जयपुर.जिले में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आ रही है. इसे और कम करने के लिए बेहतर प्रबंधन के साथ उपचार और इसके लिए मौजूद संसाधनों का उपयोग कुशल रूप से किया जाना चाहिए. ये कहना है जिला प्रभारी सचिव और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांशु पंत का. पंत ने बुधवार को कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने सुझाव देते हुए डोर टू डोर सर्वे कार्य, होम आइसोलेशन, सैनिटाइजेशन, दवाइयों की उपलब्धता, ऑक्सीजन की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने की बात कही.
जयपुर जिले में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए घर-घर जाकर सर्वे कर मेडिकल किट का वितरण किया जा रहा है. इसके साथ ही डोर टू डोर सर्वे कर ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर विशेष ध्यान देते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल वैन से व्यापक स्तर पर टेस्ट करने का भी शुरू किया गया है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए जा रहे इन कार्यों की जिला प्रभारी सचिव सुधांश पंत ने समीक्षा बैठक ली. सुधांशु पंत ने पॉजिटिव मरीज दर को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में सरपंच और शहरी क्षेत्रों में पार्षदों को जीरो कोविड पर जिला कलेक्टर द्वारा प्रशस्ति पत्र दिए जाने का सुझाव दिया. वहीं उन्होंने सीएम के गजब करो अभियान के तहत कार्य करने के निर्देश दिए, ताकि जयपुर मॉडल को और भी जिलों में लागू किया जा सके.
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इस दौरान ऑक्सीजन प्रभारी रवि जैन ने बताया कि शहर में ऑक्सीजन की किसी भी प्रकार की कमी नहीं है. जिस अस्पताल को जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता है, उन्हें उतनी ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा रही है. इस दौरान सीएमएचओ प्रथम ने बताया कि डोर टू डोर सर्वे के लिए 1377 कमेटियां हैं. एक टीम तकरीबन 50 घरों का सर्वे करती है. ऐसे में 1 दिन में 68850 घरों का सर्वे कर लिया जाता है. शहरी क्षेत्र में मेडिकल टीम 3 टायर सिस्टम के तहत कार्यरत है, जिसमें 3 लेवल पर बीएलओ, हेल्थ वर्कर, आशा सहयोगिनी और अन्य, 2 लेवल पर सुपर विजन स्कूल लेक्चरर या समकक्ष और 1 लेवल पर उपायुक्त स्तर का अधिकारी कार्य कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में मेडिकल टीम में बीडीओ, सीईओ के स्तर पर सरपंच, वार्ड सरपंच, बीएलओ, एएनएम, आशा सहयोगिनी और अन्य कार्य कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मेरा गांव मेरी जिम्मेदारी के नाम से कमेटियां बनाई गई है.