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जयपुर: फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के लिए राजस्थान सरकार ने निर्धारित किया शुल्क

प्रदेश सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान को लेकर तैयारी पूरी कर ली है. इसी के तहत आज मंगलवार को सरकार ने फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के लिए शुल्क निर्धारित कर दिए हैं.

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Published : Sep 28, 2021, 10:28 PM IST

Under the campaign with the administration cities, the state government has fixed the fee for the issuance of free hold lease.
प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के लिए राज्य सरकार ने निर्धारित किया शुल्क

जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत राज्य सरकार ने फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के लिए शुल्क निर्धारित कर दिया है. जिसमें शहर की चारदीवारी क्षेत्र की संपत्तियां, परंपरागत रूप से विकसित पुरानी आबादी क्षेत्र, चारदीवारी के बाहर का क्षेत्र, गैर कृषि खातेदारी भूमि, पूर्व राजा-महाराजाओं के स्वामित्व की जमीन, आवासीय-संस्थानिक-मिश्रित जमीनों का अलग-अलग शुल्क का प्रावधान तय किया है.

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राज्य सरकार ने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के लिए शुल्क निर्धारित किया है. इन सभी श्रेणियों में आवासीय/संस्थानिक/ मिश्रित की नियमन राशि अधिकतम 5 लाख रुपए और व्यावसायिक होटल की नियमन राशि अधिकतम 10 लाख वर्गमीटर रुपए होगी.

स्वायत शासन विभाग द्वारा जारी आदेशों में मिश्रित से तात्पर्य नीचे दुकान ऊपर मकान से है. वहीं फ्री-होल्ड पट्टे पर कोई लीज राशि वसूली नहीं जाएगी. 99 वर्षीय लीज डीड/पट्टा/रूपान्तरण आदेश सरेंडर कर पट्टा प्राप्त करता है, तो बकाया लीज राशि और 10 वर्षीय एक मुश्त लीज राशि वसूल कर ही पट्टा जारी किया जाएगा. भूमि रूपान्तरण आदेशों में लीज राशि की गणना रूपान्तरण शुल्क की 4 गुना राशि को आवासीय दर मानते हुए 2.5 प्रतिशत और व्यावसायिक में 5 फीसदी की दर से राशि देय होगी.

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इसके अलावा आवेदित प्रकरण में मौके पर उपलब्ध भूखंड /भवन का क्षेत्रफल आवेदक द्वारा प्रस्तुत स्वामित्व दस्तावेजों (प्रूफ ऑफ राइट्स) से अधिक होने की स्थिति में स्वामित्व दस्तावेज से ज्यादा क्षेत्रफल पर आवासीय आरक्षित दर का 10 प्रतिशत या डीएलसी का 10 प्रतिशत जो भी कम हो, राशि वसूल कर पूरे भूखंड का पट्टा जारी किया जाएगा. यदि अतिरिक्त भूमि किसी संरक्षित स्थल का हिस्सा है तो उसका आवंटन नहीं किया जाएगा. राजकीय कार्यालय के लिए कोई शुल्क देय नहीं होगा. नजूल संपत्तियों की आवंटन दरें अलग से राज्य सरकार की ओर से तय की जाएगी.

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