उन्हें टाल दिया गया है. इससे पहले भी कई बार सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, लेकिन ऐन वक्त पर इंटरव्यू स्थगित कर दिए (Interview of senior resident doctors on hold) गए.
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मौजूदा हालात की बात करें तो
- मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में चिकित्सकों की कमी लंबे समय से चल रही है.
- मेडिकल कॉलेज के लिए 20 प्रोफेसर और 20 एसोसिएट प्रोफेसर की जरूरत है.
- इसके अलावा असिस्टेंट और सीनियर व जूनियर रेजिडेंट मिलाकर तकरीबन 100 चिकित्सकों की आवश्यकता है.
- जबकि इतनी ही संख्या में नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की जरूरत है.
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इंफ्रास्ट्रक्चर हो रहा कबाड़ में तब्दील: वहीं जब प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण की पहली और दूसरी लहर तांडव मचा रही थी, तब आरयूएचएस अस्पताल को कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए डेडीकेटेड अस्पताल बनाया गया था. उस दौरान करोड़ों रुपए की लागत से इंफ्रास्ट्रक्चर अस्पताल में तैयार किया गया था, लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद वहां लगे चिकित्सकों को उनके मूल पदों पर वापस भेज दिया गया. जिसके बाद अब धीरे-धीरे यह इंफ्रास्ट्रक्चर कबाड़ में तब्दील हो रहा है.
मौजूदा समय में अस्पताल में 300 आईसीयू बेड मौजूद (300 ICU beds in RUHS) हैं जिनमें मुश्किल से 8 या 10 मरीज एडमिट हैं. जबकि 1200 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड अस्पताल में मौजूद हैं. इन बेड पर 100 मरीज भी भर्ती नहीं हैं. ऐसे में यह पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर कबाड़ में तब्दील हो रहा है. इसके अलावा आईसीयू के हर बेड पर वेंटिलेटर मौजूद हैं जिनका उपयोग भी अस्पताल में नहीं हो पा रहा. अस्पताल में सिर्फ सर्दी, खांसी और जुकाम से पीड़ित मरीजों का इलाज हो रहा है.