जयपुर. जिला रसद अधिकारियों के पर्यवेक्षण में 140 शिकायतों पर खाद्य विभाग और विधिक मापविज्ञान विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने जांच की. उपभोक्ता मामले विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने बताया कि विधिक माप विज्ञान (डिब्बा बन्द वस्तुएं) नियम 2011 के तहत 53 निरीक्षण किये गए.
जांच के बाद 6 व्यापारियों के गड़बड़ी किये जाने पर प्रकरण दर्ज किये गए. जिनमें से 4 प्रकरणों में व्यापारियों पर 18 हजार रुपये की पेनल्टी लगाई गयी. व्यापारियों के द्वारा रोजमर्रा काम में आने वाली वस्तुओं जैसे चना दाल, सरसों तेल, साबुन आदि को निर्धारित एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचा जा रहा था.
शासन सचिव ने बताया कि अलवर जिले की मालाखेड़ा तहसील में ओसवाल साबुन, बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ, तहसील में दाल और 'जी' खाद्य तेल की एमआरपी से अधिक राशि वसूल करने पर 7 हजार 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया. डूंगरपुर जिले में अमूल दूध पर एमआरपी से अधिक राशि वसूलने पर 5 हजार का जुर्माना लगाया गया.
उल्लेखनीय है कि डिब्बा बंद वस्तुएं उन पर अंकित एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचा जाना विधिक माप विज्ञान (डिब्बा बंद वस्तुएं) नियम, 2011 के नियम 18(2) के तहत बेचा जाना प्रतिबंधित है. इस संबंध में विधिक माप विज्ञान प्रकोष्ठ के विधिक माप विज्ञान अधिकारी जांच करने के लिए अधिकृत हैं. डिब्बा बंद वस्तुओं को निर्धारित एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचा जाना नियम, 32 के तहत 5000/- तक के जुर्माने से दण्डनीय है.
शासन सचिव ने बताया कि कालाबाजारी एमआरपी से अधिक मूल्य एवं मुनाफाखोरी से संबंधित सभी शिकायतें राज्य उपभोक्ता हैल्पलाइन टोल फ्री नम्बर 1800-180-6030 पर प्राप्त हुई हैं. उन्होंने बताया कि कोई भी उपभोक्ता आवश्यक वस्तुओं से संबंधित कालाबाजारी एवं मुनाफाखोरी होने पर राज्य उपभोक्ता हैल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करा सकता हैं.